श्रीकृष्णचरितामृतम्
!! कंस के धोबी का वध !!
भाग 2
श्रीकृष्ण का ध्यान नही गया इस ओर ……..पर सखाओं को बहुत बुरा लगा ………क्या करते अपमान को पचा गए बेचारे ।
अरे ! ये है ना धोबी…….. इसके पास वस्त्र हैं ……ये कहते हुये श्रीकृष्ण उस धोबी के पास गए …….वो पहले से ही क्रोध में था ………पर श्रीकृष्ण उसके पास जाकर बड़े प्रेम से बोले ……….मामा जी ! हमें वस्त्र दे दो ………क्यों की हमें अपनें मामा कंस से मिलनें जाना है …..देदो ।
मथुरा के नर नारी देख रहे हैं…….धोबी से उलझ गए हैं श्रीकृष्ण …….ये धोबी तो दुष्ट है…….ये अपनें सामनें किसी को कुछ मानता कहाँ है ……दूसरा कंस है ये भी…..नर नारियों में यही चर्चा हो रही थी ।
हट्ट ! जँगली लोग……….बाजरे की रोटी पोखरे का पानी पीनें वालों का आज साहस तो देखो……..राजा के वस्त्र पहनोगे ।
वैसे ही कुरूप था वो धोबी ……….ऊपर से क्रोध के कारण उसका कुरूप पना और बाहर आगया था ……….लाल आँखें दिखा रहा था वो ……तर्जनी बार बार दिखाकर वो अपनें रोष को प्रकट कर रहा था ।
श्रीकृष्ण उसे देखते रहे …….बड़े शान्त भाव से देखते रहे ………तात ! श्रीकृष्ण कुछ पहचाननें की कोशिश कर रहे थे……..और जब पहचाना ……तब क्रोध से आगे बढ़ते गए……उन मनोहर छबि के श्याम पर क्रोध अद्भुत लग रहा था……वो आगे बढ़ते गए और सबके देखते ही देखते एक जोर से धोबी को थप्पड़ मारा…….वो थप्पड़ इतना तेज था कि उसका सिर ही धड़ से अलग होकर दूर जाकर गिरा ।
हे उद्धव ! क्या पहचाननें कि कोशिश कर रहे थे श्रीकृष्ण ? और क्या धोबी को बाद में पहचान लिया ? ये धोबी था कौन ?
हे उद्धव ! मैं जानना चाहता हूँ ……..मुझे बताओ !
विदुर जी नें उद्धव से प्रश्न किया ।
तात ! ये धोबी कोई और नही ……….रामावतार का ही धोबी था …..जिसनें श्रीरामबल्लभा श्रीसीता जी के बारे में बहुत गलत गलत बोला था …..उस समय मर्यादापूर्ण अवतार में क्या करते श्रीरघुनाथ जी ………पर ये श्रीकृष्णावतार है ! यहाँ तो लीलापुरुषोत्तम बनें हैं ……इसलिये………उद्धव बोले ।
तात ! वध करते समय श्रीकृष्ण नें धोबी को श्रीरघुनाथ जी का ही रूप दिखाया था ……बस उसी समय धोबी को रामावतार कि सारी घटनाएँ दिखाई देंने लगीं थीं ।
.हे रजक ! तूझे क्या लगता है रामावतार कि तरह इस अवतार में भी तेरी हर बात मै सह लूँगा !……..सुन ! वो रामावतार था ….पर ये कृष्णावतार है …………छोड़ूँगा नही तुझे ………….।
ये कहते हुये श्रीकृष्ण नें धोबी का वध ही कर दिया ।
उद्धव आगे कहते हैं – मथुरा में हर्षोल्लास आरम्भ हो गया था …..नर नारियों नें श्रीकृष्ण का खुल कर साथ देना स्वीकार कर लिया …..करतल ध्वनि से सबनें श्रीकृष्ण का अभिवादन किया ।
ग्वाल सखा आपस में हंस रहे हैं……….”ये मथुरावासी हमारे कन्हैया को कुछ नही जानते ………..बेचारे ! धोबी को मार दिया तो ताली बजा रहे हैं ……अरे ! हमारे कन्हैया नें तो अघासुर केशी बकासुर कैसे कैसों तो मार गिराया है ……ये क्या है !
आज पूरे मथुरा में चर्चा के केंद्र में श्रीकृष्ण ही हैं ………हाँ श्रीकृष्ण ।
शेष चरित्र कल –
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