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August 1, 2025 7:59 am

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” राम से श्रीराम ” : Raj Narayan/Anil Pandey

” राम से श्रीराम ” : Raj Narayan/Anil Pandey

Raj Narayan:
” राम से श्रीराम “
काफी दिन उलझने के बाद सिर्फ इतना ही सोचना शेष रहा कि ध्यान सिर्फ विषय पर ही हो , शीर्षक पर नही । यह न विश्लेषण है , न समीक्षा , न ही तुलना ! ये सब बुद्धिजीवियों के कर्म है , हम तो केवल भक्त है जो अपने “राम :: श्रीराम ” के चरणों की शरण लेते हैं और शब्द सुमन आपके श्रीचरणों में अर्पित करते है ।
माता कौशल्या के आंगन में किलकारियां भरने वाला बालक राम जब रावण जैसे महान योद्धा को मारकर इस लोक को भयमुक्त करता है तब वह श्री तत्व को प्राप्त करता है । कोई यूँ ही राम से श्रीराम नही होता । बस यही उद्देश्य इस लेख का है । अद्भुत त्याग और संयम यही श्रीराम की कहानी है । एक युवराज जब राजसिंहासन को त्यागकर भीलनी के बैर खाता हुआ असुर सेना को परास्त कर देता है तब कोई राम से श्रीराम होता है । कांटे – कीचड़ , जाड़े – धूप , आंधी -बरसात में नंगे पैर फटी बिवाइयाँ चलने वाला वो राजपुत्र राम ही तो है , करुणा की अप्रतिम प्रतिमा !! मखमली सेज छोड़कर कठोर प्रस्तरों को आसन बनाना ही राम का श्रीराम होना है !! एक बालक गुरु रक्षार्थ दुष्टों का संहार करता है तब असाधारणत्व की प्राप्ति होती है ।
जल सी निर्मलता, शीतलता , सरसता और तरलता का भाव राम है तो हिम सा कठोर श्रीराम का स्वभाव है , बर्फ में भी जल के गुण है पर श्री तत्व में पराक्रम है , उसे कठोर होना ही चाहिये , अन्यथा सिर्फ लोकापवाद के कारण कोई भी अपनी प्रिय पत्नी का त्याग नही कर पायेगा ! यही तो असाधारणत्व की प्राप्ति है !! सोचो !! पिघल कर पानी तो कोई भी हो सकता है , पर हिम को कठोर बने रहने के लिये खुद से कितना लड़ना पड़ता होगा !!
जो राम दीनदयाल होकर दुष्टदलन बन जाता है , जो राम चन्द्र सा शीतल होकर भी सूर्य का तेज धारण किये है , जो राम कंदमूल खाकर भी भक्तों के लिये शांत , सौम्य और सुखदायक है , जिस राम के पैरों की धूल मात्र के प्रभाव से निर्जीव को जीवन मिल सकता है वह ही तो ” श्रीराम ” है !! जीवन में प्राप्त समस्त चिंतन को धारण करते हुए नए प्रतिमान स्थापित करना ही श्रीतत्व की प्राप्ति है !!
जो राम हृदय मार्ग से होता हुआ समस्त रगों में बहता है तब हम उस “श्रीराम” को महसूस करेंगे ! जब राम को रसना से चखते हुए नाभिकेंद्र तक पहुचायेंगे तब हम “श्रीराम” के स्वाद का आनन्द ले पाएंगे !! जब हम राम को अपनी आंखों में उतारकर मन मंदिर में बिठाएंगे तब ही उस ” श्रीराम ” के दर्शन कर पाएंगे !! हम भूख में , प्यास में , दुःख में , सुख में , दिन -रात , लाभ – हानि , यहां तक की जीवन – मरण में राम को साथ देखेंगे तब “श्रीराम ” से मिल पाएंगे । श्रीराम का मार्ग राम से होकर जाता है । पराक्रम ,शौर्य , तेज ,साहस ,वीरता में वही श्रीराम है जो दया , ममता , करुणा , त्याग में राम होता है । “जै जै श्रीराम ” ( पढ़ लेने के बाद ” जय श्रीराम ” जरूर लिखना जी )
::- 15 जून 2019 की मेरी फेसबुक पोस्ट 🙏🙏

A B:
🕉️ भगवान राम प्रसिद्ध नाम

आदिराम – नित्य, स्वयंभू, शाश्वत सनातन अनंतराम, सर्वशक्तिमान परमात्मा जो सभी के सृजनकर्ता, पालनहार है
राम – मनभावन, रमणीय, सुंदर, आनंददायक
प्राणीमात्र के हृदय में ‘रमण’ (निवास, विहार) करते हैं, वह ‘राम’ हैं तथा भक्तजन जिनमें ‘रमण’ (ध्याननिष्ठ) होते हैं, वह ‘राम’ हैं
रामलला – शिशु रुप राम
रामचंद्र – चंद्र जैसे शीतल एवं मनोहर राम
रामभद्र – मंगलकारी कल्याणमय राम
राघव – रघुवंश के संस्थापक राजा रघु के वंशज, रघुवंशी, रघुनाथ, रघुनंदन
रघुवीर – रघुकुल के सबसे वीर राजा राम
रामेश्वर – राम जिनके ईश्वर है अथवा जो राम के ईश्वर है
कौशल्या नंदन – कौशल्या को आनंद देने वाले, कौशल्या पुत्र, कौशलेय
दशरथी – दशरथ पुत्र, दशरथ नंदन
जानकीवल्लभ – जनकपुत्री सीता के प्रियतम
श्रीपति – लक्ष्मी स्वरूपा सीता के स्वामी जानकीनाथ, सीतापति
मर्यादा पुरुषोत्तम – धर्मनिष्ठ न्याय परायण पुरुषों में सर्वोत्तम
नारायणावतार – भगवान नारायण के अवतार, विष्णु स्वरूप
जगन्नाथ – जगत के स्वामी, जगतपति
हरि – पाप, ताप को हरने वाले
जनार्दन – जो सभी जीवों का मूल निवास और रक्षक है
कमलनयन – कमल के समान नेत्रों वाले, राजीवलोचन
हनुमान ह्रदयवासी – हनुमान के ह्रदय में वास करने वाले, हनुमानइष्ट, हनुमान आराध्य
शिव आराध्य – शिव निरंतर जिनका स्मरण करते हैं, शिवइष्ट, शिवप्रिय, शिव ह्रदयवासी
दशाननारि – दस शीश वाले रावण का वध करने वाले, रावणारि, दशग्रीव शिरोहर
असुरारि – असुरों का वध करने वाले
जगद्गुरु – अपने आदर्श चरित्र से सम्पूर्ण जगत् को शिक्षा देने वाले
सत्यव्रत – सत्य का दृढ़ता पूर्वक पालन करनेवाले
परेश – परम ईश्वर, सर्वोच्च आत्मा, सर्वोत्कृष्ट शासक
अवधेश – अवध के राजा या स्वामी
अविराज – सूर्य जैसे उज्जवल
सदाजैत्र – सदा विजयी, अजेय
जितामित्र – शत्रुओं को जीतनेवाला
महाभाग – महान सौभाग्यशाली
कोदंड धनुर्धर – कोदंड धनुष को धारण करने वाले
पिनाक खण्डक – सीता स्वयंवर में पिनाक (शिवधनुष) को खंडित करने वाले
मायामानुषचारित्र – अपनी माया का आश्रय लेकर मनुष्यों जैसी लीलाएँ करने वाले
त्रिलोकरक्षक – तीनों लोकों की रक्षा करने वाले
धर्मरक्षक – धर्म की रक्षा करने वाले
सर्वदेवाधिदेव – सम्पूर्ण देवताओं के भी अधिदेवता
सर्वदेवस्तुत – सम्पूर्ण देवता जिनकी स्तुति करते हैं
सर्वयज्ञाधिप – सम्पूर्ण यज्ञों के स्वामी
व्रतफल – सम्पूर्ण व्रतों के प्राप्त होने योग्य फलस्वरूप
शरण्यत्राणतत्पर – शरणागतों की रक्षा में तत्पर
पुराणपुरुषोत्तम – पुराणप्रसिद्ध क्षर-अक्षर पुरुषों से श्रेष्ठ लीलापुरुषोत्तम
सच्चिदानन्दविग्रह – सत्, चित् और आनन्द के स्वरूप का निर्देश कराने वाले
परं ज्योति – परम प्रकाशमय,परम ज्ञानमय
परात्पर पर – इन्द्रिय, मन, बुद्धि आदि से भी परे परमेश्वर
पुण्यचारित्रकीर्तन – जिनकी लीलाओं का कीर्तन परम पवित्र हैं
सप्ततालप्रभेता – सात ताल वृक्षों को एक ही बाण से बींध डालनेवाले
भवबन्धैकभेषज – संसार बन्धन से मुक्त करने के लिये एकमात्र औषधरूप

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