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October 30, 2025 8:23 am

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!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 25 !! – कृष्ण को भी पावन किया श्रीराधा नें … भाग 4 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 25 !! – कृष्ण को भी पावन किया श्रीराधा नें … भाग 4 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 25 !!

कृष्ण को भी पावन किया श्रीराधा नें …
भाग 4

“तीर्थ स्नान”………क्यों की ये ब्रह्म हत्या है ………इसलिये समस्त तीर्थों की नदियों में स्नान …………पंचों नें अपना निर्णय सुना दिया ।

और अगर ………….सारे तीर्थ यहीं बुला लूँ तो ?

कृष्ण सहज बोले थे ।

हाँ ……ठीक है ……पर कैसे बुलाओगे यहाँ ……हँसे पञ्च ।

“एक कुण्ड में”…………..कृष्ण नें उत्तर दिया ।

पर वो कुण्ड नया होना चाहिए…………और हम सबके सामनें वो प्रकट हो ……….उसमें जल हमारे सामनें आये ……तब हम मानेंगें कि ये तीर्थ तुमनें प्रकट किया है …….

हाँ …ठीक है ……………..

चलो ………चलो मेरे साथ …………कृष्ण नें तुरन्त कहा ।

पर अभी ? पञ्च घबड़ाये ………..हाँ …अभी ? क्यों ?

नही ……..चलो…। …..सब चल दिए …………गोवर्धन पर्वत के पास गए कृष्ण …………और एक स्थान पर …………..

आँखें बन्दकरके बैठ गए …….

गंगा, सरस्वती नर्मदा कावेरी ……..बारि बारि से नाम लेनें लगे …..नदियों का …….तीर्थों का ………।

और देखते ही देखते ……जल आगया ………धार फूट पड़ी ।

सारे ग्वाल बाल नाच उठे ………..”कृष्ण कुण्ड”…..कृष्ण ! इस कुण्ड का नाम कृष्ण कुण्ड है………नाहा तू अब इसमें ।

कृष्ण नें स्नान किया ।

अब तो मेरा लाला पवित्र हो गया ….?

बृजरानी यशोदा नें गुस्से से देखा पंचो को ।

हाँ …..अब तो पवित्र हो गया आपका लाला …..ब्रह्म हत्या से मुक्त हो गया तुम्हारा लाला ।

मैया नें चूम लिया था कृष्ण को……..अपनें लाडले कन्हैया को ।


ललिता ! हमारे कृष्ण का कुण्ड बन गया …….कृष्ण कुण्ड ।

ओये ! विशाखा ! कृष्ण कुण्ड बन गया …………….

हाँ तो मैं क्या करूँ ? बन जाए अच्छी बात है ……ललिता नें मनसुख की बात पर ज्यादा ध्यान नही दिया ।

पर तुम्हारी राधा रानी का कुण्ड कहाँ है ?

मधुमंगल को बोलना जरूरी है ।

सुन ! हमारी श्रीराधा रानी को ब्रह्म हत्या लगती ही नही है ………तो कुण्ड क्यों चाहिये ………जो ये पाप करे ……..वो कुण्ड बनाये ।

और देख ! देख !

ललिता सखी ने ग्वाल बालों को दिखाया ……

एक ब्राह्मण पण्डित जी ………….कृष्ण.कुण्ड के पास से होकर गए गोवर्धन पर्वत में ………और वहाँ के झरनें में जाकर स्नान किया ।

पूछ अब मनसुख ! कि उन पण्डित जी से कि तेरे ” कृष्ण कुण्ड” में क्यों नही स्नान किया ?

मनसुख नें तो नही पूछा………पर ललिता ही पूछ बैठी …..

अरे ! पण्डित जी ! नहा लेते इसी कुण्ड में ………क्यों नही नहाये ?

ब्रह्महत्या लगी है इस कुण्ड में ……..कृष्ण का पाप इसी कुण्ड में है ……हम क्यों नहानें लगे ……..पंडित जी के जबाब से मनसुख चुप हो गया ।

पर श्रीराधा रानी को आकर जब ये बात बताई ……..ललिता नें …….तब सजल नयन हो गए थे श्रीराधारानी के ………

नही ललिते ! कृष्ण कुण्ड को पवित्र बनाना होगा …… ……..समाज के लोग उसमें स्नान करें ……ऐसा करना होगा …….क्यों की मेरे प्रियतम का कुण्ड है वो ………श्रीराधा रानी का हृदय प्रेम से भर गया ।

पर कैसे ? ललिता नें पूछा ।

चलो ! मेरे साथ ……….श्रीराधा रानी गयीं………और कृष्ण कुण्ड के पास में ही जाकर ……..अपनें कँगन से खोदनें लगीं पृथ्वी ……..

आहा ! देखते ही देखते …………जल का स्रोत फूट पड़ा ………..

नन्दगाँव के लोग और बरसाने के लोगों में ये बात आग की तरह फ़ैल गयी ………सब दौड़े गिरिराज गोवर्धन की ओर ………

“ये कुण्ड श्रीराधारानी नें प्रकट किया है …….

और इस कुण्ड के जल में विश्व् की समस्त औषधियां हैं ……..देवों के समस्त पुण्य हैं ………..ऋषियों के तप हैं ………प्रेमियों का प्रेम है …..भक्तों की भक्ति है……..सब कुछ है इसमें ………..

ये बात कोई और नही कह रहा था……स्वयं भूतभावन भगवान शंकर प्रकट हुए थे आकाश में ……और समस्त बृजवासियों के सामनें ये बात कह रहे थे…….इस कुण्ड का नाम आज से “राधा कुण्ड” होगा ।

कृष्ण कुण्ड में इसका जल जाएगा ……जिसके कारण कृष्ण कुण्ड का जल पवित्र हो जाएगा ।

भगवान शंकर की दिव्य वाणी गूँज रही थी ………

“इस कुण्ड के जल में स्नान करके जो “श्रीराधा कृपा कटाक्ष” का पाठ करेगा …..और “युगल मन्त्र” का जाप करेगा उसकी समस्त कामनाएं पूरी होंगी …..और अंत में उसे निकुंजेश्वरी श्रीराधा रानी अपनी प्रेमाभक्ति प्रदान करेंगीं ……..इतना कहकर भगवान शंकर नें श्रीराधा रानी को प्रणाम किया …..और अन्तर्ध्यान हो गए ।

देखा ! कृष्ण को भी पावन कर दिया हमारी श्रीराधा रानी नें ……

ललिता सखी आँखें मटका के ग्वालों को बोल रही थी ।

पतितों को पावन करनें वाले कृष्ण………पर “पतितपावन” को भी पावन करनें वाली हमारी श्रीराधा रानी ।

सब एक स्वर में बोल उठे थे……बोलो श्रीराधा कुण्ड की जय ।

“डगर बुहारत साँवरो, जय जय राधा कुण्ड “

शेष चरित्र कल …

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