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!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 102 !!
और इधर बरसानें में …
भाग 2
झूठ बोलती हैं जीजी चन्द्रावली ………..अरे ! कंस को मार दिया ……हाँ तो मार दिया होगा, वह चतुर -चूड़ामणि हैं…….चतुराई करके मार दिया होगा कंस को………अरे ! हमारे श्याम सुन्दर ग्वाले हैं …..गौचारण करते हुए निकल गए मथुरा …….और कंस को मार दिया होगा ……पर इसका मतलब ये तो नही कि …..उन्होंने हमें ही छोड़ दिया ! या इस वृन्दावन को ही त्याग दिया …..झूठी है चन्द्रावली जीजी ।
हाँ उद्धव भी आये थे …….मेरा श्यामसुन्दर सबको अपनाना जानता है ………..उद्धव को भी सखा बना लिया था ……..हाँ ठीक है ……..सखा बननें योग्य भी था……….पर मैं भी पगली हूँ ……….योग्य अयोग्य श्याम देखता कब है ! अट्टहास करती हैं एकाएक श्रीराधारानी ……..तू उद्धव को बोल रही है राधे ! तू कौन सी योग्य थी श्याम के ……वो तो श्याम था जो तुझ जैसी मानिनी को भी स्वीकार किया ।
पर उद्धव अच्छा था ……..सीधा सरल ………हृदय में छल कपट नही था उसके ………….वो भी कह रहा था कि मथुरा में हैं श्याम सुन्दर !
कहनें के लिये तो कुछ भी कहते हैं लोग ………….यहाँ वृन्दावन में भी तो गोपियाँ , गोप क्या क्या नही कहते ! कल ही श्रीदामा भैया लड़ पड़े थे उस गोपी से ……..जब वह बोली कि ……..”वृन्दावन में अब नही आएगा कन्हाई “……..श्रीदामा भैया झगड़ पड़े थे उससे ।
श्याम के बारे में तो सब अपनें अपनें भावानुसार ही बात करते हैं …………उद्धव को लगता था कि उसका कृष्ण मथुरा में है …..
क्रमशः ….
शेष चरित्र कल –
🌸 राधे राधे🌸
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