कुछ बातें आज स्मूति बनके मन को मर्माहत कर रहा है।
श्री अशोक पटेल उड़िया से ज्यादा उड़िया लगते हैं, गुजराती होते हुए भी प्रांजल उड़िया भाषा में बोलने की क्षमता थी उनमे । जब भी मैं उनसे मिली या बात की हूँ या व्हाट्सअप के माध्यम से मेरा उत्साह बढ़ाये है। होठों पर तारीफ का फूल खिलाते हुए कहते थे तुम सुभद्रा स्वरूपा हो अंजलि!
जगत के नाथ आपके साथ कुछ दिन स्नेह और सेवा के प्रेम में बन्ध के ठरे हैं यंहा । लीलामय का खूब मान भर के सेवा करना जगत के करता हैं वे । वे उनके मंदिर केलिए भूमि वो जरूर चयन कर चुके होंगे और जरूर वंहा पर उनके पबित्र मंदिर बनेगा बस समय के इंतज़ार करना ,सेवा करते रहना उनका तब तक। आप जरा भी मन को दुखी मत होने देना। आप दुखी होंगे तो उन्हें कास्ट होगा। बोझ नहीं हे वो आशीर्वाद हैं आपके जन्म जन्मांतर के। तो और कभी कर्मा बाई के खिचड़ी भोग के कहानी सुनते हुए मेरे मन को सदैव दृढ़ता प्रदान किये है। मेरे धैर्य के मानदंड को निचे गिर ने नहीं दिए कभी। कुछी दिन पहले २०२३ के दिवाली के पूर्व आए थे दुनेठा में अष्टप्रहर के निमंत्रण पत्र के साथ। कुछ समय बिताये अनन्तंम के प्रांगण में और जाते जाते हस्ते हुए कह रहे थे इतने स्नेह जगा को आप सब देते हैं इसलिए भगवन को भी अपने मंदिर जाने का या बनाने का इच्छा नहीं हो रहा है। मंदिर बनने का बिलम्ब वास् इसी बात का हे। भाग्यबान हो आप लोग की कला ठाकूर के सानिध्य मिला हे आप सब को। कुछ बाक्य उनके मन को छू लिया था हमारे। कितने अच्छे इंसान थे वे अशोक भाई ,प्रभु जगन्नाथ के सिलवासा मंदिर के गजपति महाराजा (प्रथम सेवक। उनसे हम हमेशा कहते थे वो सबर राजा की बात जिन्होंने नीलमाधव के अनन्य भक्त थे। हम सब मर्माहत हैं उन्हें खो कर। प्रभु उनके अमर आत्मा को निर्वाण प्रदान करें। प्रार्थना हे हमारी।

Late Ashok Bhai Patel

Author: admin
Chief Editor: Manilal B.Par Hindustan Lokshakti ka parcha RNI No.DD/Mul/2001/5253 O : G 6, Maruti Apartment Tin Batti Nani Daman 396210 Mobile 6351250966/9725143877