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December 4, 2024 6:34 pm

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दादरा नगर हवेली एवं दमन-दीव क्षेत्र भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रभारी श्री दुष्यन्त भाई पटेल एवं प्रदेश अध्यक्ष श्री दीपेश टंडेल जी के नेतृत्व में संगठन पर्व संगठन कार्यक्रम दादरा नगर हवेली के कार्य पाठशाला का आयोजन किया गया.

*श्रीकृष्णचरितामृतम्*!! “जब सब सखा कन्हैया बनें” – बकासुर उद्धार*भाग 3* : Niru Ashra

*श्रीकृष्णचरितामृतम्*!! “जब सब सखा कन्हैया बनें” – बकासुर उद्धार*भाग 3* : Niru Ashra

*श्रीकृष्णचरितामृतम्*
*!! “जब सब सखा कन्हैया बनें” – बकासुर उद्धार  !!* 
*भाग 3*
आज   बकासुर  नें  अपनी बहन पूतना के बारे में जब सुना ………..कि एक  ग्वाले नें  उसकी बहन को मार दिया …..तो .वो क्रोधित हो उठा ….और  कंस से बोलकर  वो वृन्दावन में चला आया था  ।
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वो बगुला !         सब सखा  उस बगुले के  पास में चले गए  थे  ।
बकासुर देख रहा है ……….ये तो सब  कृष्ण  हैं ……….वो कुछ समझ नही पा रहा था  ………हाँ  शान्त भाव से  खड़ा रहा ………..और  सबको देख रहा था   ।
कितना सुन्दर है ना  ये बगुला …………सुबल सखा नें कहा  ।
हाँ …..विशाल भी है ……..मैं बैठूँ इसके पीठ में  ?  मनसुख बोला ।
बकासुर देख रहा है …….वो समझ नही पा रहा  कि  इनमें से कौन है कृष्ण ……क्यों की सभी पीले वस्त्र पहनें हैं …..मोर मुकुट सबके है ।
मनसुख विनोद करते हुए  बकासुर के पीठ में बैठ गया  ।
बकासुर को लगा  यही है कृष्ण ……….तो  वो उड़ा ………..मनसुख नें देखा ……इतनी  ऊँचाई तक तो कोई  बगुला उड़ नही सकता  ।
अब मनसुख चिल्लाया ………….अरे ! कन्हैया !   कन्हैया !  ये तो दैत्य है भाई  !    बकासुर नें सुना ………..ये कृष्ण नही है  ?     
मनसुख चिल्लाये जा रहा है …………….कन्हैया कन्हैया  !
बकासुर नीचे उतरा ………और यमुना में फेंक दिया मनसुख को ।
कन्हैया दौड़े ………तेज गति से दौड़े ……उनके सखाओं को कोई छेड़ दे ये  इस नन्दनन्दन को  स्वीकार कहाँ है  ।
खानें के लिये दौड़ा बकासुर ………..चोंच अपनी  खोल दी बकासुर नें …..
कन्हैया  उसके चोंच में जाकर बैठ गए …………वो चोंच बन्द करना  चाहता था ………पर  कन्हैया  खड़े हो गए चोंच में ही  ।
और अपनें हाथों से उस बगुले की चोंच को  ऊपर  उठाते चले गए …..नीचे की चोंच  पैर से दवा रखी है …..और ऊपर की चोंच को  और ऊपर , ऊपर , और ऊपर…….चीर दिया   बकासुर को कन्हैया नें  ।
जय हो नन्दनन्दन की ………….जय हो यशोदा नन्दन की  ।
मनसुख चिल्ला रहा है …………..श्रीदामा को बोला ………ऐसे उपाय मत बताया करो ……….कन्हैया  सबसे भिड़ लेगा ………पर हमसे कुछ नही होगा …….बेकार में मैं आज मर जाता  !   मनसुख बोला  ……तो सब हँसे …………श्रीदामा नें कहा ……..ये मोर मुकुट तुझे ही शोभा देती है ……हमें नहीं ……….तू  कुछ और है …….तू  क्या है हमारी समझ में नही आता  !        श्रीदामा के नेत्र सजल हो गए थे  ।
अरे ! कुछ नही ………माखन खाता है खूब   ये अपना कन्हैया …….इसलिये इसमें ज्यादा शक्ति है …….मनसुख  का ये कहना है  ।
सखाओं नें कन्हैया को  बैठाया …….उसे  माखन खिलानें लगे …….
अच्छा ! अच्छा   बहुत हो गयी इसकी सेवा ……अब कुछ मेरी भी करो ……मुझे भी वो दैत्य ले गया था आकाश में ……..मर जाता मैं तो ?
सब सखा मनसुख की बातों पर हँसे …….कन्हैया  तो मनसुख से  हर समय प्रसन्न हैं ………ये कन्हैया को आनन्द देता रहता है  ।
श्रीदामा को अपनें हृदय से लगाते हुए कन्हैया नें कहा था ………..मैं तुम सबसे  बहुत प्रेम करता हूँ ……….सौगन्ध खाता हूँ अपनें बाबा की ।
कितना भोला है ना  !     अपना कन्हैया   ।

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