केन्द्रीय गृह मंत्रालय के निर्देशों के 15 वर्षों के बाद भी दमणगंगा पुल दुर्घटना के दोषियों से नुकसान की भरपाई नहीं !
* केन्द्रीय संयुक्त गृह सचिव बी.ए.कुटीनो ने 07-05-2007 को प्रशासक को पीडब्लूडी के तत्कालीन दोषी इंजीनियरों के विरूद्ध सूट फॉर रिकवरी ऑफ डैंमेजस का दिया था निर्देश
दमण। कोचर आयोग की सिफारिशों के 15 वर्षों के बाद भी पुल दुर्घटना के दोषी पीडब्लूडी के तत्कालीन पांचों इंजीनियरों से हर्जाने की वसूली अब तक नहीं हो पाई है।
कोचर आयोग ने 16 अक्टूबर 2006 को केन्द्रीय गृह मंत्रालय को सुपुर्द अपनी जाँच रिपोर्ट में पीडब्लूडी के तत्कालीन दोषी इंजीनियरों-जे.जी.राणा, एस.सी. हीरामथ, बी.के.गुप्ता, आई.एस.तलेकर और बी.सी.मोदी को दमणगंगा पुल दुर्घटना का दोषी करार दिया था। 28 अगस्त 2003 को दमणगंगा पुल दुर्घटना में 28 मासूम बच्चों समेत 30 व्यक्तियों की दर्दनाक मौत हुई थी।
कोचर आयोग की जाँच रिपोर्ट के आलोक में भारत सरकार के संयुक्त गृह सचिव बी.ए.कुटीनो ने आयोग की सिफारिशों की त्वरित अनुपालना सुनिश्चित कराने के लिए 07 मई 2007 को तत्कालीन प्रशासक आर.के.वर्मा को एक इमीडिएट लेटर ( पत्रांक संख्या-डीओ नं.यू-13034/64/06-जीपी ) भेजा था।
केन्द्रीय संयुक्त गृह सचिव के 03 पन्नों के इस पत्र में ” एक्शन टू बी टेकेन बाई यूटी एडमिनिस्ट्रेशन ” नाम के कॉलम में दूसरे पैराग्राफ में प्रशासक को निर्देश दिया गया है कि ” पीडब्लूडी के दोषी पांचों इंजीनियरों के विरूद्ध ” सूट फॉर रिकवरी ऑफ डैमेज ” का मुकदमा चला कर नुकसान की वसूली की जाये। ” इसी कॉलम में प्रशासक को इन दोषी पांचों इंजीनियरों के ” ओमिसन एण्ड कमीशन ” ( भ्रष्टाचार ) की भूमिका की पुलिस जाँच कराने का भी निर्देश दिया गया है।
दमणगंगा पुल दुर्घटना में अपने दो मासूम बच्चे गंवाने वाले स्थानीय मूल निवासी केशव एल. बटाक ने
तत्कालीन संयुक्त गृह सचिव बी.एस. कुटीनो के इस पत्र के आलोक में प्रशासक के सलाहकार ए.के. सिंह से आरटीआई में पीडब्लूडी के दोषी इंजीनियरों से ” रिकवरी ऑफ डैमेज ” के तहत वसूली गई रकम के बारे में जानकारी माँगी है। केशव एल.बटाक ने 29 अप्रैल 2021 को प्रशासक के सलाहकार ए.के.सिंह को सूचना अधिकार के तहत यह पत्र लिखा था।
पीडब्लूडी सुपरीटेंडिंग इंजीनियर ऑफिस, दमण ने 14 जून 2021 को आरटीआई के जवाबी पत्र में केशव. एल.बटाक को बताया कि सतर्कता विभाग से पीडब्लूडी को पुल दुर्घटना के दोषी पांचों इंजीनियरों से ऐसी किसी रिकवरी करने का कोई आदेश/ निर्देश नहीं मिला है।
सतर्कता विभाग ने 04 जून 2021 को आरटीआई के तहत माँगी जानकारी के संदर्भ में केशव एल.बटाक को भेजे अपने पत्र में बताया कि पुल दुर्घटना के दोषी पीडब्लूडी के पांचों इंजीनियरों से ऐसी किसी रिकवरी करने की हमें कोई सूचना नहीं है,और ना ही यह हमारे विभाग से संबंधित है।
गृह विभाग, दमण ने 27 मई 2021 को पीडब्लूडी सुपरीटेंडिंग इंजीनियर, ऑफिस के असिस्टेंट सर्वेयर ऑफ वर्कस को लिखे अपने पत्र में केशव एल.बटाक द्वारा आरटीआई में माँगी गई जानकारी को पीडब्लूडी से संबंधित बताते हुए उन्हें उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। उधर, केशव एल.बटाक ने आरटीआई में मिले जवाब से असंतुष्टि जताते हुए प्रशासन पर गोल-गोल जवाब देने का आरोप लगाया है।
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पुल दुर्घटना के दोषियों से रिकवरी नहीं करना भारत सरकार,संसद और न्यायपालिका की तौहीन : केशव बटाक
दमण । केशव एल.बटाक ने दमण प्रशासन पर पुल दुर्घटना के दोषी इंजीनियरों से नुकसान की रिकवरी करने में कोताही बरतने का आरोप लगाया है। केशव एल.बटाक ने प्रेस बयान में कहा कि दमणगंगा पुल दुर्घटना की गूंज जब संसद में सुनाई दी तब भारत सरकार ने इसकी न्यायिक जाँच कराने का ऐलान किया। भारत सरकार के तत्कालीन गृह मंत्रालय ने बॉम्बे हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जस्टिस आर.जे.कोचर की अगुवाई में जाँच आयोग का गठन किया और जाँच कराई। कोचर आयोग ने अपनी जाँच में पुल दुर्घटना को मानव सृजित भूल करार देते हुए पीडब्लूडी के तत्कालीन पांच इंजीनियरों को दोषी ठहराते हुए दंडित करने की सिफारिश की। भारत सरकार के संयुक्त गृह सचिव ने तत्कालीन प्रशासक को पांचों इंजीनियरों पर मुकदमा चला कर नुकसान की भरपाई करने का निर्देश दिया था। इसके 15 वर्षों के बाद भी दोषी इंजीनियरों से नुकसान की रिकवरी नहीं हो पाई है ! आखिर दमण प्रशासन दोषी इंजीनियरों से नुकसान की रिकवरी क्यों नहीं कर रहा है ? जाने-अनजाने में दमण प्रशासन यह एक और चूक कर रहा है ? यह सीधे-सीधे भारतीय संसद और भारत सरकार की अवहेलना है। और देखा जाये तो न्यायपालिका की अवमानना भी है। क्योंकि कोचर आयोग एक प्रकार से न्याय प्रक्रिया का हिस्सा था। केशव एल.बटाक ने कहा कि हमें मौजूदा भारत सरकार,गृह मंत्रालय और प्रशासक पर भरोसा है कि वो दोषी इंजीनियरों से नुकसान की भरपाई कर के पुल दुर्घटना के हम पीड़ितों को इंसाफ दिलाएंगे। पुल दुर्घटना के 21 साल होने को आये मगर हम पीड़ितों को अब तक मुकम्मल इंसाफ नहीं मिला है।
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