Explore

Search

August 1, 2025 11:40 pm

लेटेस्ट न्यूज़
Advertisements

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 125 !!-अर्जुन नें दर्शन किये “निभृत निकुञ्ज” के भाग 1 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 125 !!-अर्जुन नें दर्शन किये “निभृत निकुञ्ज” के भाग 1 : Niru Ashra

🙏🌹🙏🌹🙏

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 125 !!

अर्जुन नें दर्शन किये “निभृत निकुञ्ज” के
भाग 1

🌲🍁🌲🍁🌲

पूर्व बताया जा चुका है कि …..गोलोक, कुञ्ज, निकुञ्ज, नित्य निकुञ्ज और निभृत निकुञ्ज…….इनमें क्या भेद हैं……और साधक कैसे यहाँ तक पहुँचता है…….इसकी भी पूर्व में चर्चा हो चुकी है कि……साधना से तो “कुञ्ज” तक ही पहुँचा जा सकता है …….वैसे मात्र साधना से, कृपा के बिना तो यहाँ तक भी पहुँचना मुश्किल ही है…पर निकुञ्ज और नित्य निकुञ्ज तक तो केवल कृपा के आधार पर ही पहुँचता है साधक ।

साधकों ! ये लोक विशुद्ध प्रेम के लोक हैं ……….और निभृत निकुञ्ज में तो कोई रहता ही नही हैं …………लता रन्ध्र से ही दर्शन करती है सखियाँ ……….वहाँ मात्र श्रीराधा कृष्ण ही विहार करते हैं ……और कभी कभी तो ये दो भी नही रहते ………एक ही हो जाते हैं ।

भाव से ये यात्रा शुरू होती है ………….ये बात मुख्य समझनें की है ।

अपनें अंदर के “भाव” के बढ़ाना है ……इसके लिये ……..संग, चर्चा, नाम जप, रस से सम्बंधित सत् साहित्य का स्वाध्याय , वाणी का पाठ ( सन्तों की वाणी, रसिकों की वाणी , जिनमें भगवान की प्रेमपूर्ण लीलाओं की चर्चा हो …….जैसे – निम्बार्क सम्प्रदाय के महावाणी, युगल शतक, राधा बल्लभी सम्प्रदाय के बयालीस लीला, हित चौरासी …..गौड़ेश्वर सम्प्रदाय के अनेक रसीले ग्रन्थ हैं ………रूप गोस्वामी के ..सनातन गोस्वामी के ……श्री राधा सुधा निधि ………..ऐसे ग्रन्थों का नित्य स्वाध्याय ……..ये सब ग्रन्थ आपके भाव बढ़ानें में सहायक होंगें …..और भक्त के चरित्रों को अवश्य पढ़ना ………ताकि हमारे भाव को और बल मिले……….ये सब भाव बढ़ानें की ही साधना हैं ।

इसी प्रगाढ़ता के साथ साधना को आगे बढ़ाते चलें ……….किसी को ज्यादा हल्ला न करें…….क्यों की प्रेम छुपानें की चीज है ।

अब आगे – अर्जुन को निकुञ्ज के रहस्य बताती हुयीं ललिता सखी स्नान को चली जाती हैं ………….क्यों की अब आगे सन्ध्या होनें वाली है …….और युगलवर को उठाकर सन्ध्या आरती करनी है ।


स्नान करके ललिता सखी आगयीं हैं ………….श्रृंगार किया है ललिता जी नें …………..क्यों की सखियाँ भी सज धज कर ही सेवा में उपस्थित होती हैं ……………….

अपनें अपनें कुञ्ज से सब सखियाँ निकल निकल कर आने लगीं ……..

स्नानादि से और सुसज्जित हो, युगल सरकार के पास में गयीं ।

सो रहे हैं युगलवर …………….

सखियों नें फल फूल तैयार करके रखे हैं…….कुछ मिष्ठान भी हैं …….शीतल पेय भी है ………।

ललिता जू नें आगे बढ़कर श्रीजी के चरणों में प्रणाम किया ……….छूआ उन अत्यन्त कोमल चरणों को ………..पर श्रीजी नही उठीं ।

विशाखा सखी नें श्याम सुन्दर के चरणों को छूआ ………पर वो भी नही उठे ……..विनोदप्रिय है ये निकुञ्ज ……..हास्य विनोद भी इस कुञ्ज की निधि है ……….रंगदेवी जू आगे बढ़ीं और श्रीजी के चरणों में गुलगुली कर दी ……..श्रीजी उठी हुयी ही थीं ………..वो जानबूझ कर लीला कर रही थीं…….हँसी फूट गयी श्याम सुन्दर की भी श्रीजी के साथ ………खिलखिला उठे……..बस फिर क्या था युगलवर प्रसन्न हैं …….तो सारी सखियाँ अपनें आप चहक उठीं थीं ।

युगलवर ! आपकी जय जय हो ।

युगल सरकार ! आप की सदा हीं जय जयकार हो ।

सखियाँ एक साथ बोल उठीं ……..आहा ! सम्पूर्ण कुञ्ज आनन्दित हो उठा ………….वृक्ष प्रसन्न हो उठे …..लताएँ झूम उठीं ।

( साधकों ! एक बात ये समझनें की है कि – नाम, रूप, लीला धाम, …..ये सब भगवतरूप ही होते हैं )

सखियों नें हाथ मुँह धो दिया ……….जल पिलाया …………

फिर बड़े प्रेम से भोग लगाया ………सखियों नें भोग के गीत गाये ।

श्रृंगार किया…….साँझ का श्रृंगार अलग और दिव्य होता है …….

श्याम सुन्दर के मस्तक में मात्र मोर का पंख है …….और श्रीजी के मस्तक में चन्द्रीका लगा दी है सखियों नें ।

रोली श्याम सुन्दर के माथे में ……और श्याम बिन्दु श्रीजी के भाल में ।

पीताम्बरी श्याम सुन्दर को ……..और नीलांबरी श्रीजी को ।

क्रमशः ….
शेष चरित्र कल –

💞 राधे राधे💞

admin
Author: admin

Chief Editor: Manilal B.Par Hindustan Lokshakti ka parcha RNI No.DD/Mul/2001/5253 O : G 6, Maruti Apartment Tin Batti Nani Daman 396210 Mobile 6351250966/9725143877

Leave a Comment

Advertisement
Advertisements
लाइव क्रिकेट स्कोर
कोरोना अपडेट
पंचांग
Advertisements