श्रीकृष्णचरितामृतम्
!! बृज की ओर अक्रूर !!
भाग 2
भगवान श्रीनारायण का नामोच्चारण करते हुये अक्रूर जी बृज के लिये चल दिए थे ।
दधि मन्थन किया यशोदा जी नें…….दूध अग्नि में बैठाया ।
फिर आकर देखा कन्हैया सो रहा है…….बड़ी गहरी नींद में है ।
जीजी ! आप आज बारबार क्या देखती हो लाला के पास आकर ?
रोहिणी माँ नें पूछा था ।
पता नही रोहिणी रात्रि से ही मेरा मन बड़ा उदास है ……….क्यों उदास है कारण जानना चाहती हूँ पर कुछ समझ में नही आता ……….
बृजरानी इतना ही बोलीं और फिर अपनें लाला को देखनें लगीं थीं ।
पर जीजी ! आपको क्या लगता है ? मन उदास होंने का कारण ?
रोहिणी ! मुझे पता नही ऐसा क्यों लग रहा है कि ……ये मेरा लाला मुझ से दूर चला जाएगा ……..फिर कभी नही मिलेगा ।
मैने कल एक स्वप्न भी देखा था……..बस उसके बाद से ही ………..
क्या देखा आपनें जीजी ! रोहिणी नें भी पूछ लिया ।
लम्बी साँस लेकर बृजरानी बोलीं ………………मेरा लाला राक्षसों से घिरा है ………….रोहिणी ! मुझ से सपना कहा भी नही जा रहा ……क्या कहूँ ………..बड़ा भयानक सपना था …………समुद्र ….समुद्र में जा रहा है मेरा लाला ………….मैं उसे देख रही हूँ …………समुद्र कि लहरें हैं ….उन्हीं लहरों में खो जाता है ये ।……………बृजरानी रोनें लग जाती हैं ………..रोहिणी उन्हें सम्भालती है ।
क्या हुआ, लाला उठा नही है क्या ? बृजराज यमुना स्नान करके आगये हैं ……..अब सूर्योदय होनें वाला है ………..लालिमा छा गयी है नभ में ………..
अपनें अश्रुओं को पोंछ यशोदा फिर जाती हैं अपनें लाला के पास …….बैठ जाती हैं …….उसकी घुँघराली अलकों को मुख से हटा देती हैं …….अब ऐसा लग रहा है ….जैसे चन्द्रमा से बादलों को हटा दिया हो ।
मैया !
अपनी दोनों लम्बी लम्बी भुजाएँ मैया के सामनें फैला देते हैं …..मैया माथे को चूमती है ………….मैया ! क्या बात है तू आज उदास है ?
उठते ही कन्हैया नें पूछा था ।
अरे ! बन्द कराओ ना इसे ………रोटी देकर आओ ……जाओ ! ये श्वान कल से ही रो रहा है …..रोना शुभ नही है ।
मैया झल्ला उठती हैं ।
कन्हैया समझ जाते हैं आज मैया उदास है ………कन्हैया उठते हैं ………स्नान करते हैं स्वयं ही ………….
तू नहा लिया ? मैया को होश नही है आज ।
हाँ , तन स्वच्छ वस्त्र से पोंछते हुये कन्हैया बोले ।
तुझे अब मेरी जरूरत नही है , है ना ? तू अब मेरे बिना भी सब कर सकता है ….बड़ा हो गया है । यशोदा मैया अपनें में ही नही हैं आज ।
कन्हैया अपनी कमलनाल के समान भुजाएँ मैया के गले में डाल देते हैं …..मेरी भोरी मैया ! बता आज क्या हुआ है तुझे ?
मैया के अश्रु बह रहे हैं ।
………..तू रोती क्यों है ? मैया कुछ नही कहती ……….
माखन लेकर आती है ………..जो उसनें ताजा निकाला था अभी अभी ।
कन्हैया मुँह धोकर माखन खाते हैं ।
……….अभी तक ग्वाल बाल नही आये ? बृजराज पूछते हैं ।
तभी सब ग्वाल बाल आगये हैं ……..पर ये सब भी आज उदास हैं …….और उदास क्यों हैं ये भी किसी को नही पता ।
क्या हुआ ? आँखें मटकाते हुए कन्हैया नें सखाओं से पूछा था ।
कुछ नही…..श्रीदामा नें कहा….हाँ ये सियार बहुत रो रहे हैं , लगता है वृन्दावन उदास है ……..वृन्दावन में कुछ अमंगल होनें वाला है ……
ऐसे नही कहते …..बृजराज समझाते हैं …………
श्रीकृष्ण कन्हैया सबके साथ चल दिए थे गौचारण के लिये ।
शेष चरित्र कल –
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