Explore

Search

November 21, 2024 10:23 pm

लेटेस्ट न्यूज़

श्रीकृष्णचरितामृतम्-! शिवरात्रि पर अम्बिका वन की यात्रा !!-भाग 1: Niru Ashra

श्रीकृष्णचरितामृतम्-! शिवरात्रि पर अम्बिका वन की यात्रा !!-भाग 1: Niru Ashra

श्रीकृष्णचरितामृतम्

!! शिवरात्रि पर अम्बिका वन की यात्रा !!

भाग 1

महान नीतिज्ञ विदुर जी श्रीकृष्ण प्रेम में अब पूरी तरह से डूब चुके हैं ।

वे आनन्दित हैं ……वे परमानन्द में लीन हो गए हैं ।

बस – शब्द मौन हो गए उनके …….वो उद्धव को क्या कहें ……. एकाएक उठे हैं और अपनें आलिंगन में बांध लिया है उद्धव को ।

साधू ! साधू ! उद्धव ! मैं तुमसे बहुत प्रसन्न हूँ …..तुम जीते रहो …..और इस परम पावन श्रीकृष्ण प्रेम की सरिता को बहाते रहो …..तुम धन्य हो ….तुम्हारे जनक और तुम्हारी जननी धन्य हैं ।

इतना कहकर विदुर जी बैठ गए ………….कुछ देर के लिये दोनों ही मौन हो गए थे …….फिर विदुर जी बोले – उद्धव ! श्रीकृष्ण की प्रत्येक लीला दिव्य और अद्भुत है ……अन्तःकरण के कल्मष का नाश कर देनें वाली है ………….तुमने मुझे रास का प्रसंग जो सुनाया उससे मैं धन्य धन्य हो उठा हूँ ………और अब कृतकृत्यता का अनुभव भी कर रहा हूँ ……..क्यों की अब लग रहा है ……..क्या करना ? अब करनें के लिये क्या बचा है ! सब उसकी लीला है ……..बस लीला धारी की लीला का दर्शन करना है …………।

लम्बी साँस खींची विदुर जी नें……..उद्धव ! आगे की लीला सुनाओ …………मधुर का हर प्रसंग मधुर ही होता है ……”रास प्रसंग” ही मधुर है …..ऐसा कहना अनुचित होगा ……..मधुर की प्रत्येक लीला मधुरता से भरी है ………..उद्धव ! तुम मेरे बालक के समान हो ……..मैं तुम्हे अपना सम्पूर्ण पुण्य देता हूँ ………….मैं तुमसे बहुत प्रसन्न हूँ अब वत्स उद्धव ! सुनाओ ना आगे का प्रसंग !

विदुर जी के मुख से ये सुनकर वक्ता उद्धव बहुत प्रसन्न हुये …..और आगे का प्रसंग अतिउत्साह से सुनानें लगे थे ।


मेरे गुरुदेव बृहस्पति भगवान शंकर के बड़े उपासक थे ।

और वापस गुरु लोक से मैं जब बृजभूमि में आया …….और यहाँ आकर मैने देखा ………..परम वैष्णव ये बृजवासी …….भगवान शंकर की भी उपासना कर रहे थे और भगवती कात्यायनी की भी ।

अनन्य हैं ये…….इनके सबकुछ श्री कृष्ण ही हैं ……ये बृजवासी परम वैष्णव है……पर ये भले ही उपासना भगवान भूतभावन की करें या भगवती अम्बिका की …..ये करते हैं अपनें श्रीकृष्ण के लिये ।

श्रीकृष्ण की प्रसन्नता के लिये ……श्रीकृष्ण के अनिष्ट दोष हरण के लिये ……श्रीकृष्ण के सुख के लिये ……इन्हें कुछ भी करना हो करेंगे ।

इन्हें कोई कह दे गण्डा बांध लो …..श्रीकृष्ण प्रसन्न हो जायेंगे ……ये बृजवासी पूरे शरीर को गण्डा ताबीज़ से भर दें ………ये प्रेम है …..यही अनन्यता है ……..अच्छा ! तात ! आप ही बताओ ….इन बृजवासियों से अनन्य और वैष्णव कोई और है ? होगा ?

नही, कोई नही……विदुर जी संक्षिप्त सा बोले ।

अब देखो नन्दगाँव में ……धीरे धीरे समय बीतनें लगा …….आज नौ वर्ष के हो गए हैं श्रीकृष्ण …………फागुन का महीना आया है ।

सुनो ! कल शिव रात्रि है ……….क्यों न हम अम्बिका वन में जाएँ ….और वहाँ जाकर भगवान शंकर का अभिषेक करें ……….

बृजराज नें प्रातः में ही बृजरानी से इस सम्बन्ध में कहा था ।

बृजरानी कुछ कहतीं उससे पहले ही बृजपति नन्द जी बोल दिए ……..

हमारे लाला के अनिष्ट ग्रह शान्त हो जायेंगे …….सच मानों यशोदा !

हाँ , आजकल थोडा दुबला भी हो गया है ……खाता पीता भी नही है ।

बृजरानी बोल रही थीं ।….तभी – “खाता तो हूँ मैया ! तू भी ना !”

कन्हैया आगये थे ……और अपनी मैया बृजरानी को बोल रहे थे ।

चुप ! ज्यादा बोलता है मैया और बाबा के सामनें ………मैया नें डाँटा ।

अब मैं बड़ा हो गया…..नौ वर्ष का हो गया हूँ ……उससे भी ज्यादा ।

मैया ! देख ! मैं तुझ से बड़ा हो गया ……….खड़े हो गए थे अपनी मैया के साथ कन्हैया ….और नाप रहे थे अपनें को और मैया को ।

सुन ! अम्बिका वन जाना है……तैयार हो जा…..मैया नें अपनें लाड़ले को कहा ।

पर कल क्या है ?

 कल महाशिव रात्रि है .......और तुझे अभिषेक करना है ..........मैया नें  तेज आवाज में  स्पष्ट कहा  ।

*क्रमशः …

admin
Author: admin

Chief Editor: Manilal B.Par Hindustan Lokshakti ka parcha RNI No.DD/Mul/2001/5253 O : G 6, Maruti Apartment Tin Batti Nani Daman 396210 Mobile 6351250966/9725143877

Leave a Comment

Advertisement
लाइव क्रिकेट स्कोर
कोरोना अपडेट
पंचांग