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November 22, 2024 10:17 am

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श्रीकृष्णचरितामृतम्-!! “द्वारिका की ओर सुदामा” – उत्तरश्रीकृष्णचरितामृतम् 60 !!-भाग 1 : Niru Ashra

श्रीकृष्णचरितामृतम्-!! “द्वारिका की ओर सुदामा” – उत्तरश्रीकृष्णचरितामृतम् 60 !!-भाग 1 : Niru Ashra

श्रीकृष्णचरितामृतम्

!! “द्वारिका की ओर सुदामा” – उत्तरश्रीकृष्णचरितामृतम् 60 !!

भाग 1

दे तो दूँगी , पर लौटाओगी कैसे सुशीला !

पति सुदामा ने कभी हाथ नही फैलाया पर द्वारिका भेजने के लिए सुशीला चल पड़ी थी अपने अड़ोस पड़ोस में चिउरा माँगने ।

अरे ! कौन माँगने आया है ? दूसरी पड़ोसन पूछ रही थी ।

सुशीला है , उत्तर दिया ।

ये लोग तो कभी माँगे नही , फिर आज कैसे माँग रहे हैं ।

बहन ! मेरे पति द्वारिका जा रहे हैं , द्वारिकाधीश मेरे पतिदेव के मित्र निकले ।

सुशीला समझा रही है अपने अड़ोस पड़ोस की महिलाओं को ।

क्या वहाँ जाकर द्वारिकाधीश से भीख माँगेंगे तेरे पति ? सुशीला की हंसी उड़ाई जाने लगी ।

मित्र निकले ? इसका क्या मतलब हुआ ? ये कहकर सब हंसने लगीं ।

और देखो! मित्रता भी जोड़ी है तो किससे , द्वारिकाधीश से ।

मैं झूठ नही कह रही , बहन ! सुनो , बचपन में दोनों साथ पढ़े थे अवंतिकापुरी में ।

सीधी सादी है सुशीला , जो बात है कह दी ।

सुशीला ! द्रुपद और द्रोणाचार्य की चर्चा तो सुनी होगी तुमने , कहीं ऐसा ही न हो जाए ।

ये दोनों भी मित्र थे , साथ साथ पढ़े थे , पर द्रुपद क्षत्रिय और द्रोण ब्राह्मण ।

शिक्षा पूरी हुई , तो द्रुपद अपने राजमहल में , द्रोण अपनी झोपड़ी में ।

पड़ोस की महिलाएँ सुशीला को ये कहानी सुनाने लगी थीं ।

बेचारी सुशीला सुन रही है , क्या करें ।

तेरे पण्डित सुदामा की तरह द्रोण की भी शादी हो गयी , अब गरीब घर, कुछ नही था पास में ।

सुशीला ! तेरी तरह , ये कहकर सब हंसने लगी थीं ।

घर में एक दिन देख लिया द्रोण ने, द्रोण की पत्नी अपने बालक को दूध पिला रही थी , पर वो दूध नही था , आटे का घोल पिला रही थी ।

सुशीला ! ये देखकर द्रोण को बड़ा दुःख हुआ , वो उसी समय द्रुपद के पास चले गए माँगने के लिए । पर तुम जानती हो , राजा द्रुपद ने अपमान करके भेज दिया द्रोण का ।

इसलिए सोच लो , कहीं अपमान न हो जाए तुम्हारे पति सुदामा का ।

नेत्रों से अश्रु बह चले थे सुशीला के , वो द्रुपद नहीं हैं , वो द्वारिकाधीश हैं ,

करुणा से भरे, कृपा के सागर हैं , द्रुपद की तुलना मेरे द्वारिकाधीश से मत करो ।

सुशीला समझ गयी कि ये सब मेरा मज़ाक़ उड़ाने वाली हैं चिउरा मुझे कोई नही देगा ।

वो हाथ जोड़कर बोली , मत दीजिए चिउरा , पर मेरे पतिदेव और उनके मित्र को हास्य का विषय मत बनाइए । ये कहकर अपनी फटी साड़ी से अपने अश्रुओं को पोंछती हुई सुशीला अपने घर की और चल पड़ी थी ।

सुशीला ! पीछे से एक पड़ोसन ने आवाज दी ।

बहन ! किसी गरीब को कुछ दे नही सकते तो कम से कम , सुशीला हाथ जोड़कर बोल रही थी कि …….

चिउरा कितना चाहिए ? पड़ोसन ने पूछा ।

सुशीला प्रसन्नता से खिल गयी , तुम दे रही हो मुझे चिउरा ?

चार मुट्ठी , बस चार मुट्ठी चिउरा , सुशीला आनंदित होकर बोली ।

पर , पड़ोसन ने कहा चार गुना लुंगी , मैं दस गुना दूँगी , सुशीला बोली , मन ही मन कहा सुशीला ने वो त्रिलोक पति हैं , वो सब कुछ देंगे मेरे पति को ।

चार मुट्ठी चिउरा लेकर आगयी थी अपनी कुटिया में सुशीला ।

क्रमशः ….
शेष चरित्र कल –

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