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विरही- गोपी- उध्धव छे- संवाद-८🦚
🌹 भ्रमर -गीत🌹
👉 श्रीकृष्ण – उध्दव संवाल- उध्धव को गोकुल क्यां भेजा ?
🪷 श्रीकृष्ण उद्धव से कहते हैं : सुनो माँ यशोदा से कहना गौचारण का सामान नेतरू (रस्सी दोहते समय पाँव में), सीटी, सिगड़ु, बंसी, लकड़ी, डंडा, कलेवर सम्हाल कर रखें। राधा आकर हमारे खेल-खिलौने न ले जावें? माँ से दूर आ गए तो अब कान्हा, कन्हैया कौन पुकारे? प्रातः कलेवा और शाम को गौ थनों से दुग्धपान नहीं किया मथुरा में। साथ नंदबाबा को कहना हमें मथुरा भेज हम भाइयों की सुध खैर-खबर क्यों नहीं ली? हृदय इतना कठोर क्यों? उधो भैय्या मथुरा से जाकर हमारा इतना काम अवश्य करियो। उद्धव को लगा कि मैं ज्ञानी हूँ, दूसरा कोई योग्य नहीं दिखता इस कारण प्रभु मुझे ब्रज भेजना चाहते हैं। उद्धव को ज्ञान का अभिमान है तब ही तो मुझे ब्रज जाने का कह रहे हैं।
🍁 उद्धव प्रभु से संवाद कर कहते : आप मुझे ब्रज में भेजकर कम, बिना पढ़े – लिखे गॉंव के लोगों को वेदान्त तत्वज्ञान कैसे समझा सकूंगा वे क्या समझेंगे ? गाँव के लोग कैसे समझेंगे वे तो अनपढ़ है ? प्रभु तत्वज्ञान का उपदेश उन लोगों के बस का नहीं?
श्रीकृष्ण का उद्धव उपदेश (सलाह) : सहन नहीं हुई (असहज हुए) सुनो भैय्या उद्धव मेरे गोप-गोपियों को अनपढ़ ना कहो। गोपियाँ ज्ञान से ऊपर है। भैय्या उद्धव गोपियाँ जरूर कम पढी है, पर वे शुद्ध सात्विक प्रेम करना जानती है। इस कारण ही तो वे मुझसे प्रेम पा सकी है, उन्होंने मेरा मन जीत लिया है?
🍁 श्रीकृष्ण समझाकर उद्धव को उपदेश देते हैं : भैय्या उद्धव, मैं गोप-गोपीजनों का दिल से प्रिय हूँ। उनका प्राण जीवन सर्वस्व हूँ। वे नित्य निरन्तर मुझे स्मरण करती रहती हैं। उनकी सोच हैं मेरे देह पर उनका अधिकार है ? वे लौकिक देह धर्म छोड़ बैठी हैं। उद्धव मेरा व्रत संकल्प है, जो मुझे अपना मानता है दैविक लौकिक, वैदिक धर्मों का त्याग करता है। उन भक्तों की सम्पूर्ण देखभाल करना मेरी जवाबदारी (कर्तव्य) होती है।
भैय्या उद्धौ सुनौ कृष्ण उवाच : मैं अपने प्रिय गोप-गोपियों से दूर आ गया तभी वे सभी हर वक्त मुझे स्मरते रहते हैं ? और विरह में बेहोश हो जाते हैं ? वे व्याकुल हो कठिन कष्ट झेल रही है और फिर भी जीवित है? मैंने आते वक्त सिर्फ इतना कहा था, मैं जल्दी लौटूंगा? यही आशा, विश्वास, भरोसा उनका जीवन आधार हैं ? और ज्यादा क्या कहूँ मैं ही उनकी आत्मा हूँ ? वे नित्य मुझमें तन्मय, तल्लीन, मगन रहती है।
श्रीकृष्ण उद्धव को उपदेश कहते : उधो भैय्या सुनो गोपियाँ ज्यादा पढ़ी नहीं जरूर है। वे प्रेम की मूर्ति है। वे शुद्ध प्रेम करना जानती है (सिर्फ) | गोपियों को ज्ञान की आवश्यकता है ? और तुझे भैय्या प्रेम की जरूरत है ? इस वजह से तुझे ब्रज भेजना चाहता हूँ। उधो तुम्हारे बिना यह कार्य कोई नहीं कर सकता है।
“जिसमें स्वयं ज्ञान का अभिमान होता है वह जल्दी झुकना नहीं चाहता। कारण अहं नम्रता झुकने नहीं देता। जहाँ नम्रता विनय होती है वहाँ सद्गुण होते हैं और जहाँ अभिमान वहाँ दुर्गुण आ जाते हैं।” प्रभु को पता है। उद्धव को ज्ञान का अहंकार है। अतः ब्रज में जाकर यह झुकेगा नहीं। इस कारण श्रीकृष्ण ने स्पष्ट कहा उद्धव भैय्या गोपियों को प्रथम वंदन करना? प्रभु जानते हैं यह गोपियों के मंडल में जा नमन-वंदन नहीं करेगा? जिससे उद्धव का कल्याण नहीं होगा। इस वजह से श्रीकृष्ण ने उद्धव को खूब सीख देखर ब्रज संदेश बताने को भेजाः
“उधौ मौ समुझाई प्रगट हरि अपने मन की बात।
सूरदास स्वामी सौ छलसौ कही सकल ब्रजप्रीति ||”
भगवान् उद्धवको समझाकर संदेश कहते हैं : आप जब ब्रज पहूँच जावें सबसे पहले यशोदा माँ, नंदबाबा को मेरा प्रणाम कहना फिर बरसाना जाना, सब का हालचाल पूछना और वहाँ सभी बड़े, वृद्धों, अहीर श्री वृषभानजी को प्रणाम कह मेरा सुख-समाचार देना। फिर मेरे मित्रों (सखा) श्रीदामा, सभी गोपबालाओं को मेरी तरफ से मिलकर मेरा समाचार बताना और उन्हें सांत्वना दे उनका संताप दूर करना। उद्धव मेरी एक ख़ास मित्र राधाजी जिसके बारे में तुम बार-बार पूछते हो ? वह मेरी अत्यंत प्रिय मन में बसी है। उनसे मिल, आपको अच्छा अनुभव मिलेगा (आनंद होगा) फिर अच्छे तरीके से मेरा संदेश देकर मेरी ओर से सर नमा कर प्रणाम करना। उद्धव वहाँ वृंदावन में सघन कुंजों में घने मोटे-मोटे वृक्ष को देख घबराना मत। 🪷🪷🪷 विरही गोपी-९
🪷🪷 *क्रिष्णा 🍁🍁🍁
🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚 विरही- गोपी- उध्धव छे- संवाद-९🦚
🌹 भ्रमर -गीत🌹
👉 श्रीकृष्ण – उध्दव संवाल- उध्धव को गोकुल क्यां भेजा ?
🌺 कुंज-निकुंज की बातें सुन उद्धव बोले प्रभु :-
🙏 आपका इतना आग्रह सुन मैं ब्रज आपका संदेश जाकर नंदबाबा, माँ यशोदा को समझाने के साथ सांत्वना देने का प्रयास करूँगा। गोप-गोपियों को बुद्धिज्ञान से संतुष्ट करने की कोशिश करूँगा।
पंरतु
👏 “आप उन अनपढ़ ग्वालों-ग्वालनों का प्रेम, याद कर उदास होते हो? प्रभु बृहस्पति से प्राप्त जो योग ज्ञान मुझे मिला है। नियम कायदे से सभी को ऐसे समझा दूंगा कि वे सब गोपियाँ लौकिक प्रेम को भूल ही जावेगी।”
🪷 उद्धव! मुझे माँ यशोदा, नंदबाबा, गोपीजनों, गायों की याद सता रही हैं। वहाँ सब तड़प रहे होंगे। तू उद्धव ब्रज जाकर ज्ञान योग से सभी को सीख, सान्त्वना दे समझा!
उद्धव की उपदेशित बाते सुनकर भगवान् श्रीकृष्ण आक्रोशित हो मन में विचार कर कहते, तू ब्रज जा तो सही ? एक बार जा तो मेरी गोपियों के पास। तब तू जानेगा मालूम पड़ेगा कौन किस पर नियम-कायदा चलाता है?
🌺 तब उद्धव कहते हैं प्रभु आप कह ही रहे हो, तो मैं ब्रज अवश्य जाता हूँ।
भगवान् अब उद्धव को समझाकर कहते हैं, ये मेरा पीतांबर माला अंगवस्त्र लो और जब ब्रज जाता तो इन्हें (पहन) धारण अवश्य करके ही जाना। मेरी प्रेमी सखियां कभी भी पर पुरुष को देखती नहीं, बात नहीं करती, आँख नहीं मिलाती है जानो? यदि मेरा पीतांबर माला पहने तुम्हें देखेगी तो समझ जावेगी कि उद्धव तुम मेरे अंतरंग प्यारे चहेते सेवक हो, तो तुम्हें वे बहुत आदर मान सम्मान करेगी और तुम्हारे साथ सुखद व्यवहार से बातचीत करेंगी।
श्रीकृष्ण उद्धव को कहते हैं, तुम भाग्यवान हो जो प्रेम भूमि ब्रज जा रहे हो। तुम्हारा कल्याण होगा। फिर ब्रज की यादें स्मरण आते ही आँखों में आँसू आ गये तब उद्धव ने आँसू पोछे।
प्रभु हिचकी लेते बोलते हैं तुम मेरे माता-पिता सभी को कहना कि तुम्हारा लाडला कन्हैया जरूर ब्रज जल्दी आवेगा।
प्रभु की अशांत दशा उद्धव से देखी न गई। परन्तु प्रभु का निवेदन, आज्ञा शिरोधार्य कर नजर झुका प्रभु को वंदन कर कहते “मैं सबेरे जल्दी आ जाऊँगा कह तेज कदम गति से रवाना हुए।” राजमहल से उतरते-उतरते उद्धव का सिंहपोल में बलदेव भैय्या से सामना हुआ तो बलदेव भैय्या ने आवाज दी उद्धव, आज जल्दी क्यों भाग रहे हो ?
🪷 उद्धव बोले दादा, कल सवेरे ब्रज जाना है। ब्रज में क्यों जाना है? कान्हा का संदेश ले जाकर ब्रज में माँ यशोदा, नंदबाबा तथा कान्हा के सखा, गोपियों को ब्रज में देना है।
“बलदेव बोले ओ हो, तो ये बात है!” ब्रज संदेश देने जा रहे हो, तो मेरा भी एक संदेशा माँ यशोदा को देना सुनो, उद्धव माँ रोहिणी और माँ यशोदा को बोलना उनका बुलाने का तरीका विशेष है। वह सिर्फ प्रेम-प्रेम और प्रेम ही है। (चित्र-३)
प्रसंग :
🙏 *उद्धव ! एक दिन की बात है, कान्हा मेरे साथ खेलते-खेलते मुझसे झगड़ा कर रहा था। माता यशोदा ने झगड़ते देखा और समझाते हुए मुझे गोद मे उठा कर कान्हा को, धक्का दे आगे बढ़ गई। वही पर नंदबाबा ने कान्हा को अपनी गोद में उठाया और मुझे चिढ़ाते हुए कहने लगे दाऊ, कान्हा तेरा छोटा भाई है न! तुझे कान्हा से झगड़ा करते शर्म नहीं आवे!🪷 *विरही गोपी- १०*
🪷 क्रिष्णा 🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷


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