🌹 श्रीनाथजी
🌹 भावविभोर कथा —
श्रीनाथजी एक दिन भोर में अपने प्यारे कुम्भना के साथ गाँव के चौपाल पर बैठे थे ….. कितना अद्भुत दृश्य है – समस्त जगत के पिता एक नन्हें बालक की भाति अपने प्रेमीभक्त कुम्भनदास की गोदी में बैठ कर क्रीड़ा कर रहे हैं।
तभी निकट से व्रज की एक भोली ग्वालन निकली।श्रीनाथजी ने गूजरी को आवाज दी कि तनिक ईधर तो आ।
गूजरी ने कहा बाबा आपको प्यास लगी है क्या?
श्रीनाथजी ने कहा मुझे नही मेरे कुभंना को लगी है।श्रीनाथजी कुभंनदास को प्यार से कुभंना कहते हैं।
कुंभनदास जी कह रहे है कि श्रीजी मुझे प्यास नही लगी है।
तब श्रीनाथजी गूजरी से कहा कि इसको छाछ पिला। जैसे ही गूजरी ने कुभंनदास जी को छाछ पिलाई पीछे से श्रीनाथजी ने उसकी पोटली में से चुपके से एक रोटी निकाल ली।कुंभनदास जी ने उन्हें ऐसा करते हुए देख लिया।
श्रीनाथजी ने गूजरी से बड़े प्यार से कहा कि अब तू जा।भोली ग्वालन बाबा को छाछ पिला कर अपना कार्य सम्पन्न करने को चली गयी।गूजरी के जाते ही कुंभनदास जी ने श्रीनाथ जी से कहा – श्रीजीआपकी ये चोरी की आदत गई नहीं।
तब श्रीनाथजी ने आधी रोटी कुभंना को दी और आधी रोटी आप ने ली।
कुभंनदास जी ने जब हिचकिचाहते हुए रोटी ली तब श्रीनाथजी ने कहा अरे कुभंना तू चख तो सही तब कुभंनदास जी ने एक निवाला खाया और कहने लगे बाबा ये कैसा स्वाद है?
तब श्रीनाथजी ने बताया कि ये गूजरी जब रोटी बनाती तो मेरा नाम ले ले कर बेलती है इसलिए इसमें मेरे नाम की मिठास भरी है।बाबा अब तू ही बतला इस प्रेमभरी रोटी का आरोगे बगैर में कैसे रह सकूँ हूँ। ये भोली गूजरी लज्जावश श्रीमंदिर में मुझे ये सूखी रोटी पवाने तो कभी आयेगी नहीं इसीलिए बाबा मैंने ये प्रेम भरी रोटी स्वयं ही चुरा ली।
धन्य हो आप प्रभु ! धन्य हो।
जय श्री कृष्णा जी।
🙏🌹🙏🇬🇭
Author: admin
Chief Editor: Manilal B.Par Hindustan Lokshakti ka parcha RNI No.DD/Mul/2001/5253 O : G 6, Maruti Apartment Tin Batti Nani Daman 396210 Mobile 6351250966/9725143877