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October 30, 2025 8:16 am

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!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 26 !! – “कृष्ण श्रीराधा और अयान” – एक प्रेम कथा भाग 3 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 26 !! – “कृष्ण श्रीराधा और अयान” – एक प्रेम कथा भाग 3 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 26 !!

“कृष्ण श्रीराधा और अयान” – एक प्रेम कथा
भाग 3

हाँ ……मैं तुम्हारी हूँ …सिर्फ तुम्हारी ……….अधिकार है तुम्हारा मुझ पर ….पूर्ण अधिकार है प्यारे ! इस विवाह से अगर मेरा कृष्ण खुश होता है तो ये राधा हँसते हँसते मान जायेगी ………हाँ …….बस तुम खुश रहो …..तुम प्रसन्न रहो ……………..

ये कहते हुए राधा नें आँसू पोंछ दिए कृष्ण के …….”इन आँसुओं पर सिर्फ राधा का अधिकार है …..तुम्हारा नही ……तुम मुस्कुराओ बस “

इतना कहकर उठी राधा …………और चल दी बरसानें की ओर ।


अयान गोप के माता पिता आये हैं …………….उनके कुछ रिश्तेदार भी साथ है ……पता नही क्यों आये है ?

कीर्तिरानी नें बृषभान जी को सूचना दी ……………

बृषभान जी आये …………..सब का सम्मान किया …………….

पर आप लोगों के आनें का कारण ?

बृषभान जी नें व्यवहार आदि सम्पन्न होनें के बाद पूछा ।

बृषभान जी ! हमारे आने का कारण ये है ………कि ……..ये हमारा पुत्र है ….अयान ……….इसका विवाह हम आपकी पुत्री राधा से कराना चाहते हैं ……बस ।…..अयान के पिता नें कहा ।

बृषभान जी क्या कहते …………..क्यों की अयान के पिता और उसका खानदान भी सभ्य और उच्च ही था ।

पर हाँ ….ये बात अवश्य कही बृषभान जी नें …………की हमारी बृजपति नन्द के साथ ये बात हुयी थी कि ………हमारी राधा और उनके पुत्र कृष्ण के साथ विवाह होगा …………….

पर आप एक बार पूछ तो लें राधा क्या कहती है ।

अयान के पिता नें बृषभान जी को कहा ……..तो बृषभान जी खुश होकर बोले ……हाँ …हाँ ………..कन्या को उसका अधिकार मिलना चाहिये …….कि वो किसे चुनें ……….।

क्यों की बृषभान जी को ये पक्का विश्वास था कि राधा मना करेगी ही …..क्यों की ये बात तो बृज में हर जगह फैली हुयी है …….”राधा कृष्ण का प्रेम” ।

पर ये क्या !

कीर्तिरानी बृषभान जी ….राधा की सखियाँ ………बरसानें के लोग …….ये सब सुनकर स्तब्ध से रह गए थे ……..कि………..राधा नें अयान गोप से विवाह करनें के लिये “हाँ” कह दिया ?

अब कोई उपाय नही रहा गया था ।

…..तो हम पक्का समझें बृषभान जी ! अयान के पिता नें पूछा ।

बेटी के पिता को हाँ कहना ही पड़ा……बरसाना उदास हो गया था ।


इस विवाह कि तैयारी स्वयं श्रीकृष्ण नें खड़े होकर करवाई थी ……

बरातियों का स्वागत भी स्वयं कृष्ण ही कर रहे थे …………..

श्रीराधा आयीं थीं दुल्हन के रूप में …सज धज के ……..

बारबार अपना मुख प्रक्षालन करते रहे थे कृष्ण ……ताकि उनके आँसुओं को कोई देख न ले ……………

राधा को दुल्हन के रूप में देखकर हिलकियाँ बंध गयीं थी एक बार तो …कृष्ण कि ।

फेरे शुरू हुए ……….एक …दो …तीन ……….पर ये क्या …….चौथे फेरे में श्रीराधा रानी गिर ही गयीं , मूर्छित हो गयीं ……….उस समय भीड़ को हटाते हुए कृष्ण ही भागे और राधा को अपनी गोद में ले लिया था ।

क्रमशः ….
शेष चरित्र कल ….

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Author: admin

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