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September 13, 2025 10:15 pm

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पूर्व जन्मों का संचित अभ्यास ही आध्यात्मिक प्रगति : सु श्री अंजली जगन्नाथ बहन

पूर्व जन्मों का संचित अभ्यास आध्यात्मिक प्रगति के लिए सहायक वायु बन जाता है। इस वायु में, योगीजन पूर्व जन्मों से आगे बढ़ते हुए, वर्तमान जीवन में सच्चे प्रयास के रूप में अपनी पाल फहराते हैं। उनका वर्तमान प्रयास उन पूर्व जन्मों की तुलना में अधिक गहन है, जब वे अपनी यात्रा पूरी करने में असफल रहे थे।
इस प्रकार मनुष्य अतीत से प्राप्त गति का लाभ उठाने और अनुकूल वायु को अपने लक्ष्य तक ले जाने में सक्षम होते हैं। देखने वालों को ऐसा लग सकता है कि उन्होंने वर्तमान जीवन में ही पूरी दूरी तय कर ली है, लेकिन श्रीकृष्ण कहते हैं: “– बड़े प्रयत्न से यत्न करते हुए और भौतिक इच्छाओं से शुद्ध अनेक जन्म संसिद्ध: “योग में सिद्धि के संचित अभ्यास का परिणाम के बाद मनुष्य सर्वोच्च सिद्धि, सर्वोच्च मार्ग प्राप्त करता है।

बिल्कुल! योग एक व्यापक अभ्यास है जो शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करता है। यहां कुछ योग तकनीकों का वर्णन किया गया है जो आध्यात्मिक प्रगति के लिए सहायक हो सकती हैं:

  1. प्राणायाम (श्वसन तकनीक):
  • प्राणायाम श्वास को नियंत्रित करने की प्रक्रिया है। यह ऊर्जा के प्रवाह को संतुलित करता है और मानसिक शांति लाता है। कुछ प्रमुख प्रकार हैं:
    • अनुलोम-विलोम: यह श्वसन को संतुलित करता है और मानसिक स्पष्टता बढ़ाता है।
    • कपालभाति: यह ऊर्जा को सक्रिय करता है और मानसिक थकान को दूर करता है।
  1. आसन (शारीरिक मुद्राएँ):
  • आसनों का अभ्यास शरीर को मजबूत और लचीला बनाता है। कुछ महत्वपूर्ण आसन हैं:
    • ताड़ासन: यह शरीर की मुद्रा को सुधारता है और आत्मविश्वास बढ़ाता है।
    • भुजंगासन: यह रीढ़ की हड्डी को मजबूत करता है और ऊर्जा को बढ़ाता है।
    • सर्वांगासन: यह शरीर के विभिन्न अंगों के लिए लाभकारी है और मानसिक शांति लाता है।
  1. ध्यान (मेडिटेशन):
  • ध्यान मानसिक एकाग्रता को बढ़ाता है और आंतरिक शांति लाता है। इसे विभिन्न प्रकार से किया जा सकता है:
    • माइंडफुलनेस ध्यान: वर्तमान क्षण पर ध्यान केंद्रित करना।
    • मंत्र ध्यान: किसी मंत्र का जाप करते हुए ध्यान केंद्रित करना।
  1. साधना (आध्यात्मिक अभ्यास):
  • नियमित रूप से साधना करना आध्यात्मिक प्रगति के लिए महत्वपूर्ण है। यह साधना प्रार्थना, जप, या किसी गुरु के साथ अध्ययन के रूप में हो सकती है।
  1. सेवा (सेवा भाव):
  • सेवा करने से आत्मा की शुद्धि होती है और यह अहंकार को कम करता है। यह एक महत्वपूर्ण योगिक सिद्धांत है जो आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होता है।

इन तकनीकों के नियमित अभ्यास से आप अपनी आध्यात्मिक यात्रा में प्रगति कर सकते हैं। ध्यान रहे कि योग एक व्यक्तिगत अनुभव है, इसलिए इसे अपने अनुसार अपनाना और उसमें निरंतरता बनाए रखना महत्वपूर्ण है।

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