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June 6, 2025 5:22 am

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दमन में सड़क सुरक्षा अभियान को मिली नई दिशा, “Helmet Hero “मुहिम के अंतर्गत आयोजित हुई जागरूकता ग्राम सभा माननीय प्रशासक श्री प्रफुलभाई पटेल के कुशल नेतृत्व में दमन में सड़क सुरक्षा के प्रति जनजागरूकता अभियानोंको नई गति

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!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 31 !!-रसोत्सव भाग 3 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 31 !!-रसोत्सव भाग 3 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 31 !!

रसोत्सव
भाग 3

तभी श्याम सुन्दर हार गए …..हारना ही था…….यही तो श्रृंगार रस का नियम है …..नायक जब नायिका से हारता है ……..तभी श्रृंगार रस पुष्ट होता है ।

सिर झुकाये बैठे हैं अब श्यामसुन्दर ।

“हम तो अब इनके हो गए” श्रीजी की ओर देखते हुए बोले ।

श्याम सुन्दर इससे ज्यादा और क्या कहते !

नही ..नही ..ऐसा कहनें से काम नही चलेगा
……सखियाँ इकजुट होकर बोलीं ।

तो क्या करना पड़ेगा हमें .? धीरे से बोले श्याम सुन्दर ।

सब सखियां आपस में काना फूसी करनें लगीं …….उन सखियों की बातें सुननें के लिये ….तोता मैना कोयल ये सब भी पास में ही आगयी थीं ।

हाँ ..यही ठीक है ।

ललिता सखी गयीं ……….और एक चाँदी की थाल …….रेशमी वस्त्र से
ढँककर …ले आईँ …………..

ये हमारी प्यारी जू की कुल देवि हैं ………इन्हें प्रणाम करो लाल !

पर हम तो सब जानते हैं ……….इनकी जितनी कुल देवि हैं उन सबसे हमारा पुराना परिचय है …………

नही नही ……..ललिता सखी को कहना नही आया …..ये आपकी कुल देवि हैं ……..हमारी नही ………आपकी ….आपके नन्द बाबा के कुल की देवि हैं ………आप प्रणाम करो अब ।

पर ……..श्याम सुन्दर कुछ कहते कि……..उससे पहले ही ….सखियों नें कहा …..आप हारे हो ………इसलिये आपको ये बात माननी ही पड़ेगी …….इनको प्रणाम करो ।

श्याम सुन्दर नें बड़े प्रेम से सिर झुकाकर जैसे ही प्रणाम किया ………

वहाँ तो पादुका श्रीजी की थी …….मस्तक श्याम सुन्दर का “श्रीजी ” की पादुका में नवा……..सखियां हँस पडीं ……..तालियाँ बज उठीं ।

श्रीजी आगे बढ़ी …..और बड़े प्रेम से अपनें प्राण धन श्याम सुन्दर को हृदय से लगा लिया ।

क्या गारी दें प्यारे तुम्हे ! ……तुम्हारी ये छबि ……..तुम्हारे ऊपर पानी वार कर हम पीती हैं ……….ताकि नजर न लगे तुम्हे ।

नजर न लगे इस जोड़ी को ….नजर न लगे……सखियाँ भावुक हो उठीं ।

अरी पगलियों ! थोड़ा इन युगल पर कुछ तो तरस खाओ ……देखो ! इनके मुख चन्द्र कैसे हो रहे हैं ……..इनका मुख कुम्हला रहा है ।

इनको अब कुछ खिलाओ …………..चलो !

हे वज्रनाभ ! सखियाँ नाना प्रकार के पकवान , मिष्ठान्न , सूप, ओदन … सुन्दर सुन्दर शताधिक थालियों में नाना व्यंजन……सजा कर रख दिया …..

और सब हँसती हुयीं …..गीत गानें लगीं …………

श्याम सुन्दर पहले श्रीजी को खिलाते हैं.

……..फिर उनका जूठन स्वयं पाते हैं ………।

हे वज्रनाभ ! इस रस को समझना बुद्धि से सम्भव नही है ।

ये प्रेम रस का उछलता एक अद्भुत रूप है…….इसमें जो डूब जाता है वही इसे समझता है ………इतना कहकर महर्षि मौन हो गए थे ।

“नयो नेह नव रँग नयो रस, नवल श्याम बृषभान किशोरी”

शेष चरित्र कल –

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