श्रीकृष्णचरितामृतम्
!!”यदुकुल को श्राप” – उत्तरश्रीकृष्णचरितामृतम् 83 !!
भाग 2
साम्ब ! देखो वहाँ कुछ ऋषि बैठे हैं …….
साम्ब महारानी जाम्बवती का पुत्र है …इसे दुर्वासा की घटना से ऋषियों के प्रति ही दुर्भावना आगयी थी ………
कहाँ हैं ? साम्ब ने पूछा ।
“वहाँ”….सत्या नामक सत्यभामा के कुमार ने साम्ब को इशारा किया था ।
एक दो नही कमसे कम पचास श्रीकृष्ण कुमार भ्रमण कर रहे थे , और कोई क्रीड़ा में रत थे ….तभी इन्होंने ऋषियों को देख लिया था ।
“साम्ब” समस्त कुमारों में सुन्दर हैं ….मूँछ दाढ़ी इनकी आती नही थी …अत्यंत गौर वर्ण घने घुंघराले केश …..इनको कोई दूर से देखे तो लगता ही था कि ये कोई सुन्दर नारी है ।
“ये ऋषि”…….साम्ब को विनोद करने की सूझी …….
अन्य कुमारों ने देखा तो वो खूब हंसे …..साम्ब ! आनन्द आएगा …..इन ऋषियों के साथ विनोद हो जाए …..”दुर्वासा का बदला लूँगा” …अन्य काष्णि कुमारों ने साम्ब को और उकसाया ।
श्रीकृष्ण अखण्ड हैं , श्रीकृष्ण अनादि हैं….वे स्वयं काल हैं ….देवर्षी की बातों पर ऋषि परासर ने कहा ….वे काल से भी परे हैं ।
सत्संग चल रहा था ऋषियों का ………ऋषि जन स्वयं में गदगद थे ……
तभी – एक अत्यंत सुन्दरी ने आकर ऋषियों के चरणों में प्रणाम किया ।
प्रणाम का कोई उत्तर ऋषियों ने नही दिया ….और अपनी भगवत् चर्चा में ही मग्न रहे ।
पर सुन्दरी भी असभ्य ही थी ….इसलिए ऋषियों को फिर प्रणाम किया ।
अरे ! बालकों . जाओ और क्रीड़ा करो …..यहाँ हमें विक्षेप न करो ।
नारद जी ने झुँझला कहा था ।
महाराज ! बस ये तो बता दीजिए कि ….इस सुन्दरी नारी के पुत्र होगा या पुत्री ?
सत्यभामा के पौत्र ने देवर्षी नारद जी से पूछा था ……
तीन बार पूछा …….तीनों बार नारद जी ने कोई उत्तर नही दिया …क्या उत्तर देते ….
चौथी बार पूछने पर देवर्षी ने रोष में भरकर कहा …कार्ष्णि होने के बाद भी तुम लोग ऐसे हो …….ऋषियों का अपमान कर रहे हो !
पर हमने क्या किया ! हमने तो इस बेचारी गर्भवती के गर्भ के बारे में ही पूछा है ।
नारद जी ने कुछ कहना उचित नही समझा ….और अपनी भगवत् चर्चा में ही फिर लग गए ।
पर ये सब कुमार आज उद्दण्ड हो गए थे ….आप तो अंतर्यामी हैं ….सब जानते हैं …फिर क्यों नही बता पाता रहे की इसके गर्भ में क्या है ….लड़का या लड़की ?
“मूर्ख ! लौह का पिण्ड होगा इसके गर्भ से…..जो तुम्हारे यदुकुल का संहारक होगा”
ऋषियों के समूह ने ही ये श्राप दे दिया था ।
ओह ….ये क्या हो गया ! आँखों के आगे अन्धकार छा गया यादव कुमारों के …….
शेष चरित्र –
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