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!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 42 !!
ओये ! तुमसे बतियाएँगी …
भाग 2
वज्रनाभ ! श्रीराधा रानी की माधुर्य शक्ति के आगे कृष्ण की ऐश्वर्य शक्ति कमजोर पड़ जाती है ……….और आज भी वही हुआ ।
श्रीराधा रानी आगे बढ़ती चली जाती हैं…….कृष्ण श्रीराधा रानी को देखते हैं …….देखते ही उनकी ईश्वरता क्षीण होनें लगती है ।
बढ़ते बढ़ते श्रीराधा इतनी आगे बढ़ जाती हैं कि …..कृष्ण को छू लेती हैं ……..बस कृष्ण को जैसे ही छूआ श्रीराधा नें ………..तुरन्त दो हाथ गायब कृष्ण के…….सम्पूर्ण ईश्वरता कहीं खो गयी ।
क्यों की माधुर्य के आगे …………..ऐश्वर्य टिक ही नही सकता ।
बस………फिर क्या था…….हर्ष उल्लास में मग्न हो गयीं गोपियाँ ……कृष्ण को कोई निहारनें लगीं ……..अपलक ………कोई गले लगानें लगी…..कोई अपना सिर कृष्ण के कन्धे में रख झूमनें लगी ।
पर श्रीराधा रानी नें हाथ पकड़ा कृष्ण का ……और पुनः उसी यमुना के पुलिन में आगयीं ………………
यहाँ फिर क्यों ? चन्द्रावली नें श्रीराधारानी से पूछा ।
क्यों की यह यमुना का पुलिन है ….यहाँ कोई लता वृक्ष कुञ्ज इत्यादि नही हैं…….ये यहाँ कहीं छुप भी नही सकते ………….इसलिये सब बैठ जाओ …………और मध्य में इन्हें बिठाओ ………..चन्द्रमा के पूर्ण प्रकाश में अब इनसे बातें होंगीं …………बतियाएँगी हम ।
बस फिर क्या था ………सब चारों ओर से घेर कर बैठ गयीं …………मध्य में खड़े हैं यमुना की बालुका में कृष्ण ।
सभी सखियों नें अपनी अपनी चूनरी उतारी और कृष्ण के आगे रख दी ………..इसमें बैठ जाओ …………..सखियों नें कहा ।
सबनें यही किया ………….हजारों चूनरी वहाँ बिछ गयी थी ।
पर सबसे ऊपर “श्रीजी” की चूनर ………..नीलाम्बर, वो जब बिछी तब उसमें जाकर श्याम सुन्दर विराजमान हुए ।
सब गोपियां देख रही हैं ……कोई गुस्से में है ………कोई अभी भी रो रही है ……हम सब तुमसे कुछ पूछना चाहती हैं……..बताओगे ?
श्रीराधा रानी नें सब सखियों की ओर से पूछना शुरू किया ।
“तुम बुद्धिमान हो……हम तो गंवारन हैं ……..अब हमें समझा दो क्यों की समझानें में भी तुम निपुण हो…….श्रीराधा रानी नयन मिलाकर कृष्ण से बतिया रही थीं ।
क्या पूछना है …….पूछो ! श्याम सुन्दर नें हँसकर कहा ।
श्याम सुन्दर ! तीन प्रकार के लोग होते हैं ……….एक प्रेम के बदले प्रेम करते हैं ……..एक वे होते हैं …..जो प्रेम न करनें वालों से भी प्रेम करते हैं ……और एक वे होते हैं ……जो प्रेम करनें वाले से प्रेम न करें ..उन्हें कष्ट और दुःख देकर स्वयं प्रसन्न हों …………इसमें श्रेष्ठ कौन है ?
श्रीराधा रानी नें ये प्रश्न किया श्याम सुन्दर से ।
गम्भीर हो गए थे श्याम …………फिर बोले – प्यारी ! प्रेम करनें के बदले प्रेम ? ये तो स्वार्थ हुआ ………है ना ?
हाँ …..प्रेम तो वो श्रेष्ठ हुआ….”जो प्रेम न करनें वाले से भी प्रेम करता हो”
पर ये जो तीसरे दर्जे के प्रेम के सम्बन्ध में तुमनें पूछा है …….कि प्रेम करनें वाले को भी दुःख दे ….या कष्ट दे ।
क्रमशः ….
शेष चरित्र कल…🙏
♥️ राधे राधे♥️
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