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November 3, 2025 1:10 pm

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लौहपुरूष सरदार वल्लभभाई पटेल हर भारतीय के लिए हैं मार्गदर्शक : एनआरआई केशव बटाक

प्यार और इंसानियत की जगह युद्ध ले रहा हैए तो ऐसे में हमें सरदार पटेल के विचारों को याद करना बहुत जरूरी हैर : लंदन-यूके एनआरआई ग्रुप के कन्वीनर केशव बटाक

सरदार पटेल ने ना तलवार सेए ना जंग सेए बल्कि अपनी अटल इच्छाशक्ति और राजनीतिक बुद्धिमत्ता से 562 रियासतों को एकजुट कर अखंड भारत बनाया थारू एनआरआई केशव बटाक

सरदार पटेल ने ना तलवार सेए ना जंग सेए बल्कि अपनी अटल इच्छाशक्ति और राजनीतिक बुद्धिमत्ता से 562 रियासतों को एकजुट कर अखंड भारत बनाया थारू एनआरआई केशव बटाक
लंदन-यूके
आज देश के पहले उपप्रधानमंत्री एवं गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती है। हर साल सरदार वल्लभाई पटेल की जयंती के अवसर पर 31 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया जाता है।

सात समंदर पार रहने वाले लंदन.यूके के एनआरआई ग्रुप के कन्वीनर केशव बटाक ने अपनी बात रखते हुए कि भारत की आजादी के बाद जब पूरा देश रियासतोंए मतभेदों और अस्थिरता के बीच दिशा खोज रहा थाए तब सरदार वल्लभभाई पटेल दृढ़ताए निर्णय क्षमता और अटूट राष्ट्रभक्ति का प्रतीक बनकर खड़े हुए। सरदार पटेल एक ऐसे नेता थेए जिन्होंने न तलवार सेए न जंग सेए बल्कि अपनी अटल इच्छाशक्ति और राजनीतिक बुद्धिमत्ता से 562 रियासतों को एकजुट कर भारत को अखंड बनाया। आजादी के बाद भारत की जो तस्वीर हम देखते हैंए एक मज़बूतए एकीकृत राष्ट्र वो दरअसल पटेल के लौहसंकल्प का परिणाम है। यही कारण है कि उन्हें न केवल भारत का लौह पुरुष कहा जाता हैए बल्कि वे आज भी राष्ट्र.निर्माण के सबसे प्रेरणादायक स्तंभों में से एक माने जाते हैं।

सरदार वल्लभभाई पटेल का जीवन परिचय

सरदार पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नडियाद में हुआ था। बचपन से ही उनमें नेतृत्व और अनुशासन के गुण थे। उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से कानून की पढ़ाई की और बाद में एक सफल वकील बने। लेकिन महात्मा गांधी के राष्ट्रवादी आह्वान ने उनके जीवन की दिशा बदल दी। अहमदाबाद के किसान आंदोलन से शुरू हुई उनकी यात्रा ने उन्हें जल्द ही जननेता बना दिया। उन्होंने किसानोंए मजदूरों और आम जनता के अधिकारों के लिए संघर्ष किया और देश को दिखाया कि राजनीति का असली मतलब सेवा हैए सत्ता नहीं।

कैसे मिली लौह पुरुष की उपाधि मिलीघ्

आज़ादी के बाद भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौती थीए 562 रियासतों को एक देश में जोड़ना। जहां कई रियासतें अलग देश बनने की जिद पर अड़ी थीए वहीं सरदार वल्लभभाई पटेल ने अपनी रणनीतिक कुशलता और दृढ़ इच्छाशक्ति से एक भारत का सपना साकार किया। हैदराबादए जूनागढ़ और कश्मीर जैसी रियासतों को भारतीय संघ में मिलाना किसी युद्ध से कम नहीं थाए लेकिन सरदार पटेल ने इसे बिना बड़े संघर्ष के संभव कर दिखाया। उनकी इसी लोहे जैसी इच्छाशक्ति और स्पष्ट निर्णय क्षमता ने उन्हें आयरन मैन ऑफ इंडिया यानि लौहपुरूष की उपाधि दिलाई।

सरदार पटेल की कार्यशैली

सरदार पटेल का जीवन सरल थाए परंतु विचार कठोर थे। वे न तो बड़े भाषणों में विश्वास रखते थेए न दिखावे में। उनका मानना था कि राष्ट्र निर्माण शब्दों से नहींए कर्म से होता है। उनका प्रशासनिक कौशल इतना प्रभावी था कि गांधीजी ने उन्हें भारत का बिस्मार्क कहा।

सरदार पटेल से आज की पीढ़ी को सीखना चाहिए मजबूत राष्ट्र की सीखरू एनआरआई केशव बटाक

एनआरआई केशव बटाक का मानना है कि आज के युग में जहां विभाजन और स्वार्थ की राजनीति हावी है। वहीं सरदार पटेल हमें यह याद दिलाते हैं कि एकताए अनुशासन और कर्तव्यनिष्ठा ही सच्ची देशभक्ति है। उनका जीवन इस बात का साक्ष्य है कि मजबूत राष्ट्र का निर्माण किसी एक नेता से नहींए बल्कि मजबूत इच्छाशक्ति वाले नागरिकों से होता है। आज की युवा पीढी को उनके विचारों को अपना सीखना चाहिए।

प्रेरणा से भर देंगे वाले विचारों के धनी थे सरदार वल्लभभाई पटेलरू लंदन.यूके एनआरआई ग्रुप के कन्वीनर केशव बटाक

लंदन.यूके एनआरआई ग्रुप के कन्वीनर केशव बटाक ने भारत के लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल पर अपनी बात रखते हुए कहा कि लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल देश की एकताए अखंडता और साहस का प्रतीक है। उन्होंने न केवल आजादी की लड़ाई में अहम भूमिका निभाई बल्कि स्वतंत्र भारत को एकसूत्र में बांधने का कठिन कार्य भी किया। इसलिए हर साल 31 अक्टूबर को उनकी जयंती राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाई जाती है।

ऐसे में आज के दौर में जब दुनिया तेजी से बदल रही है। प्यार और इंसानियत की जगह युद्ध ले रहा हैए तो ऐसे में हमें सरदार पटेल के विचारों को याद करना बहुत जरूरी है। लौहपुरूष सरदार वल्लभभाई पटेल का जीवन इस बात की मिसाल है कि दृढ़ संकल्प और राष्ट्रहित की भावना सर्वोपरि है। इसलिए उनके विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने स्वतंत्रता संग्राम के दौर में थे।

बिना एकता के कोई भी राष्ट्र महान नहीं बन सकता

सरदार वल्लभभाई पटेल का ये विचार हमें सिखाता है कि जाति और धर्म के भेदभाव से ऊपर उठकर हमें देश के विकास के लिए मिलकर काम करना होगा। तभी हमारा देश भारत महान बनेगा।

जब जनता एक हो जाती हैए तब उसके सामने क्रूर से क्रूर शासन भी नहीं टिक सकता। अतः जात.पांत के ऊंच.नीच के भेदभाव को भुलाकर सब एक हो जाइए।
सरदार पटेल का यह विचार भी एकता का संदेश देता है। देश के विकास और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने के लिए देश के लोगों का एकजुट होना जरूरी है।

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