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November 22, 2024 12:07 pm

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श्रीकृष्णचरितामृतम्-( “अपनों के मध्य कन्हैया”- उत्तरश्रीकृष्णचरितामृतम् 74 )-भाग 2 : Niru Ashra

श्रीकृष्णचरितामृतम्-( “अपनों के मध्य कन्हैया”- उत्तरश्रीकृष्णचरितामृतम् 74 )-भाग 2 : Niru Ashra

श्रीकृष्णचरितामृतम्

( “अपनों के मध्य कन्हैया”- उत्तरश्रीकृष्णचरितामृतम् 74 )

भाग 2

अरे मनसुख ! तू बाहर बैठा है ….चल भीतर सो जा …तू सोया भी नही है …..

बाबा नन्द उठ गए थे , मनसुख की तेज आवाज ने उन्हें उठा दिया था….वो बाहर आए और जैसे ही मनसुख को भीतर चलने के लिए कहा ……..कन्हैया उठे , कन्हैया को देखा नन्दबाबा ने …

बाबा को देखते ही नयनों से अश्रु बह चले थे उनके लाला के …….झुके चरणों में , अपना मस्तक रख दिया था ….बाबा नन्द तो स्तब्ध हो गए ….देखते रहे सिर में अपने कर रख अश्रुओं से मस्तक भिगो दिया अपने लाला के ।

कुछ देर बोल न सके दोनों ही पिता पुत्र …..मैया कहाँ है बाबा ? बाबा की आज वाणी ही अवरुद्ध हो गयी थी ….हाथ पकड़ लेकर शिविर में आए बाबा …….

देखो ! यशोदा ! कौन आया है ? लेटी हुई थीं मैया ….ये सोती कहाँ हैं ! सौ वर्ष हो गए …कभी झपकी आगयी तो आगयी …वो झपकी भी मिनटों की ही होती है मैया की ।

रहने दो …..थकान सी हो रही है , मुझे नही देखना कुछ भी ….मैया लेटी रहीं ।

कन्हैया आगे बढ़े …..और अपनी प्यारी मैया के पास गए ……

मैया ! घुटनों के बल बैठ कर वो बोले ।

कौन …..उठ गयी एकाएक मैया ……अब देख भी नही पाती है अच्छे से ।

तेरा लाला मैया ………चरणों में सिर रख दिया कन्हैया ने ।

क्या …..मेरा लाला …अश्रुओं की धार बह चली …..सिर में हाथ रखती हैं ….हार फेरती हैं ….फिर उन्माद में भरकर अपने हृदय से लगा लेती हैं ……मेरे गोपाल ! कैसा है तू …..आज सौ वर्षों के बाद मिला है ….तुझे याद भी आयी इस बूढ़ी मैया की ? कैसा निष्ठुर है रे तू …..सब भूल गया …हम सब को भूल गया …..हम सब तेरे लिए एक एक पल गिन गिन कर काट रहे थे और तू ? मेरे लाला ! ये कहते कहते मैया अपने लाला को गोद में बिठा लेती हैं …….चूमती हैं ….बार बार लाला के घुंघराले केशों में अपने हाथ फेरती हैं ।

एक बात कहूँ लाल ! मैया ने लाला के कपोल छूते हुए पूछा ।

हाँ , कह मैया !

लाला ! ये शरीर छूट जाए अब । मैया बोल उठीं ।

हिलकियों से रो पड़े कन्हैया ….ऐसा मत बोल मैया …कहते हुए अपनी मैया की छाती से लग गए थे । इस दृश्य को जिसने भी देखा वो रो पड़ा था । सौ वर्षों के बाद इन सबका मिलन हो रहा था …..आहा ….आज बहुत प्रसन्न थे वृन्दावन वासी , उनका कन्हैया जो आज उनके सामने था ।

शेष चरित्र कल-

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