[4/5, 10:41 PM] Niru Ashra: 📖✨ श्रीगौरदासी ✨📖
भाग – 5
गतांक से आगे –
कलकत्ता रेल मार्ग से मथुरा पहुँचीं थीं गौरा ….कलकत्ता और नवद्वीप के शताधिक भक्त थे …उनके साथ ही गौरा थीं ….उन दिनों भारत को आज़ादी क्या मिली हिन्दू मुसलमान का गृहयुद्ध और छिड़ गया था ….अब माँग उठाने लगे थे मुसलमान की उन्हें दूसरा देश चाहिये ….ऐसी स्थिति में मथुरा पहुँचे थे ये लोग ….श्रीकृष्ण के चित्रपट की गौरा अष्टयाम सेवा करती थीं …एक डलिया साथ में रखा था जिसमें अपने श्रीकृष्ण को इन्होंने सुलाया था ….बाकी कोई सामान था नही ….एक थैला अवश्य था जिसमें गौरा के कपड़े रखे थे और कुछ बर्तन , कपड़े भी सिर्फ दो जोड़ी । मथुरा में जब उतरे ये लोग वह समय दोपहर का था …भूजा और सन्देश खिलाकर अपने श्रीकृष्ण को गौरा ने सुला दिया था …..ऊपर एक कपड़े से ढँका हुआ था …..ये चली जा रही थीं । पर मथुरा में किसी मुसलमान ने होली गेट में बम फोड़ दिया …तो पुलिसकर्मीयों ने सुरक्षा कड़ी कर दी …जो भी श्रीकेशव देव मन्दिर या द्वारिकाधिश मंदिर या भीड़ वाले इलाके में जा रहा है ….उसकी पूरी चैकिंग हो रही थी । गौरा के मथुरा उतरते ही इसके साथी सब छूट गये थे …भीड़ बहुत थी …रोड में राजनीतिक लोगों का क़ब्ज़ा था ….कोई ज़िन्दाबाद कह रहा था तो कोई मुर्दाबाद कह रहा था …कोई मुसलमानों को गालियाँ दे रहा था तो कोई हिन्दुओं को ।
गौरा खो गयी ….उसके लोग उससे छूट गये ….द्वारिकाधीश मन्दिर की ओर अकेली गौरा चली थी उसे दर्शन करने थे और विश्राम घाट में स्नान करके ही श्रीवृन्दावन के लिए जाना था ।
पर होली गेट में पहुँचते ही …वहाँ तो भारी बन्दोबस्त है पुलिसकर्मीयों का ….क्यों कि अभी अभी यहाँ बम फोड़ा गया था ….पुलिसकर्मी सबकी चेकिंग कर रहे थे ….गौरा जाती है तो पुलिस वाले कहते हैं …..ये क्या है ? वो सीधे कहती है मेरे श्रीकृष्ण ….पुलिस वाले कहते हैं …दिखाओ …हमें देखना है ….पर वो कुछ नही बोलती ….क्यों की उसके श्रीकृष्ण सो रहे हैं …वो नही उठाना चाहती …और इस तरह उठाकर वो इन पुलिस वालों को तो बिल्कुल नही दिखा सकती । डर इसे लगता नही है …क्यों की बांग्लादेश में जन्मी है और वहाँ की साम्प्रदायिक हिंसा को इसने नज़दीकी से देखा है ।
“इसे दिखाओ”…….कड़े शब्दों में पुलिस ने कहा ।
वो चुप रही …..इसे हिन्दी समझ में तो आती है …..पर बोल नही पाती । जैसे ही पुलिस वाले डलिया को पकड़ने लगे उसने दूर कर लिया डलिया को …..पुलिस वालों को लगा कि कहीं कुछ गड़बड़ है ….ये महिला कुछ तो छुपा रही है ……पुलिस वाले गौरा के पास गये और डलिया को जैसे ही पकड़ने लगे ….एक तीव्र प्रकाश डलिया से निकला और पुलिस वालों की आँखें चुधियाँ गयीं ….कुछ मिनट तक वो देख ही नही पाये उन्हें लगा उनके नेत्र की ज्योति ही चली गयी है ।
पर गौरा वहीं बैठ गयीं ….डलिया उसके हाथों में था …वो बंगाली भाषा में डाँट रहीं थीं अपने मीत को ….कि ये सब करने की क्या जरुरत थी …..
पुलिस वाले नतमस्तक हो गये थे ….वो कुछ नही बोल रहे थे अब ।
गौरा उठी और बिना कुछ बोले वो विश्राम घाट की ओर चल दी ….
आनन्द में झूम रही थी गौरा ….मेरे मीत की जन्म भूमि है ये …उसका मन श्रद्धा से ओतप्रोत था …वो गदगद थी …यमुना जी में उसने स्नान किया ….अपने श्रीकृष्ण को भी उसने स्नान कराया ….सन्ध्या की वेला हो गयी थी ….वहीं से रबड़ी ख़रीद कर भोग लगाया और श्रीवृन्दावन के लिए चल दी गौरा ।
पर रास्ता भटक गयीं ….सन्ध्या को निकली थीं श्रीवृन्दावन के लिए ….रात हो गयी ….अब किधर से जाना है ये पता नही ….सहायता के लिए दो लोग आये गौरा के पास और बोले हम पहुँचा देंगे वृन्दावन । ये लोग साथ हो लिये । सुन्दर तो थीं ही गौरा …अद्भुत रूप लावण्य था ….ये लोग वासनावश गौरा के साथ चलने लगे…..आगे जंगल आया …वहाँ गौरा को इन लोगों ने रोक लिया ….वो रुक गयी …सहज है गौरा ….इसे डर है ही नही …और डर भी हो तो किसका ? इसके साथ इसका मीत है …जो हर समय इसकी रक्षा करेगा ही ।
एक व्यक्ति ने हाथ जैसे ही पकड़ना चाहा …..गौरा अपनी डलिया की ओर देखकर बोली …”नही“। क्यों की उसका मीत गौरा से कह रहा था ….इस आदमी का अब हाथ टूटेगा ….गौरा “नही नही” कह रही थी …उस आदमी को लगा ये इतनी सहजता से “नही” कह रही है तो मान ही जाएगी …उसने जैसे ही गौरा को छूआ ….वो जोर से चिल्लाया ….उसके हाथ को किसी ने पकड़ लिया था और एक ही बार में पूरा ही मोड़ दिया था । वो गिर गया …दूसरा आदमी अपने साथी की ये स्थिति देखकर भाग गया …..गौरा पूछ रही है ….क्या हुआ ! चोट ज़्यादा लगी ? वो अब गौरा से डर रहा था …..विनती कर रहा था ।
गौरा ! तू चल ! ये ठीक हो जायेगा । श्रीकृष्ण ने कहा ….और गौरा अपने मीत के साथ वृन्दावन के लिए चल दी थी ।
शेष कल –
[4/5, 10:41 PM] Niru Ashra: 📖✨ श्री गौरदासी ✨📖
भाग – 6
गतांक से आगे –
श्रीवृन्दावन में पहुँच कर रात्रि में यमुना तट पर गौरा ने विश्राम किया था…यमुना जल और भूजा भोग लगाकर उसे ही स्वयं पाकर ये सो गयी थी । सुबह जब उठी तो गौरा क्या देखती है …दस बड़े बड़े विषधर सर्प अपने फन फैलाये गौरा की ओर ही देख रहे हैं ….गौरा उठी तो उसे वो फुफकार मारने लगे थे ….गौरा के समझ में नही आया क्या करें ? पर गौरा ने देखा वो सर्प सब बारी बारी से डलिया के पास आये और झुक कर प्रणाम करके चले गये …तब गौरा हंसी और बोली वाह ! शेष भगवान तुम्हें प्रणाम करने आये थे मीत ! मैं तो डर गयी थी ।
फिर गौरा ने स्नान किया वंशीवट का प्रेमपूर्ण क्षेत्र था वो ….गौरा बहुत आनंदित थी यहाँ आकर ….सामने गोपेश्वर महादेव का मन्दिर है ….गौरा वहाँ जाकर दर्शन करती है …तभी पास के ग्वालियर मन्दिर में भागवत कथा हो गयी थी श्रीगौरांग बाबा जी की …..ये श्रीवृन्दावन के प्रसिद्ध सन्त थे …..बाहर से ही इसे इतनी अच्छी कथा लगी कि भीतर जाकर बैठ गयी कथा सुनने ….हाथ में डलिया थी जिसमें इसके मीत बैठे थे …गर्मियों के दिन थे …अपने मीत को किसी को दिखाऊँगी नही ये सोच कर डलिया को एक लाल कपड़ा से ढँक कर रखती थी ……कथा में जाकर बैठ गयी ….गौरांग बाबा कथा कह रहे थे …अद्भुत और भावपूर्ण इनकी कथा होती थी …इनके नेत्र अधिकतर बन्द ही रहते …ह्रदय में लीला जब स्फुरित होती तभी ये कथा सुनाते ।
पर गौरांग बाबा का ध्यान आकर्षित हुआ कथा के बीच में गौरा के ऊपर ….सुन्दर थीं ये …कथा में इनके बैठते ही नेत्र खुल गये गौरांग बाबा के और गौरा को देखने लगे ….कुछ लोगों को ये अच्छा नही लगा ….कि बाबा बड़े महात्मा बनते हैं पर देखो इस सुन्दरी बंगाली बाला के आते ही कथा भूल गये …..पर बाबा ने हंसते हुए कहा ….”तेरे खसम कुं कोई नाँय देखेगो , गर्मी है रही है कपड़ा हटाय दे” । ये सुनते ही समस्त श्राताओं ने पीछे मुड़कर देखा तो गौरा चौक गयी …उसने डलिया में से जैसे ही लाल कपड़ा हटाया …सच में पसीने आरहे थे उस चित्र को ….वो उसी समय गौरांग बाबा के सामने लेट गयी और प्रार्थना करने लगी ….मुझे दीक्षा दीजिये ! गौरांग बाबा स्वयं बंगाल के थे ….वो बंगाली भाषा में ही बोले ….क्या तुमने अभी तक दीक्षा ली नही है ? वो बोली – गुरुदेव ! ढाका के गौड़ीय मठ में मुझे महामन्त्र प्रदान किया गया था पर उस समय मुझे कुछ उपदेश प्राप्त नही हुआ ….इसलिये मैं चाहती हूँ कि आप मेरे ऊपर कृपा करें ।
गौरा की बातें सुनकर गौरांग बाबा मौन रहे …और अपनी भागवत कथा को आगे सुनाने लगे …पर हाँ ….एक प्रसंग पर वो अवश्य इतना बोले थे ….”अधिकतर साधना करके सिद्धि पाते हैं …पर कई योगभ्रष्ट इस धरा पर ऐसे भी होते हैं जिन्हें सिद्धि पहले प्राप्त होजाती है और साधना बाद में करना पड़ता है “।
श्री गौरांग बाबा ने गौरा को दीक्षा प्रदान किया …
और इनका नाम गौरा से “गौर दासी” रख दिया था ।
श्रीवृन्दावन का ये क्षेत्र बहुत प्रिय लगा था गौर दासी को ….क्यों की गोपेश्वर महादेव यहाँ विराजे थे …..वंशीवट के निकट यमुना जी थीं …गौर दासी ने यहाँ के एक बृजवासी के घर में किराये पर एक कमरा लिया …ये परिवार बहुत अच्छा था …और गौरांग बाबा के प्रति श्रद्धा भी रखता था ।
गौर दासी वहीं रहने लगी ….अपने मीत को सुन्दर सुन्दर पकवान बनाकर खिलाती ….और बस भजन करती ….ये नित्य प्रातः यमुना स्नान को जाती थीं ।
एक दिन इनकी सुन्दरता पर मोहित हो गया बाउल सम्प्रदाय का एक बंगाली साधु ….पर ये भोली भाली गौर दासी कुछ समझ नही पायी …वो गीत सुनाता था जिसमें बस श्रीकृष्ण और श्रीराधा रानी के नाम का प्रयोग करके अश्लील श्रृंगार रस के माध्यम से गौर दासी को रिझाने का प्रयास करता था । ये बेचारी क्या समझतीं ….बस सुनतीं ….उन गीतों में श्रीकृष्ण और श्रीराधा रानी का नाम होता था इसलिये ये भाव में डूब जातीं ।
ये बाउल अब नित्य आने लगा …मकान मालिक समझ गया कि गौर दासी तो बेचारी भोली है पर ये वासना से भरा है ….आज जब वो आया हुआ था बाउल और गीत सुना रहा था ….गौर दासी भाव में डूबी नेत्रों को बन्दकर के बैठी थीं ….वो बारबार गौर दासी को छूने की कोशिश कर रहा था ….पर छू नही पा रहा था …उसी समय वो घर मालिक बृजवासी आगया …उसने देखा तो उसे फटकार लगाई ….और वहाँ से भगा दिया ….ये सब गौर दासी को पता नही है ….क्यों की उस समय वो भाव जगत में थीं ।
जब दूसरे दिन प्रातः यमुना स्नान को वो गयीं …तो वो बाउल वहाँ मिला उसको प्रणाम किया गौर दासी ने ….तो उसने कहा ….मुझे प्रेरणा हुई है कि हम दोनों एक साथ रहें ….इससे हमारी साधना अच्छी होगी ….ये सुनते ही गौर दासी वहाँ से चली गयी उन्हें अच्छा नही लगा । पर लीला स्फूर्ति रुक गयी गौर दासी की …उसका मीत अब न बोल रहा था न कुछ खा रहा था …वो चित्र अब मात्र चित्र ही था ।
गौर दासी के कुछ समझ नही आयी ….वो आँखें बन्दकर बैठती ….पर कोई लीला की स्फूर्ति हो नही रही थी….उसे घबराहट हुई ऐसा तो बांग्लादेश में भी नही हुआ था …यहाँ ऐसा क्यों हुआ ?
तभी – बाई ! वो एक बंगाली बाउल आता है ना …उसे मत आने दे ….वो अच्छा नही है …तेरे प्रति उसकी दृष्टि गलत है …..मैंने जब देखा तुझे वो छूने की कोशिश कर रहा था तब मैंने उसे फटकार के भगा दिया …ये सुनते ही गौर दासी कुछ सोचने लगी ….फिर भागी यमुना के किनारे ….वो समझ गयी थी …कि कुसंग ने उसकी ऐसी स्थिति बना दी है …वो रोती रही …हिलकियों से यमुना किनारे रोती रही ….रोते रोते सो गयी वहीं यमुना पुलिन में …..पर उसे पता नही चला वो यमुना में गिर गयी थी….उसे कोई अज्ञात शक्ति उठाकर किनारे में रख गया ।
रात हो गयी थी …..वो उठी और धीरे धीरे अपने निवास की ओर आगयी ।
कहाँ गयी थीं बाई ? बृजवासी लोग भी परेशान हो उठे थे ।
“यमुना किनारे” …..बस इतना बोलकर वो अपने कमरे में चली गयी ।
हिलकियों से रो उठी गौरदासी अपने मीत के सामने ….पर कुछ नही …..पता है मीत ! मैं यमुना में डूब गयी थी …हिलकियों से रोते हुए गौर दासी बता रही है …..मुझे किसी अज्ञात शक्ति ने बचाया ! “इधर उधर सोती फिरोगी तो डूबोगी”…ये शब्द जैसे ही गौर दासी ने सुने श्याम सुन्दर के मुखारविंद से ….वो स्तब्ध रह गयी …ये क्या बोल दिया था उसके मीत ने ….वो आंसुओं को पोंछकर पास गयी …बहुत पास ….और लम्बी साँस लेते हुये बोली ….मीत ! तुमसे जलने की बू आरही है ।
मैं क्यों जलूँगा ? श्याम सुन्दर भी तुनक कर बोले ……
ऐ तुम्हें क्या लगता है उस बाउल की हिम्मत है कि मुझे तुमसे छीन ले ……
मुझे नही पता ! श्याम सुन्दर झुँझला के इतना ही बोले ।
इतना चाहते हो मुझे ?
आंसुओं के साथ गौर दासी मुस्कुरा भी रही थी अब…उसे आज बहुत अच्छा लग रहा था कि उसका मीत उसे इतना चाहता है कि दूसरे को वो बर्दाश्त नही कर पा रहा ।
श्याम सुन्दर कुछ नही बोले ….तो गौर दासी उन्मत्त होकर श्याम सुन्दर के अधरों को चूमते हुए बोली …..मीत ! इतना गुस्सा भालो ना ।
श्याम सुन्दर अब मुस्कुरा रहे थे ।
शेष कल –


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