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October 14, 2025 6:14 pm

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श्रीकृष्णचरितामृतम-पौंड्रक मुक्त हुआ ! “उत्तरश्रीकृष्णचरितामृतम 44”-भाग 1 : Niru Ashra

श्रीकृष्णचरितामृतम-पौंड्रक मुक्त हुआ ! “उत्तरश्रीकृष्णचरितामृतम 44”-भाग 1 : Niru Ashra

श्रीकृष्णचरितामृतम

पौंड्रक मुक्त हुआ ! “उत्तरश्रीकृष्णचरितामृतम 44”

भाग 1

“ मैं पौंड्रक कृष्ण वासुदेव , पृथ्वी में मेरा अवतार हुआ हैं …अवतार का कारण जन जन के दुःखों का हरण करना है ……पूरा विश्व मेरी ओर देख रहा है मुझे पुकार रहा है …. किंतु ये क्या ! तुम मेरी द्वारिका में बैठे हो …. और अपने आपको वासुदेव कृष्ण कहकर प्रचारित भी कर रहे हो ये मिथ्या संभाषण बंद करो……”

तात ! मैं ही था जो उस नक़ली कृष्ण के पत्र को पढ़ था एक दूत नें आकर मुझे पत्र दिया उस समय “सुधर्मा” नामक अपनी सभा में श्रीकृष्ण बैठे थे उन्होंने पत्र पढ़ते हुए और मुझे हंसते हुए देखा तो बोले – येसा क्या लिखा है उद्धव ! जिसे पढ़कर तुम इतना हंस रह हो मुझे भी सुनाओ ना ! तब मैंने वह पत्र सबके सामने सभा में ही सुना दिया था । पत्र पौंड्रक का था वो अपने आपको भगवान वासुदेव घोषित करना चाह रहा था ……लोग उसे मान भी रहे थे ये उसका अन्तिम दांव था ओह ! कितनी सहजता से उसनें मान लिया था कि पत्र पढ़कर ही कृष्ण द्वारिका छोड़ देंगे !

पत्र आगे पढ़ो उद्धव ! द्वारिकाधीश बोले थे।

समस्त प्राणी मुझे अपना भगवान मान चुके हैं इसलिये कुछ चतुराई मेरे सामनें दिखाना मत …मेरे मित्र काशीनरेश हैं ……..

अगर तुमने द्वारिका नहीं छोड़ी तो मेरे साथ युद्ध के लिए तैयार हो जाओ ।

अन्तिम में जो लिखा था उसे सुनकर द्वारिकाधीश बहुत हंसे थे ……

“ये बात भूलना नहीं, मैं जरासन्ध से ज़्यादा शक्तिशाली हूँ”

पौंड्रक कृष्ण वासुदेव ।

अब तो मिलना ही पड़ेगा इस पौंड्रक कृष्ण से …….श्री कृष्ण जब ये बोले तो सभा हंस पड़ी थी ….पर तात ! उस समय मैंने श्रीकृष्ण से प्रार्थना की थी कि इस पौंड्रक के यहाँ जब आप जाएँ तो मुझे भी ले जाएँ मुस्कुराए श्रीकृष्ण मेरे स्कन्ध में अपनें कर रखते हुए सभा से उठ गए थे …….

पर उद्धव ! तुम जाना क्यों चाहते हो पौंड्रक को देखने ?

नाथ ! वो पौंड्रक आप जैसा बना है आपके जैसा रूप चाल भेष सब धारण किया है ….तो नाथ ! चिंतन आपका कितना गहरा किया होगा उसने मुक्ति तो होगी ही उसकी !

भगवान श्रीकृष्ण मुस्कुराए थे मेरी बात सुनकर …..फिर तुरंत बोले अभी चलें पौंड्रक के पास !

मुझे क्या आपत्ति होती ….अपने सारथी दारूक को बुलाया श्रीकृष्ण नें मुझे अपने साथ रखा और चल पड़े थे पौंड्रक के राज्य की ओर ।

क्रमशः …
शेष चरित्र कल –

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Author: admin

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