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October 27, 2025 3:11 pm

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!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 65 !!-जब उग्रसेन की सभा में “वृन्दावन” की बात चली…भाग 3 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 65 !!-जब उग्रसेन की सभा में “वृन्दावन” की बात चली…भाग 3 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 65 !!

जब उग्रसेन की सभा में “वृन्दावन” की बात चली…
भाग 3

नही, सही बात है ……..और सुना है वहाँ ये केवल माखन ही खाते थे ……खाते नही थे चुराते थे ……….वही वृद्ध स्नेह से बोले ।

कहीं याद तो नही आरही ?

राधा ! राधा की याद !

ये कोई फुसफुसाकर किसी के कान में बोल रहा था ।

कृष्ण मुड़े …..और जब पीछे देखा ……अक्रूर थे जो धीरे बोल रहे थे ।

राधा ! वृन्दावन ! और ये मथुरा ? कृष्ण के नेत्र सजल हो उठे ।

ऊपर दृष्टि उठाई …………झाड़ फानूस ……….बड़े बड़े सुवर्ण के खम्भे ………दिव्य पच्चीकारी द्वारों और और दीवारों में ………

कृष्ण देख रहे हैं ………………..और वहाँ ?

मैया यशोदा ……….माखन निकाल रही है ………….मेरे लिए ।

ग्वाले खड़े हैं ………मेरे लिये …..गोपियाँ जल भरनें भी जाती हैं मेरे लिये …………..और मेरी राधा वो तो जी ही रही है मेरे लिए ।

पर यहाँ कौन है ऐसा जो मेरे लिये हो …………सिर्फ मेरे लिये ।

यहाँ तो सब अपनें लिए ही जी रहे हैं ………..और वहाँ ?

रो गए कृष्ण …………पहले तो आँसुओं को रोकनें की कोशिश की …..पीताम्बरी से पोंछते भी रहे ……..पर ……प्रेम छुपता कहाँ है ।

सभा स्तब्ध हो गयी ………..सबको लगनें लगा हमसे कोई गलती हो गयी क्या ?

महाराज उग्रसेन काँप गए ।

कृष्ण उठे ……..और बिना किसी से बात किये …………उस सभा से ही चल दिए ……………..उद्धव नें देखा ………..महाराज उग्रसेन नें इशारे में कहा …….जाओ ! जानकारी लेकर आओ कि बात क्या है ?

उद्धव पीछे भागे……….कृष्ण की पीताम्बरी गिर गयी पर उन्हें कुछ भान नही है ……..वो बस अपनें महल की ओर चले जा रहे हैं ।

वत्स ! मुस्कुराते हुये सामनें खड़ी मिलीं देवकी माता ।

कृष्ण नें देखा …………..उनके हाथों में देखा ….एक थाल है …….जो किसी रेशमी वस्त्र से ढंका हुआ है ………….

पता है ये क्या है ? हँसते हुए देवकी माता नें कहा ।

कृष्ण नें बस आँखों के इशारे से ही पूछा ……क्या है ।

मेरे पुत्र ! ये माखन है, अब मैं यशोदा की तरह तो निकाल नही सकती ।

दासियों से कहकर, और रोहिणी नें मेरी मदद करी ……देवकी नें कहा ।

ओह ! यशोदा मैया का नाम और उनका वात्सल्य से सना माखन …..कृष्ण की हिलकियाँ छूट गयीं……आँसुओं की धार निकल पड़ी ।

महल में गए ……और महल का द्वार बन्द कर दिया भीतर से ……….

और खूब रोते रहे….खूब रोते रहे………….

शेष चरित्र कल –

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Author: admin

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