Explore

Search

September 14, 2025 12:10 am

लेटेस्ट न्यूज़
Advertisements

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 60 !!-प्रेमाश्रु – प्रवाह भाग 3 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 60 !!-प्रेमाश्रु – प्रवाह भाग 3 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 60 !!

प्रेमाश्रु – प्रवाह
भाग 3

यमुना में बाढ़ आयी हुयी थी ………..उफनती यमुना में हा श्याम ! कहते हुये कूद गयी हमारी लाडिली ।

उधर से चन्द्रावली सखी आगयी थी …..वैसे तो हमारी श्रीराधा से ईर्श्या करती थीं ये चन्द्रावली….पर पता नही क्यों जब से कन्हाई गए हैं मथुरा , तब से हमारी श्रीराधारानी के प्रति इनका प्रेम बढ़ गया है ।

कूद गयीं चन्द्रावली यमुना जी में ………और जैसे तैसे हमारी स्वामिनी को बचा लिया था ।

बाहर लेकर आईँ ……….और चन्द्रावली नें बड़ी सेवा की ।

जब श्रीराधा को कुछ भान हुआ……..तब चन्द्रावली यही कहते हुए उठी ………तुम मत मर जाना राधा ! नही तो वृन्दावन कभी नही आएगा कृष्ण………मैं अब समझीं हूँ……..प्रेम तो श्याम नें तुझ से किया है ………….मैं कहाँ हूँ तेरे सामनें राधा !

और अगर कृष्ण नें ये सुन लिया कि मेरी प्राणाराध्य श्रीराधा का शरीर छूट गया ………तब तो ।

ये कहते हुए उठीं चन्द्रावली ……..अरे ! इन्हें बचाकर रखो !

कृष्ण आएगा अब वृन्दावन तो इसी के लिये आएगा ।

चन्द्रावली कितनी जलती थी हमारी लाडिली से ………पर हमारी लाडिली तो भोरी हैं ……ईर्श्या क्या है इन्हें पता ही नही है ।

लो ! ये चित्रपट है ………………..

चन्द्रावली , कृष्ण का एक मनोहारी चित्र दे गयी श्रीराधा रानी को …..

और ये कहती हुयी गयी ………..राधा ! ये चित्र स्वयं कृष्ण नें मुझे दिया था ….अपनें हाथों से दिया था ………पर मैं क्या करूँ इस चित्र का …….वो प्यार तो तुमसे करता है…….लो ! तुम इसे रख लो ……और सुनो ! इसे देखती रहो ……..तुम जिन्दा रह लोगी …….और तुम्हे जिन्दा रखना आवश्यक है ……………नही तो हमें अब कहाँ मिलेंगें वे श्याम ! राधा ! तुम्हारी कृपा से ……तुम्हारे माध्यम से ही अब हमें श्याम की प्राप्ति होगी ………..तुम खुश रहो बहन ! सिर में हाथ रखते हुए श्रीराधा रानी के चन्द्रावली चली गयी ………..।

जीजी ! धन्यवाद ! उस चित्र को देखकर हमारी लाडिली कितनी खुश हो गयी थी ………..वो उसी चित्र को चूमती ……..सजाती …..बतियाती ………..पर ……..उनका उन्माद वैसा ही है …….कहूँ तो उनका उन्माद और बढ़ रहा है ……….महर्षि ! ये कब तक चलेगा ?


महर्षि ! क्या श्याम आयेंगें ?
….ये आँसू कब तक बहते रहेंगें …..? महर्षि ! मैं आपके पास आयी ही इसलिये हूँ कि आप मुझे श्रीराधा कृष्ण के बारे में कुछ बताएं ।

ललिता सखी की बातें सुनकर मैने प्रथम उन्हें प्रणाम किया ………वो चकित भाव से मुझे देखनें लगीं ………..

मैने हाथ जोड़ लिए ………..हे ललिताम्बा ! आप ही चिदशक्ति की मूल हो ….आप ही परा प्रकृति हो ……….भगवान शिव के हृदय में विराजनें वाली हे मूल प्रकृति की स्वामिनी – आपकी जय हो जय हो ।

स्तुति करते हुए आनन्दित हो रहे हैं महर्षि ! तब कहते हैं ……..आप सबकी स्वामिनी हैं ……पर आपकी भी जो स्वामिनी हैं वो ब्रह्म की आल्हादिनी शक्ति हैं …….फिर उनकी बात कौन कर सकता है ।

जिन सर्वेश्वरी श्रीराधिका के पद नख छटा से रमा, उमा, सावित्री सब प्रकट होती हैं …….जिन श्रीराधा की घुँघरू की ध्वनि से ओंकार नाद का प्राकट्य होता है …………ऐसी श्रीराधा जो ब्रह्म की ही सदा बिहारिणी हैं…….ऐसी श्रीराधिका रानी के लिये आप चिंतित हो ?

ये सब लीला है…………ब्रह्म लीला कर रहा है ………..हे ललिताम्बा ! आपको कौन समझा सकता है ………प्रेम में संयोग और वियोग दोनों ही होते हैं …….संयोग हो और वियोग न हो …..तो प्रेम पूर्ण रूप से खिल नही पाता …….न उसकी सुगन्ध ही फ़ैल पाती है ।

आकार लेकर प्रकट हुए हैं पृथ्वी पर..ब्रह्म और आल्हादिनी ……….तो उस विशुद्ध प्रेम के प्रसार और प्रचार के लिये ही ना ? हे ललितादेवी ! मिलन हुआ ….रास लीला हुयी…..महारास भी पूर्ण हुआ…..अब ?

अब वियोग का दर्शन कराया जा रहा है ………क्यों की प्रेम पुष्ट मात्र वियोग से होता है……..संयोग से नही ।

सौ वर्ष तक का वियोग……..सौ वर्ष तक ऐसे ही रहना पड़ेगा……

महर्षि नें ललिता देवी को बताया…………….

ललिता सखी समझ गयीं ……….ये अवतार काल की लीला है ……और ये लीला अभी सौ वर्ष तक ऐसे ही चलनें वाली है ……………..

ललिता सखी नें प्रणाम किया महर्षि को ……और वहाँ से चल दीं ।

क्यों की “लीला” है !

नौका को चलाते हुए रात में बरसानें पहुँची थीं ललिता सखी ।

शेष चरित्र कल –

admin
Author: admin

Chief Editor: Manilal B.Par Hindustan Lokshakti ka parcha RNI No.DD/Mul/2001/5253 O : G 6, Maruti Apartment Tin Batti Nani Daman 396210 Mobile 6351250966/9725143877

Leave a Comment

Advertisement
Advertisements
लाइव क्रिकेट स्कोर
कोरोना अपडेट
पंचांग
Advertisements