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July 7, 2025 5:23 am

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श्री जगन्नाथ मंदिर सेवा संस्थान दुनेठा दमण ने जगन्नाथ भगवान की रथ यात्रा दुनेठा मंदिर से गुंडीचा मंदिर अमर कॉम्प्लेक्स तक किया था यात्रा 27 जुन को शुरु हुई थी, 5 जुलाई तक गुंडीचा मंदिर मे पुजा अर्चना तथा भजन कीर्तन होते रहे यात्रा की शुरुआत से लेकर सभी भक्तजनों ने सहयोग दिया था संस्थान के मुख्या श्रीमति अंजलि नंदा के मार्गदर्शन से सम्पन्न हुआ

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उद्धव गोपी संवाद( भ्रमर गीत) ५३ एवं ५४ : Niru Ashra

उद्धव गोपी संवाद( भ्रमर गीत) ५३ एवं ५४ : Niru Ashra

उद्धव गोपी संवाद
( भ्रमर गीत)
५३ एवं ५४

कोहू कहै रे मधुप,बौहौत निरगुन इन जान्यौं।
तरक वितरकन जुक्ति,बौहौत उन्हीं में मान्यौं।।
पै इतनौं नहीं जानि हीं, वस्तु बिना गुन नाहिं।
निरगुन भए अतीत के,सगुन सबै जग माहिं।।
बूझि जो ग्यानं होई?
भावार्थ:-
( उद्धव जी गोपियों के साथ चलते हुए सोच रहे हैं कि ये गोपियां भ्रमर से आपस में बातें कर रही हैं या मुझे सुना रही हैं)
कोई गोपी कह रही हैं कि अरे भंवरा, इन्होंने ( उद्धव जी ने) बहुत करि के निरगुन को ही माना हुआ है।तरक से और वितर्क से यह निरगुन को ही जानते हैं। ये इतना नहीं जानते हैं कि वस्तु के बिना गुण हो ही नहीं सकता। निरगुन अतीत में और सगुण तो सब जग में व्याप्त है।

कोहू कहै रे मधुप,होहिं तुमसे जो संगी।
क्यों न होहिं तन स्याम,सकल बातन चतुरंगी।।
गोकुल में जोरी कोहू,पाई नहीं मुरारि।
ज्यों जु त्रिभंगी आप हैं,त्यों करी त्रिभंगी नारि।।
रूप गुन सील की।
भावार्थ:-
कोई गोपी भवंरे के रूप में श्याम सुंदर को सुना रही है कि रे भंवरा, तुम्हारे जैसे जिसके संगी साथी हों तो वे क्यों न तुम्हारी तरह से तन के काले और बातें बनाने में चतुर हों। यहां गोकुल में तो किसी गोपी से उनकी जोड़ी बन नहीं पाई क्यों जो जैसे आप टेढ़े हैं वैसी ही टेढी वहां कुब्जा नारी से आपने जोड़ी बनाई।
शेष कल 🌹🙏🙏🌹

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