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November 21, 2024 11:20 pm

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श्रीकृष्णचरितामृतम्-!! शिवरात्रि पर अम्बिका वन की यात्रा !!-भाग 2 : Niru Ashra

श्रीकृष्णचरितामृतम्-!! शिवरात्रि पर अम्बिका वन की यात्रा !!-भाग 2 : Niru Ashra

श्रीकृष्णचरितामृतम्

!! शिवरात्रि पर अम्बिका वन की यात्रा !!

भाग 2

सुन ! अम्बिका वन जाना है……तैयार हो जा…..मैया नें अपनें लाड़ले को कहा ।

पर कल क्या है ?

 कल महाशिव रात्रि है .......और तुझे अभिषेक करना है ..........मैया नें  तेज आवाज में  स्पष्ट कहा  ।

मैया ! राधा को भी ले चलें ? नजरें झुकाकर बोले थे ।

अरे ! अरे ! कान तो छोड़ मैया ! ………राधा को ले जाएगा ? हैं !

मैया ! कान छोड़ !

नन्द बाबा हँसें ………सब जा रहे हैं ………बरसानें वाले भी और हम नन्दगाँव वाले भी …….और वहाँ जाकर जागरण होगा पूरी रात ……क्यों की शिव रात्रि है ना !

तभी ………..मनसुख , मधुमंगल, तोक , सुबल, अर्जुन सब सखा ख़ुशी से उछलते हुए आगये थे…….सुन ! हम लोग अम्बिका वन जा रहे हैं ? सखाओं नें पूछा ।

हाँ, हम सब लोग जा रहे हैं अम्बिका वन । श्रीकृष्ण बोले ।

……वाओ ! क्या आनन्द आएगा ……..ख़ुशी से उछल रहे थे सखा ।

गोपियों के आनन्द का तो कोई ठिकाना ही नही है ।

सुन्दर सुन्दर सज धज के गोपियाँ चलीं ……सजी धजी है बैलगाड़ी भी ।

उसमें बैठ गयीं …..बड़े सुन्दर बृषभ जुड़े हुये हैं उन गाड़ियों में …..गाड़ियाँ कोई एक दो थोड़े ही हैं ……अनेक हैं सैकड़ों हैं ।

बरसानें से बृषभान जी चले हैं ….उनके साथ उनका पूरा परिकर है …..सखियों के साथ श्रीराधारानी एक सुन्दर सी बैल गाडी में बैठी हैं ।

श्याम सुन्दर और उनके सखा आगे बैठे हैं ………….गाडी चालक गोप को इन लोगों नें पीछे बैठा दिया है ………..श्रीकृष्ण गाड़ी की रस्सी पकड़े गाडी को चला रहे हैं ………..सामनें से गुजर रही है श्रीराधा और उनके सखियों की गाडी ।

बैलों का हंकारा तो बैल भागनें लगे ।

जब बैल जोर से भागे तो सखा सब डर गए ………डरकर चिल्लाये ।

श्रीराधा जी की सखियाँ सब हँसी ……………

दाऊ ! ओ दाऊ ! सम्भाल तू ! ये गाडी कैसे भाग रही है ….और वो चालक गोप कहाँ है ? मैया बोली ………वो दूसरी गाडी में थीं ।

चालक पीछे बैठा था ….उसे बैठा दिया गया था …….वो चिल्लाया …..मैया ! ओ मैया ! मुझे नही दे रहे ये गाडी चलानें ।

दाऊ ! इसे आगे कर ……..और इसे दे …….कन्हैया को बोल वो हट जाए ….और शान्ति से बैठा रहे …….नही तो पीटूँगी !

मैया का क्रोध ………….।

चालक आगे आगया ………..आगे आकर बैठा …..कन्हैया इतना सा मुँह बनाकर बगल में बैठ गए ……………

अब ये सब देखकर श्रीराधा जी की सखियाँ हँसनें लगीं ……….श्रीराधा जी भी हँस रही हैं अद्भुत दृश्य हो गया वहाँ …….गाडी चल रही है …..धूल उड़ रही है बृषभ के कण्ठ में लगी घण्टी अब तेज बज उठी ।

कुछ देर ही हुआ होगा ……कि बैल उछलनें लगे थे …………गाडी चालक से अब सम्भाला नही जा रहा ……….सखा सब चिल्लानें लगे थे ।

ये क्या हो रहा है ? मैया बृजरानी नें देखा तो वो चिल्लाईँ ।

कुछ नही मैया ! अपनें इस कन्हाई को समझा लो …….वाहन चालक इससे ज्यादा और कुछ कहे क्या !

कन्हैया ! ये क्या कर रहा है तू ! क्यों परेशान कर रहा है उस चालक को ….गाडी क्यों नही चलानें दे रहा ?

मैया नें जैसे ही डाँटा जोर से कन्हैया को ………बस ……दूसरी ओर गाडी से जा रही बरसानें की गोपियाँ फिर हँस पडीं ……….

ये देखकर कन्हैया को और गुस्सा आगया……….गाडी में ही उठकर खड़े हो गए कन्हैया ……और चिल्लाकर बोले ……..मुझे ही डाँटती रहती है …….दाऊ को तो कोई कुछ कहता नही है …..मैं ही हूँ सबका बैरी ।

अब ये जब सुना मैया नें ……..तब वो दाऊ को डाँटनें लगीं …..दाऊ ! क्यों , क्यों परेशान कर रहा है बैलों को ?

अब तो दाऊ से भी रहा नही गया ……..वो भी उठकर खड़े हो गए …..

मैया ! मुझे क्या डाँट रही हो ………..यही तेरा लाला मुझ से कह रहा है ……..किसी को मत बताना ……दाऊ ! बैल की एक पूँछ तू पकड़ और एक मैं …..और पूँछ को जोर से हिला देते हैं ।

ये सुनते ही ……….बरसानें की सखियाँ तो पेट पकड़ कर हँसनें लगीं …..और कन्हैया को इशारा करके कहनें लगीं ……वाह जी ! वाह !

उद्धव आनन्दित होकर बोले ……इस तरह आनन्द लेते हुये सब बृजजन अम्बिका वन में पहुँच गए थे ।

*शेष चरित्र कल –

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