अनुचिंता-3 By Anjali Nanda,(Anjali R Padhi) President Shree Jagannath Mandir Seva Sansthan (SJMSS),Daman

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अनुचिंता-3 By Anjali Nanda,(Anjali R Padhi) President Shree Jagannath Mandir Seva Sansthan (SJMSS),Daman

जगन्नाथ स्वामी दया और कृपा के अथाह सागर है,अर्थात अपनी कृपा की वृष्टि करने वाले मेघो के जैसे है I जगन्नाथ मय हो आप सबका जीवन। जगन्नाथ मय हैं आप सबकी भक्ति I भक्ति के तुलसी वर्षा करिये प्रभु पर, ह्रदय में प्रेम के प्रदीप जलायें जय श्री जगन्नाथ🙏 कृतज्ञता एक दिव्य प्रकाश हैं, एक पावन यज्ञ । प्रभु ने जो दिया है, हम उसके ऋणी हैं, हमे श्रद्धावान होकर इस अभिव्यक्ति को भक्ति में रूपांतरित करके प्रभु को लौटा देना, कृतज्ञता का मूलमंत्र है। भक्ति में बिलिन हो जाना I ‘गीताकार’ ने कहा है कि तुम लोग इस यज्ञ के के माध्यम से देवताओं को उन्नत करो और देवता तुम लोगों को उन्नत करें।
इस प्रकार नि:स्वार्थ भाव से तुम परम कल्याण को प्राप्त हो जाओगे। भक्ति यज्ञ से दैवीय शक्तियां प्रसन्न होती हैं और देवता यज्ञ करने वाले को सौभाग्यशाली,धन्य,प्रसन्न कर देते हैं।
इसी एक गुण के बल पर भावना और संवेदना का जीवंत वातावरण निर्मित हो सकता है। कृतज्ञता के माध्यम से समाज और इंसान में एक सहज संबंध विकसित हो सकता है,I
भगवान इस संसार की शुरुआत से पहले भी थे और इस संसार के अंत के बाद भी रहेंगे। हम सभी मनुष्यों को गीता के पहले श्लोक के पहले शब्द ‘धर्म’ और आखिरी श्लोक के आखिरी शब्द ‘मम ‘ को याद रखना ही काफी है। धर्म मम का मतलब है- धर्म मेरा है, मै धर्म का हूं। इसलिए जो भी श्रीकृष्ण को इस भावना से स्मरण करेगा वो उन्हें पा सकेगा। कुरुक्षेत्र की रणभूमि में अर्जुन को योग के बारे में बताते हुए श्रीकृष्ण कहते हैं कि मुझे पाने के तीन मार्ग हैं- कर्म योग, ज्ञान योग और भक्ति योग। अगर कोई व्यक्ति इन तीन मार्ग पर भी न चल सके तो मुझे सबसे आसान तरीके से पा सकता है और वो मार्ग है- शरणागति। जो भी मेरे शरण में आ जाएगा उसे इस भवसागर से पार लगने में क्षणभर भी नहीं लगेगा।
जिस परमेश्वर ने हमें जीवन में इतना सब दिया है, उसके प्रति कृतझता ज्ञापित करना भी बहुत आवश्यक होता है। परन्तु उनका धन्यवाद करना हम सभी भूल जाते हैं। फिर भी वह हमें नहीं भूलता और बिनमाँगे समयानुसार हमारी झोलियाँ अपनी नेमतों से भरता रहता है। सबसे बड़ी बात यह है कि वह मालिक कभी हम पर अहसान नहीं जताता।
सांसारिक होना मनुष्य के संस्कार है। उसके साथ ही उसे उस परमपिता परमेश्वर का याद करना रास है। धन्यवाद करते रहना चाहिए प्रभु के वह कदम-कदम पर हम सबकी सहायता करता है और जीवन में वह सब कुछ देता है जिसकी हमें आवश्यकता होती है।
हम दोस्तों को प्रसन्न करने के लिए, धन्यवाद करने के लिए कई मैसेज भेजता है अथवा कार्ड भेजता है। परन्तु उस मालिक को धन्यवाद करने के लिए कोई मैसेज नहीं भेजता। यदि हम सच्चे मन से हर समय परमेश्वर का धन्यवाद कर ले तो हमारे जीवन में बहुत कुछ बदल सकता है। मेरे प्रिय जन, अवसर मिले तो उस परमेश्वर का धन्यवाद अवश्य करें , उन्होंने ऐसा स्वर्णिम अवसर दिया हम सब को । अपने कार्यक्षेत्र में जाते समय अथवा वापिस लौटते समय, सोते-जागते समय प्रभु का सदा ही धन्यवाद करना चाहिए जिसने जीवन को सुविधा पूर्वक चलाने की सामर्थ्य दी है।

अपने सम्मान को समर्पित कर दीजिये।”हमारा कार्य समाप्त नहीं हुआ है ,हमने मिलकर जो कार्य किया है और कर रहे हैं उससे सैकड़ों लोगों के जीवन में परिवर्तन आया है और आयेगा । हमें पहले से भी अधिक समर्पण से इस यात्रा को जारी रखने है। जय श्री जगन्नाथ🙏

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