Explore

Search

November 21, 2024 12:30 pm

लेटेस्ट न्यूज़

छठ महापर्व – सनातन धर्म – हिन्दू धर्म-मईया व्रत महत्व : Kusuma Giridhar

छठ महापर्व – सनातन धर्म – हिन्दू धर्म-मईया व्रत महत्व : Kusuma Giridhar

जय श्री कृष्ण

🙏🏻छठ महापर्व 🙏
सनातन धर्म – हिन्दू धर्म

  🙏 छठी मईया व्रत 🙏
         🌞महत्व 🌞

🌺श्वेताश्वतरोपनिषद् में बताया गया है कि परमात्मा ने सृष्टि रचने के लिए स्वयं को दो भागों में बांटा दाहिने भाग से पुरुष, बाएं भाग से प्रकृति का रूप सामने आया।

🌺ब्रह्मवैवर्तपुराण के प्रकृतिखंड में बताया गया है कि सृष्टि की अधिष्ठात्री प्रकृति देवी के एक प्रमुख अंश को देवसेना कहा गया है प्रकृति का छठा अंश होने के कारण इन देवी का एक प्रचलित नाम षष्ठी हुआ, पुराण के अनुसार ये देवी सभी बालकों की रक्षा करती हैं और उन्हें लंबी आयु प्रदान करती हैं।
जन्म कुंडली वर्तमान और भविष्य
🌺”षष्ठांशा प्रकृतेर्या च सा च षष्ठी प्रकीर्तिता।
बालकाधिष्ठातृदेवी विष्णुमाया च बालदा।।
आयु:प्रदा च बालानां धात्री रक्षणकारिणी ।
सततं शिशुपार्श्वस्था योगेन सिद्धियोगिनी”।।
(ब्रह्मवैवर्तपुराण/प्रकृतिखंड)

🌺षष्ठी देवी को ही स्थानीय बोली में षठ/छठ मईया कहा गया है। षष्ठी देवी को ब्रह्मा की मानसपुत्री भी कहा जाता है जो, नि:संतानों को संतान देती हैं और सभी बालकों की रक्षा करती हैं।

🌺आज भी देश के बड़े भूभाग में बच्चों के जन्म के छठे दिन षष्ठी पूजा या छठी पूजा का चलन है। पुराणों में इन देवी का एक नाम कात्यायनी भी है, इनकी पूजा नवरात्र में षष्ठी तिथि को ही होती है।

🌺अब प्रश्न उठता है सूर्य देव के साथ षष्ठी देवी की पूजा क्यो होती है?

🌺हमारे धर्मग्रथों में हर देवी-देवता की पूजा के लिए कुछ विशेष तिथियां बताई गई हैं उदाहरण के लिए, भगवान गणेश की पूजा चतुर्थी को,भगवान विष्णु की पूजा एकादशी को किए जाने का विधान है। इसी तरह सूर्य की पूजा के साथ सप्तमी तिथि जुड़ी है सूर्य सप्तमी, रथ सप्तमी जैसे शब्दों से यह स्पष्ट है।

🌺लेकिन छठ में सूर्य का षष्ठी के दिन पूजन अनोखी बात है सूर्य षष्ठी व्रत में ब्रह्म और शक्ति (प्रकृति और उनके अंश षष्ठी देवी) दोनों की पूजा साथ-साथ की जाती है इसलिए व्रत करने वालों को दोनों की पूजा का फल मिलता है, यही बात इस पूजा को सबसे खास बनाती है।

🌺इस कारण सूर्य और षष्ठी देवी की साथ-साथ पूजा किए जाने की परंपरा है।

🌺कुछ खास बातें हैं जैसे कि माता स्वयं प्रकृति का रूप हैं तो प्रकृति खुद को स्वस्थ एवं स्वच्छ देखना चाहती है, अतः इस त्योहार में स्वच्छता का महत्व बहुत ही ज्यादा है।

छठ पूजा की परंपरा और उसके महत्व का प्रतिपादन करने वाली अनेक पौराणिक और लोक कथाएं प्रचलित हैं। पूजा का सबसे महत्वपूर्ण पक्ष इसकी सादगी, पवित्रता और लोकसंस्कृति है। भक्ति और आध्यात्म से परिपूर्ण इस पर्व के लिए न विशाल पंडालों और भव्य मंदिरों की जरूरत होती है न ऐश्वर्ययुक्त मूर्तियों की।

एक पौराणिक लोककथा के अनुसार लंका विजय के बाद राम राज्य की स्थापना के दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी को भगवान राम और माता सीता ने उपवास किया और सूर्यदेव की आराधना की। सप्तमी को सूर्योदय के समय पुनः अनुष्ठान कर सूर्यदेव से आशीर्वाद प्राप्त किया था।

एक अन्य मान्यता के अनुसार छठ पर्व की शुरुआत महाभारत काल में हुई थी। सबसे पहले सूर्य पुत्र कर्ण ने सूर्य देव की पूजा शुरू की। कर्ण भगवान सूर्य का परम भक्त था। वह प्रतिदिन घंटों कमर तक पानी में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देता था। सूर्य की कृपा से ही वह महान योद्धा बना था। आज भी छठ में अर्घ्य दान की यही पद्धति प्रचलित है।

कुछ कथाओं में पांडवों की पत्नी द्रोपदी द्वारा भी सूर्य की पूजा करने का उल्लेख है। वे अपने परिजनों के उत्तम स्वास्थ्य की कामना और लंबी उम्र के लिए नियमित सूर्य पूजा करती थीं।

एक कथा के अनुसार राजा प्रियंवद को कोई संतान नहीं थी, तब महर्षि कश्यप ने पुत्रेष्टि यज्ञ कराकर उनकी पत्नी मालिनी को यज्ञाहुति के लिए बनाई गई खीर दी। इसके प्रभाव से उन्हें पुत्र हुआ परंतु वह मृत पैदा हुआ। प्रियवद पुत्र को लेकर श्मशान गए और पुत्र वियोग में प्राण त्यागने लगे। उसी वक्त भगवान की मानस कन्या देवसेना प्रकट हुई और कहा कि सृष्टि की मूल प्रवृत्ति के छठे अंश से उत्पन्न होने के कारण मैं षष्ठी कहलाती हूं। राजन तुम मेरा पूजन करो तथा और लोगों को भी प्रेरित करो। राजा ने पुत्र इच्छा से देवी षष्ठी का व्रत किया और उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। यह पूजा कार्तिक शुक्ल षष्ठी को हुई थी।

मूलतः सूर्य षष्ठी व्रत होने के कारण इसे छठ कहा गया है। यह पर्व वर्ष में दो बार मनाया जाता है। पहली बार चैत्र में और दूसरी बार कार्तिक में। चैत्र शुक्ल पक्ष षष्ठी पर मनाए जानेवाले छठ पर्व को चैती छठ व कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी पर मनाए जाने वाले पर्व को कार्तिकी छठ कहा जाता है। पारिवारिक सुख-समृद्घि तथा मनोवांछित फल प्राप्ति के लिए यह पर्व मनाया जाता है।
🙏🍁🙏🍁🙏🍁🙏🍁🙏🍁🙏🍁🙏

admin
Author: admin

Chief Editor: Manilal B.Par Hindustan Lokshakti ka parcha RNI No.DD/Mul/2001/5253 O : G 6, Maruti Apartment Tin Batti Nani Daman 396210 Mobile 6351250966/9725143877

Leave a Comment

Advertisement
लाइव क्रिकेट स्कोर
कोरोना अपडेट
पंचांग