Explore

Search

November 22, 2024 5:16 am

लेटेस्ट न्यूज़

श्रीकृष्णचरितामृतम्-!!”द्वारिका ते पत्र आयो है” – उत्तरश्रीकृष्णचरितामृतम् 58 !!-भाग 1 : Niru Ashra

श्रीकृष्णचरितामृतम्-!!”द्वारिका ते पत्र आयो है” – उत्तरश्रीकृष्णचरितामृतम् 58 !!-भाग 1 : Niru Ashra

श्रीकृष्णचरितामृतम्

!!”द्वारिका ते पत्र आयो है” – उत्तरश्रीकृष्णचरितामृतम् 58 !!

भाग 1

( मेरे प्रिय साधकों ! मेरे कन्हैया ने अगर चाहा तो महाभारत पर मैं स्वतन्त्र लेखनी फिर कभी चलाऊँगा, और वो मुझ से जितना लिखवायें ये हरि उतना ही लिखता जाएगा ।“श्रीकृष्णचरितामृतम्” में इससे ज़्यादा महाभारत को विस्तार मैं दे नही सकता , आप पूछोगे क्यों ? तो मेरा उत्तर आपको अटपटा लगेगा या आप कहोगे “ज़्यादा सिद्ध बन रहा है” , पर ये सत्य है की महाभारत में , मैं गहरे जाऊँ ये मेरे कन्हैया को इस समय प्रिय नही लग रहा , इसलिये मैं फिर एक बार अपनी मैया यशोदा के पास जाना चाहता हूँ , मेरा वो बाबा बृजराज , मेरा वो मनसुख , श्रीदामा भैया और मेरी आराध्या श्रीजी , इन सबको स्मरण कर रहा हूँ । ये आपकी कल्पना है “रोहिणी का पत्र” ? कुछ दिन पहले एक साधक ने मुझ से प्रश्न किया था , कृपा करके कल्पना मत कहो , मेरी भावना या लीला चिन्तन कहो तो मुझे अच्छा लगेगा । और आप सब मुझे आशीष दें कि मेरा ये लीला चिन्तन और गहरा जाए , मैं सब कुछ भूल जाऊँ बस – हरिशरण )


मैया ! मैया ! मैया !

क्या हुआ मनसुख ! सुबह ही सुबह क्यों चिल्ला रहा है ? मैया यशोदा आँगन में बैठी हैं सर्दी कुछ ज़्यादा ही पड़ रही है इन दिनों , धूप में बैठी मैया मौन हैं , उनके आस पास गोपियाँ हैं ।

द्वारिका में शीत का प्रकोप तो होगा ? फिर वहाँ कन्हैया का ध्यान कौन रखता होगा ?

मैया अभी भी ये द्वारिकाधीश को वही कन्हैया ही समझे हुये है ।

“ सोलह हजार हैं तो ध्यान रखने के लिए”, यह गोपी ने कह दिया था ।

पर सुनी है द्वारिका में शीत का ज़्यादा प्रकोप होता नही है , दूसरी गोपी बोल उठी थी ।

अच्छा ! वहाँ ग्रीष्म ऋतु ही है क्या ? भोली है मैया इसने तो समुद्र ही नही देखा है इसे क्या पता कि समुद्र के तटों में बसे नगरों में शीत ऋतु यहाँ की तरह आती ही कहाँ हैं ? मैया ! छ ऋतुए केवल हमारे बृज में ही है , फिर बृज कुँ छोड़ के क्यों गयो मेरो लाला ? नेत्रों से फिर अश्रु बहने लगे थे मैया के ……..

तभी – मैया ! मैया ! मैया ! मनसुख दौड़ा हुआ सामने से आरहा है ।

क्या हुआ मनसुख ! सबेरे सबेरे क्यों चिल्ला रहा है ?

मैया यशोदा ने सामने से दौड़ते आते मनसुख से पूछा था ।

मैया ! द्वारिका ते पत्र आयो है ।

मैया उठकर खड़ी है गयी , गोपियों का हृदय भी आल्हाद से भर गया इस सूचना से , वो भी मनसुख से पूछने लगी थीं , कहाँ है पत्र ? बता कहाँ है पत्र ?

अरे ! मेरे पास नाँय , बू देख रथ , मनसुख ने रथ दिखा दिया था , सच में द्वारिका से दो लोग आए थे , आए तो थे हस्तिनापुर के लिए पर रोहिणी माता ने उनके हाथों में पत्र भी लिखकर दे दिया था , हस्तिनापुर के निकट ही है बृज वृन्दावन इसलिए ।


जीजी !
आपके चरणों इस अभागी रोहिणी का प्रणाम स्वीकार करना ।

अभागी इसलिए कह रही हूँ कि वृन्दावन जैसी भूमि को छोड़कर , आप जैसे निस्वार्थ प्रेम के दाताओं को छोड़कर मैं यहाँ पड़ी हुई हूँ , जहाँ मात्र राजनीति, कूटनीति हिंसा बस इसके सिवा और किसी बात की अब चर्चा ही नही होती । झुलस सा गया है अपना कन्हैया भी इन राजनीति के पचड़े में पड़ कर , जीजी ! कुछ दिन पहले आया था मेरे महल में कन्हैया , रोया बहुत रोया कहने लगा यहाँ सब स्वार्थ का प्रपंच है , हर क्रिया में लोग ये सोचते हैं कि इससे हमें क्या लाभ !

जीजी ! वो बोला , मेरा वृन्दावन ! मेरे वृन्दावन के लोग ओह ! कितने निस्वार्थ ! जलता है मेरा हृदय यहाँ के येसे लोगों को देखकर ,

कन्हैया ! तो हो आ ना वृन्दावन ! मिल आना अपने लोगों से ।

पत्र देकर चले गए थे वो द्वारिका के दूत , पत्र मनसुख पढ़कर सुना रहा था , पूरा वृन्दावन ही इकट्ठा हो गया और पूर्ण तन्मयता से सुन रहा था रोहिणी माता का ये पत्र ।

जीजी ! इस बात पर कन्हैया कुछ नही बोला । ये सुनते हुये मैया यशोदा रो पड़ी थीं ।

क्रमशः …
शेष चरित्र कल-

admin
Author: admin

Chief Editor: Manilal B.Par Hindustan Lokshakti ka parcha RNI No.DD/Mul/2001/5253 O : G 6, Maruti Apartment Tin Batti Nani Daman 396210 Mobile 6351250966/9725143877

Leave a Comment

Advertisement
लाइव क्रिकेट स्कोर
कोरोना अपडेट
पंचांग