भगवान के मंदिर निर्माण के लिए देशद्रोही तत्वों का सहयोग लेना एक संवेदनशील मुद्दा है। इस विषय पर कई दृष्टिकोण हो सकते हैं:

- धार्मिक और सांस्कृतिक संवेदनशीलता: मंदिर निर्माण धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक होता है। ऐसे में, देशद्रोही तत्वों से सहयोग लेना उन मूल्यों के खिलाफ जा सकता है, जिनका सम्मान किया जाना चाहिए।
- समाज में एकता: देशद्रोही तत्वों के सहयोग से सामाजिक एकता और सद्भाव प्रभावित हो सकता है। यह महत्वपूर्ण है कि मंदिर निर्माण ऐसे लोगों के सहयोग से न हो, जो समाज में विभाजन या विवाद उत्पन्न कर सकते हैं।
- राष्ट्रीय सुरक्षा: किसी भी धार्मिक स्थल का निर्माण राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण होता है। ऐसे तत्वों से सहयोग लेना, जो देश के खिलाफ काम करते हैं, सुरक्षा के लिए जोखिम पैदा कर सकता है।
- जनता की भावनाएँ: यदि जनता को यह पता चले कि मंदिर निर्माण में देशद्रोही तत्वों का हाथ है, तो यह उनके धार्मिक भावनाओं को आहत कर सकता है, जिससे विवाद उत्पन्न हो सकता है।
इसलिए, यह उचित है कि मंदिर निर्माण के लिए ऐसे लोगों का सहयोग न लिया जाए जो देश की एकता और अखंडता के खिलाफ हैं।

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