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June 14, 2025 3:32 am

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दमन के जगन्नाथ मंदिर से प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र और शुभद्रा और सुदर्शन जी के स्नान मंडप पर शुद्ध बिधि बिधान से 108 कलशों के साथ पवित्र महा स्नान की योजना जेम प्लाजा को.ओ.हा.सो.के परिसर में कि गई ।

दमन के जगन्नाथ मंदिर से प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र और शुभद्रा और सुदर्शन जी के स्नान मंडप पर शुद्ध बिधि बिधान से 108 कलशों के साथ पवित्र महा स्नान की योजना जेम प्लाजा को.ओ.हा.सो.के परिसर में कि गई । आज के दिन
को देव स्नान पूर्णिमा अथवा स्नान यात्रा के नाम से भी जाना जाता है। ये जगन्नाथ जी के प्राकट्य दिवस भी कहा जाता है।जगन्नाथ स्नान यात्रा जो देव स्नान पूर्णिमा का दूसरा नाम है, सनातन वैष्णव धर्म परंपरा का पालन करने वालों द्वारा सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक माना जाता है।
भगवान जगन्नाथ की वार्षिक रथ यात्रा की पवित्र शुरुआत स्नान यात्रा से शुरू होती है

मंदिर के आदर्श अध्यक्षा श्रीमती अंजलि नंदा और संपूर्ण जगन्नाथ परिवार के भक्तों ने बताया कि खूब हर्षोल्लास के साथ ये विश्व के सर्व. ब्रुहत महापर्व के प्रारंभ उत्सव को सार्वजनिक रूप से कई सालों से मनाया गया हे दमन में है। यह साल भी यह उत्सव की तैयारी काफी जोर शोर से मनाई जाएगी । इस समारोह में, भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा रथ यात्रा से पहले पहली बार मंदिर के बाहर स्नान मंडप केलिए निकलते हैं।
मूल रूप से, यह एक विशेष उत्सव है जो समाज को आध्यात्म की ओर आकर्षित करता है और सनातन धर्म के प्रति अनुरक्ति बढ़ाता है।

सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक पवित्र स्नान उत्सव में शुद्धिकरण के बाद, देवताओं को गजानन बेश (हाथी पोशाक) पहनाया जाता है,
इस प्रक्रिया में आशीर्वाद के दर्शन शामिल हैं:

भगवान जगन्नाथ विश्व ब्रह्माण्ड के सर्वोच्च भगवान हैं
बलभद्र को बड़े भाई के रूप में जाना जाता है
महाभारत में देवी सुभद्रा को भाभी के रूप में जाना जाता है
सुदर्शन चक्र को पवित्र सुरक्षा करने वाला चक्र है।
शास्त्रों का मानना ​​है कि स्नान यात्रा में शामिल होने पर पापों से पूरी तरह मुक्ति पाने का एक महत्वपूर्ण दिन है, इसलिए यह आध्यात्मिक विकास के लिए भी एक महत्वपूर्ण दिन है। यह सभी लोगों को आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है।

जगन्नाथ स्नान यात्रा तिथि 11 जून 2025 और समय सुबह 11.30-शाम 6.30 बजे तक रही और 9.30 बजे महाप्रसाद के साथ समाप्त हो गई ।

ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा के दिन इस त्योहार पर पवित्र वातावरण का आयोजन होता है जो ईश्वरीय आशीर्वाद के लिए आमंत्रित किए गए थे । इस अनुष्ठान में समाज के सभी वर्ग के लोग शामिल हुए थे।

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