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November 21, 2024 5:03 pm

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उद्धव गोपी संवाद… – ५ एवं ६ : Niru Ashra

उद्धव गोपी संवाद… – ५ एवं ६ : Niru Ashra

उद्धव गोपी संवाद…

५ एवं ६

कुसल स्याम औ राम,कुसल संगी सब उनके।
जदुकुल सगरे कुसल,परम आनंद सबन कें।।
बूझंन ब्रज कुसलात को,हौं आयौ तुम्ह तीर।
मिलि हैं थोरे दिनन में,मैं जिन जिय होय अधीर
सुनों ब्रजनागरी।।
भावार्थ:- उद्धव जी गोपियों से कह रहे हैं कि श्याम और बलराम दोनों कुशलता से हैं और उनके सब संगी साथी भी कुशल पूर्वक हैं। पूरा यदुकुल भी कुशल है और सभी परम आनंद से हैं। ब्रज की कुशलता का समाचार लेने के लिए, मैं तुम्हारे पास आया हूं और श्याम ने कहा है कि गोपियों तुम अपने जिय को अधीर मत करो,हम थोड़े ही दिनों में तुमसे मिलने वाले हैं।
(५)
सुनि मोहन संदेश,रूप सुमरन ह्वै आयौ।
पुलकित आनन कमल,अंग आवेश जनायो।।
विह्वल ह्वै धरनी परीं,ब्रजबनिता मुरझाई।
दै जल छींट प्रबोध ही,ऊधौ बैंन सुनाई।।
सुनों ब्रजनागरी।।
भावार्थ:-
मोहन का संदेश सुनते ही गोपियों को उनका रूप स्मरण हो आया।पूरा ह्दय पुलकित हो उठा और अंग अंग में आवेश भर गया।ओर वे प्रेम में विह्वल होकर धरती पर गिर पड़ीं, और सभी ब्रजवनिता मुरझा गईं। तब उद्धव जी ने जल के छींटे मारकर गोपियों को श्याम का संदेश सुनाना शुरू किया।।

शेष कल

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