जय श्री कृष्ण जी।
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सेक्यूलर आंसू
उन्हें काठ मार गया है। वे स्तब्ध, स्तम्भित..जड़ीभूत होकर देख रहे हैं कि देश के प्रधानमंत्री हाथ में पात्र लिए गंगा में डुबकी लगा रहे। फूल अक्षत जल छिड़क कर तर्पण कर रहे। कभी त्रिपुंड लगाकर कालभैरव की आरती कर रहे तो कभी ज्योतिर्लिंग की अर्चना में डूब रहे। हरे!!
यह क्या हो गया देश को ! यह तो पुरातनपंथी, पूर्वमुखापेक्षी हो गया! जो काशी सदियों पहले ईमानवालों की आग से खुद को बचाने के लिए अपने प्राचीन मंदिरों को गृहकैद कर गई थी, वही काशी आज खोल दी गई। मोदी ने तो समय के थपेड़ों और कालान्तर में स्वार्थ के वशीभूत लोगों का भूत झाड़कर काशी को दिव्यरूप में फिर से प्रकट कर दिया। भोलेनाथ का ऐसा महाप्रांगण रच कर उनके चरणों में रख दिया कि संपूर्ण हिन्दू समाज अवाक, आनन्दित आलोड़ित होकर देखता जा रहा है। जन्म सफल हो गया। साध पूरी हो गई।
मगर सेक्यूलर रो रहे हैं। उन्हें काल ने ऐसा तमाचा जड़ा है कि कनपटी सुन्न हो गई है। भनभनाए घूम रहे। कुछ बरस पहले तक देश को गंगाजमनी तहजीब के नाम पर मुल्लाकरण और ईसाइवाद की ओर लेकर जा रहे इन सुथरे लोगों को पटक कर आज आकाश दिखला दिया गया है। न मुलायम रहे, न लालू। न सोनिया न धनिया। न राहुल न बाबुल। न लाहौर न काबुल। न अतीक न मुख्तार। न आजम न जाजम। हर ओर बस बम बम।हर ओर जय श्रीराम और हर हर महादेव का उद्घोष हो रहा।
कहां गए वो वलवले वो कहकहे। वो ग़ज़ल कव्वालियां! वो हज हाउस, वो रौबदाब। वो ठसक। कहां गया वो ताज ! और पूरे प्रदेश को मकबरों की जागीर समझने वाली सोच कहां मर गई! यह देश तो उलटी दिशा में चल पड़ा है! कोई कहता है कि देखो टैक्सपेयर्स के पैसे से कारिडोर बनवा दिया तो कोई रोता है कि मोदी तो देश को पीछे ले जा रहे। अरे..ओ टैक्सपेयर के ताऊ जी..130 करोड़ की आबादी वाले देश में कुल जमा डेढ़ करोड़ लोग तो टैक्स देते हैं, और तुम तो निश्चय ही उन डेढ़ करोड़ लोगों में से नहीं हो तब क्यों छाती पीटते हो? तुम्हारे बाप दादा, ताऊ की अठन्नी भी नहीं लगी। जिनके पैसे लगे हैं, वह तो झोली खोलकर और देने को तैयार हैं। काशी और अयोध्या तो सदा-सदा से इस भूमि के धाम रहे। उन पर सदियों तक दुख की छाया पड़ी रही। आज वहां धूप खिली है। आगे भी खिली ही रहेगी। तुम धीरज धरो भाई बहना! रोना मत। कुछ आंसू बचाकर रखो।
2014 से पहले किसी ने सोचा न था कि ऐसे दिन भी आएंगे जब देश भगवा रंग में रंग जाएगा। वैसे दिन आ गए। देश रंग गया। हमारे तीर्थ जो सदियों तक अपने उद्धार की प्रतीक्षा करते रहे। करोड़ों करोड़ हिन्दुओं ने भीगे नयनों से जिनकी मुक्ति का सपना देखा, वे मुक्त हो गए और तुम बंद हो रहे। कुढ़ रहे। अरे खुश होवो भाई। एक ही तो धरती है हिन्दुओं की। उसे पूर्ण स्वतंत्रता के साथ जीने दो।
मुख्य बात यह है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने केवल दस वर्षों में देश की राजनीतिक संस्कृति बदल दी है। यही बात इन्हें पच नहीं रही। ये घड़ी घड़ी बल्ल बल्ल बोकरने लगे हैं। नेहरू से नकटेढ़े नवाब तक इनकी दौड़ लग रही लेकिन मिल कुछ नहीं रहा। मिलना संभव भी नहीं है।
🌹🌹एक तप-त्याग से सधा हुआ नेता है। जिसके सामने देश के अतिरिक्त कुछ नहीं है। दूसरे बाप दादा की जागीर संभाले खड़े होने वाले लोग हैं जिनके लिए देश के अतिरिक्त ही सब कुछ है। तुम कब तक आंखें फाड़कर गंगा जमना बहाते रहोगे। छाती पीटना बंद कर दो बहिन। उधर देखो, सूरज उठ रहा प्राची से। नवभारत का निर्माण हो रहा।
🌹जागो जागो आया प्रभात
🌹बीती वह बीती अन्ध-रात
🌹झरता भर ज्योतिर्मय प्रपात पूर्वांचल
🌹बांधो बांधो किरणें चेतन
🌹तेजस्वी हे तमजिज्जीवन
🌹आतीं भारत की ज्योतिर्धन महिमा बल—
निराला
Devanshu Jha
Author: admin
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