श्रीकृष्णचरितामृतम्
!! “सर्वरूप कन्हैया”- विधि मोह !!
भाग 8
कन्हैया नें मन ही मन कहा – ब्रह्मदेव ! देखो मेरी सृष्टि !
इसमें जीव नही है …..पंचभूतादि का कारण नही है ….कोई कर्म नही है …..न संस्कार हैं …..न प्रारब्ध ……फिर भी देखो ! मेरी सृष्टि !
तुम्हे ये सब चाहिये तब तुम्हारी सृष्टी बनती है ……..पर मुझे ! मात्र मेरे एक संकल्प की आवश्यकता है ।……अहंकार किस बात का ब्रह्मदेव !
तुम्हारी सृष्टि सामग्री मूलक है …..पर मेरी सृष्टि मात्र मेरे संकल्प से तैयार हो जाती है …………देखो !
उद्धव कहते हैं – तात ! देखो ब्रह्मा जब ग्वाल बछड़ों को चुराकर ले गए ………तब हँसते हुए कन्हैया अपनें संकल्प से स्वयं ही ग्वाल बन गए …….बछड़े बन गए ……..जितनी संख्या थी ग्वालों की उतनें ही बनें …….जैसा उनका स्वभाव था वो सब कन्हैया ही बन गए थे ।
इस रहस्य को अभी ब्रह्मा नें नही समझा ………..वो तो लौटकर अपनें ब्रह्म लोक में चले गए………..
पर इधर कन्हैया नें देखा ……ब्रह्मा ब्रह्मलोक जा रहे हैं ……..अगर ये ब्रह्म लोक के भीतर चले गए …….तो पृथ्वी में हजारों वर्ष तुरन्त बीत जाएंगे ………..एक क्षण ब्रह्म लोक का ………पृथ्वी का एक वर्ष होता है …….कन्हैया विचार करते हैं …….ब्रह्मा को रोकना होगा ब्रह्म लोक जानें से …..ऐसा विचार करके एक लीला और करनें की ठानी कन्हैया नें ।
वो ग्वाला कहीं भगवान है ? ये देवता लोग किसी को भी भगवान बना देते हैं ……ब्रह्मा क्रोधित हैं ………..पर उनका क्रोध ज्यादा देर तक ठहरा नही ………..क्यों कि अपनें लोक में वो जैसे ही प्रवेश करनें लगे …..द्वारपालों नें उन्हें रोक दिया ……….”आप नही जा सकते” ।
क्यों ? ब्रह्मा चौंके ……..मेरा लोक और मैं नही जा सकता , क्यों ?
द्वारपालों नें कहा ………नकली हो आप …..ये मुखौटा , चार मुख का मुखौटा लगानें से कोई ब्रह्मा नही हो जाता ……..जाओ जाओ , आप नकली ब्रह्मा हो ……….।
ब्रह्मा चकित हैं ………ब्रह्मा कुछ समझ नही पा रहे हैं कि ये हो क्या रहा है ! मेरे ही लोक में ये मेरे ही द्वारपाल मुझे रोक रहे हैं ।
अपनें आपको शान्त किया ब्रह्मा नें ……फिर द्वारपालों से बोले …….हम अगर नकली ब्रह्मा हैं तो असली ब्रह्मा कहाँ हैं तुम्हारे ?
द्वारपालों नें कहा ……भीतर हैं ……..उनकी ही आज्ञा है कि ……..नकली ब्रह्मा आएंगे तो उन्हे धक्के मारकर निकाल देना ………इसके बाद द्वारपाल ये भी बोले ………..हमें धन्यवाद करो कि हम धक्का नही दे रहे हैं …….नही तो ।
ब्रह्मा कुछ समझ नही पा रहे …..उनकी बुद्धि चकरा रही है ……….
क्रमशः …
Author: admin
Chief Editor: Manilal B.Par Hindustan Lokshakti ka parcha RNI No.DD/Mul/2001/5253 O : G 6, Maruti Apartment Tin Batti Nani Daman 396210 Mobile 6351250966/9725143877