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November 22, 2024 3:07 am

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श्रीकृष्णचरितामृतम् ..!! जब कन्हैया नें क्रोध में मटकी फोड़ी…!! : Niru Ashra

श्रीकृष्णचरितामृतम् ..!! जब कन्हैया नें क्रोध में मटकी फोड़ी…!! : Niru Ashra

श्रीकृष्णचरितामृतम्

!! जब कन्हैया नें क्रोध में मटकी फोड़ी…!!


भाग 1

कन्हैया अपनी मैया की गोद में बैठकर “स्नेह रस” का पान कर रहे हैं ।

मैया, “दर्शन रस” का पान करते हुए मुग्ध हैं………

देवता तो अमृत का पान करके तृप्त हो गए ……..पर उस अमृत में ये रस कहाँ था…….इस अमृत में तो विशुद्ध वात्सल्य का भरपूर रस मिला हुआ है…..तभी तो ब्रह्म, यशोदा के वक्ष से निकल रहे दूध को पीते हुए भी अघाते नही हैं ।

अब प्रसन्न हैं ………अत्यधिक आनन्दित हैं ……क्यों की मैया का ध्यान अब पूर्णरूप से कन्हैया पर ही है ……..

अभी तक चिड़चिड़े से थे कन्हैया ………कारण ?

कारण यही कि…..मैया का ध्यान लाला पर नही था ….माखन पर था, …माखन निकालनें पर था ।

पर अब ? अब तो पूर्णरूप से लाला में ही ध्यान है …….

दूध पी रहे हैं कन्हैया……..बीच बीच में ……..स्तनाग्र से मुख हटाकर अपनी मैया को देखते हैं ………दूध मुख में भरा हुआ है ……तभी हँसी छूट पड़ती है और मैया के मुखमण्डल में वो दूध फैल जाता है ।

दुष्ट !

बड़े प्यार से कहते हुये कपोल में हल्की चपत लगा देती हैं ।

खिलखिलाकर फिर हँस पड़ते हैं कन्हैया ……….

पीले दूध लाला ! ऐसे हँस मत…….नही तो दूध कण्ठ में अटक जाएगा….मैया को हर तरह से सुरक्षा करनी है अपनें लाला की ।

कन्हैया फिर दूध पीनें लगे………पर बीच बीच में फिर खिलखिला उठते हैं……..जब स्तनाग्र से मुँह हटाकर मैया की ओर देखते हुए …….”नही, ….मारूँगी अब” ……….मैया समझ जाती है कि मुँह में दूध भर लिया है …..और अब मेरे मुँह में फैलायेगा ।

तब लाला हँसते हुए उस मुँह के दूध को वापस निगल लेते हैं …….पर निगलते समय दूध कण्ठ में अटक जाता है ……और कन्हैया खांसनें लग जाते हैं……मैया घबडा जाती है…..उठाकर पीठ में थपथपी देती हैं ।

कन्हैया फिर प्रसन्न हो जाते…….और दूध पीनें लगते हैं ।

पर तभी –

*क्रमशः …

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