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November 21, 2024 8:59 pm

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श्रीकृष्णचरितामृतम् : Niru Ashra

श्रीकृष्णचरितामृतम् : Niru Ashra

श्रीकृष्णचरितामृतम्

!! “मेरो व्याह कराय दे मैया”- अटपटी लीला !!
भाग 1

कन्हैया आँखें मलते हुए, दधिमन्थन करती हुई अपनी मैया बृजरानी के पीछे जाकर खड़े हो गए थे ।

नित्य, बृजेश्वरी ही जगाती थीं कन्हैया को …………पर आज इनका ध्यान माखन निकालनें पर था ……..और माखन निकालनें में इतनी तन्मय हो गयी कि ……..दिन भी निकल आया……..

आज स्वयं ही जगे थे नन्दलाल ………पहले कुछ देर ” ऊँ ऊँ ऊँ” करके रोये …….कुछ देर “मैया मैया” कहकर भी देख लिया …….पर जब देखा कि आज कोई नही है पास में …..न कोई सुन ही रहा है ……….तो उन्होंने रोना छोड़ दिया ………स्वयं ही उतरे पलंग से ……….और धीरे धीरे आँखों को मलते हुये आगये थे मैया के पास ।

पीछे से बृजरानी के गले में अपना एक हाथ रखा था …..और दूसरा हाथ उनकी ठोढ़ी में रखते हुए पूछा ……….”तू तो आजकल मेरी बात भी नही सुनती मैया ! “

पीछे मुड़कर देखा मैया नें……फिर हँसीं……आगे धीरे से खींचा अपनें लाल को…….फिर बोलीं……बस, एक घड़ी भर रुक जा ……माखन आनें ही वाला है ऊपर…..इतना कहते हुए फिर दधिमन्थन करनें लगीं ।

“पर मुझे भूख लगी है”…….लाला इस बार चिल्लाये ।

पर आज मैया बस मुस्कुराई लाला की ओर देखकर ………हाँ एक बार मुख चूम लिया था ……….फिर मथानी चलानें लगी ।

कन्हैया भी कहाँ माननें वाले थे ……..इस बार तो मथानी को ही पकड़ लिया …………अब कोमल छोटे करों नें जब मथानी को रोक दी …..तब मैया में भी हिम्मत न रही कि मथानी को चला सके ।

लाला ! तुझे क्या चाहिये ? अच्छा बता तुझे क्या दूँ ?

गोद में बिठा लिया लाला को …….और बड़े प्रेम से पूछनें लगीं ।

माखन ! मटकी में हाथ डालते हुए बोले कन्हैया ।

हट्ट ! हाथ मत डाल इसमें…….मैया बृजरानी नें हाथ हटा दिया ।

फिर बोलीं – लाला ! बस …….कुछ देर और मथानी चलानें दे ……….माखन निकल आएगा तब खिलाऊँगी तुझे ………

न हीं …………….फिर जोर से चिल्लाये ।

अभी …….अभी चाहिये माखन ! अभी ………गोद से उठ गए कन्हैया ……..और धरती में उछलने लगे ……..”माखन चाहिये” ।

मटकी में देखा मैया नें ………….माखन ऊपर आनें ही वाला है अब तो ……बस दो तीन बार और चला लुंगी मथानी तो हो ही जाएगा ।

लाला ! ए मेरे लाला ! बस रुक जा ! कुछ देर के लिये रुक जा !

मना रही है मैया अपनें लाला को …………

पर लाला भी हठी है………..ये मानता ही नही जल्दी ।

मन्थन छोड़ दे …….मैया ! ये सब छोड़ दे ……मुझे माखन दे …….

मैया नें गोद में ले लिया……अब क्या करे ऐसे “हठी गोविन्दा” को, ……”लाला ! कल का माखन खा ले”…….मैया नें पुचकारते हुए कहा ।

नही ……..ये माखन ………मटकी की ओर दिखाते हुए बोले ।

हद्द है ………मथानी की रस्सी निकाल कर फेंक दी कन्हैया नें ।

मैया अब क्या करे…..”इतनी जिद्द तो तू कभी करता नही था ! मान ले ना बात को लाला !

“नही ….माखन ……..और इसी में से” ………फिर वही हठ ।

मैया बृजरानी नें लाला के कपोल में थपकी देते हुए कहा ……….ऐसे जिद्दी बनेगा ना, तो तेरा ब्याह भी नही होगा ।

मेरा ब्याह ? कन्हैया सोचनें लगे …………..

मैया ! ब्याह क्या होता है ? मासूम से कन्हैया पूछ रहे हैं ।

मैया क्या बोले ………तभी सामनें मोर और मोरनी दिखाई दिए ……जो आँगन में दाना चुगनें के लिये आगये थे ।

देख ……..ये मोर है ….और ये उसकी मोरनी है ……..ऐसे ही तेरा ब्याह होगा ना …..तो तेरी भी बहु आयेगी ………….

क्रमशः….

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