Explore

Search

July 8, 2025 12:22 am

लेटेस्ट न्यूज़
Advertisements

उद्धव गोपी संवाद:- (भ्रमर गीत)२५ एवं २६: Niru Ashra

उद्धव गोपी संवाद:- (भ्रमर गीत)२५ एवं २६: Niru Ashra

उद्धव गोपी संवाद:-

(भ्रमर गीत)
२५ एवं २६

वे करिऐ नित करम, भक्ति हू जामे आई।
करम रुप तें कहौ,कोंन पै छूट्यौ जाई।।
क्रम -क्रम करम हि किऐं तें,करम नास ह्वै जाईं।
तब आतम (आत्मा)निष्कर्म सों, निरगुन ब्रह्म समाई।।
सुनों ब्रजनागरी।।
यहां उद्धव गोपियों से कह रहे हैं कि भक्ति से कुछ नहीं होता, नित्य कर्म करना चाहिए, यही शास्त्रों में बताया गया है। कर्म से जो भी अभी तक छूट नहीं पाया है। आत्मा में ही निर्गुण ब्रम्ह है, उसी का ध्यान धरो।

जो हरि के नाहिं करम,करम बंधन क्यों आवै।
तौ निरगुन ह्वै वस्तु मात्र,परमांन बतावैं।।
जो उन्ह कौ परमान है,तौ प्रभुता कछु नाहिं।
निरगुन भए अतीत के,सगुन सकल जग माहिं।।
सखा सुन स्याम के।।
गोपियाँ उद्धव से कह रही है कि हरि का ध्यान करने से कर्म बंधन नहीं होता। निर्गुण एक वस्तु मात्र है, इससे परम आनंद नहीं होता। यही प्रमाण है और निर्गुण की कोई प्रभुता नहीं है। निर्गुण तो बीती बातें हैं और सगुण ब्रम्ह तो पूरे जगत में व्याप्त है।

admin
Author: admin

Chief Editor: Manilal B.Par Hindustan Lokshakti ka parcha RNI No.DD/Mul/2001/5253 O : G 6, Maruti Apartment Tin Batti Nani Daman 396210 Mobile 6351250966/9725143877

Leave a Comment

Advertisement
Advertisements
लाइव क्रिकेट स्कोर
कोरोना अपडेट
पंचांग
Advertisements