!! “श्रीराधाचरितामृतम् 3 !!
“भानु” की लली – श्रीराधारानी
भाग 2
कहाँ हैं श्याम सुन्दर ?
बताओ चित्रा सखी ! कहाँ हैं मेरे कृष्ण !
आज निकुञ्ज में आगये थे गोलोक क्षेत्र से कृष्ण के अंतरंग सखा ।
वो श्रीराधा को मना रहे हैं ………रूठ गयी हैं श्रीराधा !
इतना ही कहा था चित्रा सखी नें …..पर पता नही क्या हो गया इन “श्रीदामा भैया” को …….क्या हो गया इनको ……आज इतनें क्रुद्ध ।
निकुञ्ज में प्रवेश कहाँ है सख्य भाव वालों का …..पर आज पता नही निकुञ्ज में कुछ नया ही हो रहा है ……………।
पैर पटकते हुए श्रीदामा चले गए थे उस स्थल में जहाँ श्रीराधा रानी बैठीं थीं ………..ललिता और विशाखा भी वहीं थीं ।
क्यों ? रूठती रहती हो मेरे सखा से तुम ?
ये क्या हो गया था आज श्रीदामा को ……….श्रीराधा रानी भी उठ गयीं थीं ………और स्तब्ध हो श्रीदामा का मुख मण्डल देख रही थीं ।
ललिता और विशाखा का भी चौंकना बनता ही था ।
क्या हुआ श्रीदामा ? तुम इतनें क्रोध में क्यों हो ?
कन्धे में हाथ रखा श्याम सुन्दर नें ………..कुछ नही ……..कृष्ण ! तुम्हे कितना कष्ट होता है ………..ये श्रीराधा रानी बार बार रूठती रहती हैं तुमसे …………फिर तुम इन्हें मनाते रहते हो ………।
पर तुम अपनें सखा का आज इतना पक्ष क्यों ले रहे हो श्रीदामा !
क्यों न लूँ ? मेरा कितना सुकुमार सखा है …….देखो तो !
इतना कहते हुए नेत्र सजल हो उठे थे श्रीदामा के ….।
तुम्हे अभी पता नही है ना ! कि विरह क्या होता है …….वियोग क्या होता है …….हे राधे ! कृष्ण सदैव तुम्हारे पास ही रहते हैं ना ! इसलिये …………लाल नेत्र हो गए थे श्रीदामा के ।
मेरा ये श्राप है आपको श्रीराधे ! ……………श्रीदामा बोल उठे ।
तुम पागल हो गए हो क्या श्रीदामा ? ललिता विशाखा बोल उठीं ।
हाँ मेरा श्राप है …….कि तुम जाओ पृथ्वी में ….और जाकर एक गोप कन्या के रूप में जन्म लो …………श्रीदामा के मुख से निकल गया ।
और इतना ही नही …….सौ वर्ष का वियोग भी तुम्हे सहना पड़ेगा ।
मूर्छित हो गयीं श्रीराधा रानी इतना सुनते ही ………………
श्याम सुन्दर दौड़े ……..अष्ट सखियाँ दौड़ीं ………….जल का छींटा दिया ……….पर कुछ होश आया तब भी वो “कृष्ण कृष्ण कृष्ण’ …..यही पुकार रही थीं ।
प्यारी ! अपनें नेत्र खोलो ………श्याम सुन्दर व्यथित हो रहे थे ।
श्रीदामा को अब अपनी गलती का आभास हुआ था……मैनें ये क्या कर दिया ……इन दोनों प्रेम मूर्ति को मैने अलग होनें का श्राप दे दिया ।
तब कन्धे में हाथ रखते हुए श्रीदामा के ………..श्रीकृष्ण नें कहा ……मेरी इच्छा से ही सब कुछ हुआ है…….हे श्रीदामा ! आप ही श्रीराधा रानी के भाई बनकर जन्म लोगे …..अवतार की पूरी तैयारी हो चुकी है …………….इसलिये अब हे श्रीराधे ! जगत में दिव्य प्रेम का प्रकाश करनें के लिये ही आपका अवतार होना तय हो गया है ……।
कुछ शान्ति मिली श्रीराधा रानी को …….श्याम सुन्दर की बातों से ।
पर मेरा जन्म पृथ्वी में किस स्थान पर होगा ? और आपका ?
हम आस पास में ही प्रकट होंगें …….भारत वर्ष के बृज क्षेत्र में ……।
हमारे पिता कौन होंगें ? श्रीराधा रानी नें पूछा ।
चलो ! हे प्यारी ! मैं आपके अवतार की पूरी भूमिका बताता हूँ ।
क्रमशः …
शेष चरित्र कल –
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