!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 68 !!
उद्धव की वृन्दावन यात्रा
भाग 3
उद्धव चकित होगये थे ……..एकाएक दावग्नि की तरह वृन्दावन जल गया था ………..पक्षी पशु मानों कंकाल मात्र रह गए थे …………
उद्धव कुछ समझ नही पा रहे कि – क्या ये वृन्दावन चैतन्य है ?
रथ देखते ही दौड़ पडीं थीं गायें ………कितनी सुन्दर …कितनी बलिष्ठ ……दौड़ी आईँ थीं रथ के पास………..
रथ की परिक्रमा लगाई थी उन गायों नें …………
फिर भीतर देखनें लगीं………उनकी आँखें कुछ खोज रही थीं ………जब उन्हें नही मिला ………तब कातर आँखों से उद्धव की ओर देखा था……..
नही आया गोपाल !……..ओह ! गौएँ भी एकाएक ये सुनते ही ……धरती में बैठ गयीं……..अब उनसे चला भी नही जाएगा ……….उनके नेत्रों से अश्रु बह रहे थे……..वो बार बार उद्धव की ओर ही देख रही थीं ………मानों पूछ रही हों ……..गोपाल नही आया ? हमारा गोपाल कब आएगा ?
ग्वाल बाल बैठे हैं……….मथुरा की सीमा में ही बैठे हैं ……
नित्य का नियम है इनका ………सुबह आजाते हैं मथुरा की सीमा में …..और देखते रहते हैं ……आज तो आएगा हमारा कन्हाई …..आज तो आएगा ……….आज तो पक्का आएगा ……….
रथ देख लिया ग्वाल बालों नें ………….
आ गया ! हमारा कन्हाई आगया ………….
कहाँ है कन्हाई ? कहाँ है ? मनसुख ख़ुशी से नाचनें लगा ।
वो देखो रथ आरहा ……………रथ में हमारा कन्हाई है …………
सब आनन्दित हो उठे थे …………….मैं तो कह ही रहा था ……..वो आएगा ……हमारा कन्हाई आएगा ……उसका मन थोड़े ही लगता होगा वहाँ ………..आगया …………….।
हे वज्रनाभ ! कृष्ण के वियोग में बड़ी विचित्र स्थिति हो गयी थी श्रीधाम वृन्दावन की …………उफ़ !
शेष चरित्र कल ……..


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