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October 22, 2025 4:38 am

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विरही- गोपी- उध्धव छे- संवाद-६-भ्रमर -गीत🌹: Niru Ashra

विरही- गोपी- उध्धव छे- संवाद-६-भ्रमर -गीत🌹: Niru Ashra

🦚 विरही- गोपी- उध्धव छे- संवाद-६🦚

🌹 भ्रमर -गीत🌹

👉 श्रीकृष्ण – उध्दव संवाल- उध्धव को गोकुल क्यां भेजा ?

🪷 उद्धव कहते हैं,
🙏 श्रीकृष्ण आप अलौकिक ऐश्वर्य नगरी मथुरा के मथुरानाथ हो। ६४ कलाओं में निपुण सब सुख-सुविधाएं, दास-दासियाँ सेवा में, फिर भी आपके मुखारविंद पर प्रसन्नता आनंद नजर नहीं आती है, आप हमेशा नित्य ब्रज एवं ब्रजवासियों का स्मरण करते रहते हैं। ब्रज का नाम आते ही आंखो में अश्रु छलक आते हैं।

🌸 ब्रजवासियों के विरह प्रेम में सुखी नजर आतें हैं।”
*राजमहल के झरोखे में नित्य संध्या समय आप मायूस उदास दिखाई देते हैं। खड़े-खड़े गोकुल की यादें स्मरते क्या हाल होंगे, मेरे माता-पिता, सखा, ग्वाल, गोपियाँ, गाये एक दिन उद्धव (ख़ास सखा) ने हिम्मत कर प्रभु से पूछा आप गोकुल ब्रज का स्मरण करते समय व्याकुल विह्वल क्यों हो जाते हो? हम हमारी बुद्धि ज्ञान से आपकी सेवा में कभी कमी नहीं रखते हैं ? आपको हमारी सेवा पसंद नहीं या कोई कमी है? जिससे आपको आनंद सुख नहीं होता है क्या? श्रीकृष्ण कहते उद्धव आप मेरे अंतरंग मित्र तुमसे कोई संकोच नहीं आप निःसंकोच पूछिये क्या बात है?

🦚 उद्धव प्रश्न करते हैं:
👉 १. आप भोजन करने, बिराजते अचानक कोई गंभीर विचार में डूबे और हृदय भारी-भारी क्यों हो जाता?
👉 २. कल रात में चरण सेवा कर रहा था तब आपको कुछ झपकी (नींद) लगी थी आप स्वप्न देख रहे और राधे-राधे नाम ले रहे थे ऐसा मैंने महसूस किया।
👉 ३. ये राधे कौन है? रोज क्यों स्मरण (याद) करते हैं ?
👉 ४. ये राधे आपके हृदय राज सिहासन पर आसीन है ? मुझसे आपकी व्यथित, उदासीनता, उदासी सहन नहीं होती है, क्या करूं?
👉 ५. गोकुल में धूप में आपको गौ चराने जाना पडता था किन्तु मथुरा में आप मथुरानाथ होकर भी मुखारविंद पर रौनक प्रसन्नता आनंद के बजाय उदासी, मानसिक व्यथा क्यों?

🌻 “उद्धव के इन वचन प्रश्नों को सुन श्रीकृष्ण की आँखे भर आई और भारी गले से बोले उद्धव पूरी मथुरा में सिर्फ तुम ही हो जो मेरे मन की व्यथा पूछ सकते? तुम मेरे अंतरंग, ज्ञानी, नीतिवान, हमदर्द सखा हो।”
सुनो उद्धव जब गोकुल वृंदावन में था तब मेरी माँ मनावना-मनवार कर खिलाती थी, डांटती थी। मेरे सच्चे माँ-बाप, नंद-यशोदाजी, मेरे सखा गोप-गोपियाँ सब खेल-क्रीड़ा करते वे याद करते होंगे। गौऐं मुझे बहुत प्यार से याद करती होगी। नित्य गौचारण करते साथ बैठे प्रेम, आनंद, मस्ती से मिल वनभोज करते थे। खेलते-खेलते में बंशीवादन करता। सब नाचते-कूदते, गोपियाँ वेणुनाद सुन भाव-विभोर हो दौड़ कर रास्ते पर आ खड़ी होती थी। मेरे सखा मेरे लिए वन में आराम के लिए कोमलघास का बिछौना (बिस्तर) प्रेमभाव में बनाते, आदि यादें हैं, जिन्हें इस जन्म में भूल नहीं सकता हूँ? मेरा मन करता है उद्धव अभी गोकुल वृंदावन दौड़ जाऊ तुमने मुझे मथुरा का राजा बना दिया। सभी मथुरावासी मुझे अत्यंत मान सम्मान देते हैं। किन्तु कोई भी आत्मीय भाव से बात नहीं करते हैं। मैं यहाँ प्रेम भूल गया हूँ। उद्धव बताओ ये भाव मथुरा में कहाँ? 🌺 विरही गोपी-७
🪷क्रिष्णा🌺🌺🪷🪷🪷🪷🪷

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