श्रीकृष्णचरितामृतम्
!! “द्वारिका की ओर सुदामा” – उत्तरश्रीकृष्णचरितामृतम् 60 !!
भाग 1
दे तो दूँगी , पर लौटाओगी कैसे सुशीला !
पति सुदामा ने कभी हाथ नही फैलाया पर द्वारिका भेजने के लिए सुशीला चल पड़ी थी अपने अड़ोस पड़ोस में चिउरा माँगने ।
अरे ! कौन माँगने आया है ? दूसरी पड़ोसन पूछ रही थी ।
सुशीला है , उत्तर दिया ।
ये लोग तो कभी माँगे नही , फिर आज कैसे माँग रहे हैं ।
बहन ! मेरे पति द्वारिका जा रहे हैं , द्वारिकाधीश मेरे पतिदेव के मित्र निकले ।
सुशीला समझा रही है अपने अड़ोस पड़ोस की महिलाओं को ।
क्या वहाँ जाकर द्वारिकाधीश से भीख माँगेंगे तेरे पति ? सुशीला की हंसी उड़ाई जाने लगी ।
मित्र निकले ? इसका क्या मतलब हुआ ? ये कहकर सब हंसने लगीं ।
और देखो! मित्रता भी जोड़ी है तो किससे , द्वारिकाधीश से ।
मैं झूठ नही कह रही , बहन ! सुनो , बचपन में दोनों साथ पढ़े थे अवंतिकापुरी में ।
सीधी सादी है सुशीला , जो बात है कह दी ।
सुशीला ! द्रुपद और द्रोणाचार्य की चर्चा तो सुनी होगी तुमने , कहीं ऐसा ही न हो जाए ।
ये दोनों भी मित्र थे , साथ साथ पढ़े थे , पर द्रुपद क्षत्रिय और द्रोण ब्राह्मण ।
शिक्षा पूरी हुई , तो द्रुपद अपने राजमहल में , द्रोण अपनी झोपड़ी में ।
पड़ोस की महिलाएँ सुशीला को ये कहानी सुनाने लगी थीं ।
बेचारी सुशीला सुन रही है , क्या करें ।
तेरे पण्डित सुदामा की तरह द्रोण की भी शादी हो गयी , अब गरीब घर, कुछ नही था पास में ।
सुशीला ! तेरी तरह , ये कहकर सब हंसने लगी थीं ।
घर में एक दिन देख लिया द्रोण ने, द्रोण की पत्नी अपने बालक को दूध पिला रही थी , पर वो दूध नही था , आटे का घोल पिला रही थी ।
सुशीला ! ये देखकर द्रोण को बड़ा दुःख हुआ , वो उसी समय द्रुपद के पास चले गए माँगने के लिए । पर तुम जानती हो , राजा द्रुपद ने अपमान करके भेज दिया द्रोण का ।
इसलिए सोच लो , कहीं अपमान न हो जाए तुम्हारे पति सुदामा का ।
नेत्रों से अश्रु बह चले थे सुशीला के , वो द्रुपद नहीं हैं , वो द्वारिकाधीश हैं ,
करुणा से भरे, कृपा के सागर हैं , द्रुपद की तुलना मेरे द्वारिकाधीश से मत करो ।
सुशीला समझ गयी कि ये सब मेरा मज़ाक़ उड़ाने वाली हैं चिउरा मुझे कोई नही देगा ।
वो हाथ जोड़कर बोली , मत दीजिए चिउरा , पर मेरे पतिदेव और उनके मित्र को हास्य का विषय मत बनाइए । ये कहकर अपनी फटी साड़ी से अपने अश्रुओं को पोंछती हुई सुशीला अपने घर की और चल पड़ी थी ।
सुशीला ! पीछे से एक पड़ोसन ने आवाज दी ।
बहन ! किसी गरीब को कुछ दे नही सकते तो कम से कम , सुशीला हाथ जोड़कर बोल रही थी कि …….
क्रमशः …
शेष चरित्र कल –
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