Explore

Search

November 21, 2024 10:10 pm

लेटेस्ट न्यूज़

श्रीकृष्णचरितामृतम्-!! मथुरा की ओर श्रीकृष्ण !!भाग 2 : Niru Ashra

श्रीकृष्णचरितामृतम्-!! मथुरा की ओर श्रीकृष्ण !!भाग 2 : Niru Ashra

श्रीकृष्णचरितामृतम् मथुरा की ओर श्रीकृष्ण !!

भाग 2

काका ! आपको गर्मी लग रही है ? …………पीछे से श्रीकृष्ण नें अक्रूर से पूछ लिया था ।

“नही”………अक्रूर रथ चलाते रहे ।

काका ! सुनो ना ! काका ! मुझे भूख लग रही है ।

अक्रूर से जब श्रीकृष्ण नें ये बात कही . ….तब अक्रूर नें रथ की लगाम खींच दी ………रथ वहीं रुक गया ।

क्या तुम्हे भूख लग रही है ? अक्रूर नें फिर स्पष्ट पूछा ।

हाँ ………..श्रीकृष्ण नें सिर “हाँ” में हिलाया ।

अक्रूर को हँसी आयी……इतना माखन खिलाया तो था इसकी माँ नें ……..फिर इतनी जल्दी इसे भूख लग गयी ?

मुझे मेरी मैया भी याद आरही है ! मेरी गोपियां भी ।

श्रीकृष्ण के मुख से ये सब सुनकर……अक्रूर का सिर चकरानें लगा …….ये क्या हुआ ? ये कोई भगवान नारायण नही है ….ये सामान्य मानवी बालक है……अरे ! मथुरा में तो हो सकता है इसे कोई खानें ही न दे ..क्यों की कंस का शत्रु है ये…………ओह ! ये बालक तो मर जायेगा ……..और अक्रूर तेरे ऊपर इसकी हत्या करनें का पाप ! अक्रूर के माथे से फागुन के महिनें में भी पसीनें निकल रहे थे ।

काका ! भूख लगी है । फिर श्रीकृष्ण नें कहा ।

चाहे कंस मुझे मार दे परवाह नही ……पर मैं इन बालकों को मरनें नही दूँगा ……….कंस के हाथों कैसे सौंप दूँ किसी के बालकों को !

अक्रूर नें निश्चय कर लिया कि यहीं से लौटा ले जाऊँगा रथ को ….और यशोदा और गोपियों को कह दूँगा नही ले जा रहा तुम्हारे प्रिय को ………….वो लोग भी खुश हो जायेंगे …………हाँ …….ऐसा सोचते हुये अक्रूर रथ से नीचे उतरे ……सामनें यमुना बह रही थीं ……।

कृष्ण ! तुम यहीं बैठो मै अभी आया ………इतना कहकर अक्रूर यमुना में गए ……..गर्मी हो रही थी अतितनाव के कारण अक्रूर को ।

ठीक है काका ! रथ में बैठे श्रीकृष्ण अक्रूर को बोले । और पीछे मुड़कर अपनें वृन्दावन को देखनें लगे थे ।

अक्रूर यमुना में गए ……………और डुबकी लगाई …..अत्यधिक सोचनें के कारण उन्हें गर्मी हो रही थी ………और जैसे ही डुबकी लगाई ।


ये क्या ? चौंक गए अक्रूर स्नान करते हुये ……….

श्रीकृष्ण मुस्कुराते हुये यमुना के जल में अक्रूर को दिखाई दे रहे थे ।

ये कृष्ण ? पर अक्रूर नें सिर झुकाया और हाथ जोड़कर नमन करनें लगे थे ……….तब जब उसी द्विभुज वाले श्रीकृष्ण नें चतुर्भुज का रूप धारण कर लिया था ……..ओह ! मेरे नारायण भगवान !

गदगद् कण्ठ हो गया अक्रूर का …..दोनों हाथ जुड़े हुये थे …..पर –

अक्रूर कुछ सोचकर जल से ऊपर आये……..रथ में जब देखा तो चकित……..जो झाँकी जल में श्रीकृष्ण कि थी वही रथ में भी विराजमान है ।

अब अक्रूर समझ गए ……..और उन्होंने बड़े प्रेम से श्रद्धा से स्तुति भी कि – भगवान नारायण की ।

निश्चिन्त हो गए अक्रूर ………उनके प्रसन्नता का कोई ठिकाना नही था ……………लौटकर आये तो रथ में श्रीकृष्ण बैठे हैं ।

अक्रूर मुस्कुराये ।

………काका ! क्या बात है बड़े मुस्कुरा रहे हो !

कुछ देख लिया क्या ?

अक्रूर नें वन्दन करते हुये कहा…….मुझे बहुत पहले देख लेना था जो आज देखा………ये कहते हुये रथ कि लगाम खींच दी अक्रूर नें और रथ मथुरा कि ओर…….नन्द बाबा बलभद्र अन्य ग्वाल बाल सब आगे चले गए थे ।

शेष चरित्र कल –

admin
Author: admin

Chief Editor: Manilal B.Par Hindustan Lokshakti ka parcha RNI No.DD/Mul/2001/5253 O : G 6, Maruti Apartment Tin Batti Nani Daman 396210 Mobile 6351250966/9725143877

Leave a Comment

Advertisement
लाइव क्रिकेट स्कोर
कोरोना अपडेट
पंचांग