श्रीकृष्णचरितामृतम्
!! “अब कन्हैया मिलेंगे”- उत्तरश्रीकृष्णचरितामृतम् 71 !!
भाग 2
जीजी ! पाण्डवों का वनवास भी अब पूरा हो रहा है , कहीं कौरव और पाण्डवों में भीषण युद्ध छिड़ न जाए , आचार्य इसी की और इंगित कर रहे थे , वो तो कह रहे थे ऐसा भीषण युद्ध होगा जो श्रीराम रावण के बाद हुआ ही नही था …..जीजी ! डर लगता है , इसलिए कह रही हूँ कि आप सब कुरुक्षेत्र में आजाओ , साथ में स्नान कर लेंगे , मिल जुल लेंगे , मेरा मन बहुत कर रहा है आप को देखने का , और कन्हैया भी कह रहा है , जीजी ! आजाओ ना !
आप बड़ी हैं जीजी ! मैं तो छोटी हूँ आपसे , आयु में भी और बुद्धि में भी ….इसलिए मेरी प्रार्थना है आप सब अवश्य आइएगा कुरुक्षेत्र …….सब मिलेंगे , आप लोगों का अपना कन्हैया मिलेगा ।
जीजी ! कितना बड़ा हो गया है कन्हैया , देख तो लो।
बाकी सब ठीक है …………
यथायोग्य सबको प्रणाम – रोहिणी ।
मैया यशोदा ने पत्र सुनने के बाद बाबा नन्द की और देखा ……..
क्या कह रही हो ? बाबा ने पूछा ।
चलिए ना कुरुक्षेत्र ! पुण्य धर्म आदि के लिए नही , अपने कन्हैया के लिए ।
मैया यशोदा के नेत्र भर आए थे ।
बाबा ! चलो ना , अपने लाला को देखेंगे …..मनसुख भी पत्र को रखकर बोला ….आज पूरे सौ वर्ष होने को आए हैं , सौ वर्षों तक हम लाला के बिना रहे , पर बाबा , अब रहा नही जाता ….मिला दो ना कन्हैया से । मनसुख रो उठा था ।
बाबा ! चलो ना …कुरुक्षेत्र …..श्रीदामा आदि अन्य सखा भी बोल उठे थे ।
बाबा ! कब ये शरीर छूट जाए क्या पता , और शरीर बिना कन्हैया को देखे छूट गया ना तो बड़ी हानि होगी …..इसलिए चलो ना कुरुक्षेत्र …….चन्द्रावली गोपी भी बोल रही थी ।
आज बरसाने से अष्टसखियों के साथ श्रीराधारानी पधारीं थीं ।
मैया यशोदा और बाबा नन्द को प्रणाम किया श्रीराधा रानी ने ।
बेटी ! तुम क्या कहती हो ? ब्रजराज ने श्रीराधा के सिर में हाथ रखते हुए पूछा था ।
बाबा ! चलो कुरुक्षेत्र …….वे मिलेंगे , आहा ….मैं सौ वर्षों के बाद उन्हें देखूँगी …..
ये कहते हुए श्रीराधा भावावेश में आगयी ।
पर मैं नही जा सकता …..ब्रजराज बाबा ने स्पष्ट कह दिया ।
पर क्यों नही जा सकते आप ब्रजराज ! तभी महर्षि शांडिल्य भी वहाँ आगए थे ।
इसलिए गुरुदेव! कि मैं चला जाऊँगा तो इस वृन्दावन को कौन देखेगा , यहाँ वृक्ष हैं यहाँ पक्षी हैं गौ धन हैं इनकी सम्भाल कौन करेगा । नन्दबाबा इतना बोलकर चुप हो गए थे …..सबकी दृष्टि नन्दबाबा पर ही अटकी पड़ी थी क्यो की निर्णय करने वाले वही थे ।
हे ब्रजराज ! जाओ आप कुरुक्षेत्र …..मैं सम्भाल लूँगा वृन्दावन को ।
पीछे मुड़कर देखा नन्द बाबा ने तो बरसाने के अधिपति वृषभान जी आरहे थे ..उन्हीं ने ये कहा था ।
मित्र वृषभान !
हृदय से लगा लिया नन्दबाबा ने ।
आप सब जाइए कुरुक्षेत्र , कन्हैया को देखकर मिलजुल कर आइए ……..मैं यहाँ सब व्यवस्थित रखूँगा …….वृषभान जी ने नन्दबाबा की और देखकर जब ये कहा तो वहाँ उपस्थित समस्त बृजवासी आनन्द से झूम उठे थे । तैयारियाँ शुरू कर दी थीं कुरुक्षेत्र चलने की , सबने ।
शेष चरित्र कल –
Author: admin
Chief Editor: Manilal B.Par Hindustan Lokshakti ka parcha RNI No.DD/Mul/2001/5253 O : G 6, Maruti Apartment Tin Batti Nani Daman 396210 Mobile 6351250966/9725143877