श्रीकृष्णचरितामृतम्
भाग 1
!! “श्रीराधा मुझे बुला रही है” – अब वृन्दावन की ओर !!
ये गोकुल महावन अब कुछ सूखा सूखा सा लग रहा है ?
यमुना की धार भी पतली हो गयी है…….दाऊ नें कन्हैया की ओर देखा – पूछा……क्या बात है कन्हैया ?
कोई बात नही है दादा ! ……कन्हैया बस मुस्कुराये ।
माखन खिला दिया था मैया यशोदा नें………इन्द्रयज्ञ में आज रात्रि भर जागरण होगा…..कीर्तन करनें वाले आ चुके हैं….ग्वाल बाल सब उत्साहित हैं…….सज धज कर गोपियाँ भी आयी हैं …..क्यों की सब बृजवासी इन्द्र यज्ञ की तैयारी में ही थे………
दाऊ दादा गए…….और उस टूटे हुए एक शाख में बैठ गए ।
अब कन्हैया भी वहीँ पहुँचें दाऊ को खोजते हुए…….दाऊ एक डाली में बैठे हुए हैं ….जो टूटी पड़ी थी…….कन्हैया भी उछलते हुए उसी में बैठ गए ।
गोकुल कुछ सूखा नही लग रहा ?
दाऊ दादा नें कन्हैया की ओर देखते हुए पूछा था ।
बस मुस्कुरा दिए कन्हैया ।
क्या पृथ्वी को फिर दण्डित करना पड़ेगा ? दाऊ दादा रोष प्रकट कर रहे थे………कन्हैया ! तुम आये हो इस धरा धाम में…….फिर इस धरा की इतनी हिम्मत कि…….शेष स्वरूप दाऊ की आँखें लाल हो गयीं थीं ।
दाऊ दादा ! “गोकुल छोड़कर अब हम सब वृन्दावन चलते हैं”……
कन्हैया नें सहजता में कहा ।
क्या ? दाऊ दादा चौंकें…….फिर बोले – अच्छा ! तो ये तुम्हारी लीला है …….पर क्या गोकुल में तुम्हे अच्छा नही लग रहा ?
दाऊ नें इतना तो पूछ ही लिया ।
“इन्द्र यज्ञ” कर रहे हैं मेरे ये बृजवासी……पर दादा ! “मेरे” होकर, एक देवता की पूजा ! क्यों ?
फिर तुम क्या चाहते हो ? दाऊ दादा नें पूछा ।
मेरे ही स्वरूप गिरिराज – गोवर्धन की पूजा…….मैं ये चाहता हूँ कि देवराज की पूजा छोड़कर गिरिराज गोवर्धन की पूजा की जाए ।
पर यहाँ दादा ! गोवर्धन नही हैं ……..न वो कुँजें हैं …….मुझे वेणु नाद् करना है …….पर वो सब यहाँ नही होगा ।
कन्हैया बोलते गए – दादा ! मुख्य बात तो मैं कहना भूल ही गया …….
“मेरी श्रीराधा मुझे बुला रही है”……वृन्दावन हमारा स्थान नही है …….हमारा स्थान तो ये गोकुल है ……..वृन्दावन तो मेरी प्राणेश्वरी श्री राधा रानी का है ………और वो वृन्दावन , जब मेरे बाबा उनके बाबा से प्रार्थना करेंगें और वो कृपा करके दें “वृन्दावन वास” , तो ही हो सकता है ।
वो पूरा क्षेत्र बृहत्सानुपुर ( बरसाना ) के अंतर्गत आता है ……….और बरसाना के राजा हैं श्री बृषभान जी………कन्हैया वृन्दावन की चर्चा करते हुये अतिप्रफुल्लित थे ।
बहुत सुन्दर वन है वृन्दावन …………दाऊ दादा ! वहाँ बहुत आनन्द आएगा …………..वहाँ कुञ्ज हैं , वहाँ निकुञ्ज हैं ………मोरों की भरमार है ….पक्षियों का कलरव निरन्तर होता ही रहता है ………यमुना भरी हुयी हैं वहाँ ……दादा ! अद्भुत है वृन्दावन , हम सब अब वहाँ जायेंगे 🙏
क्रमशः …
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