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!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 48 !!
प्रेम उपासना है, वासना नही
भाग 2
तो मोर बन आये थे कृष्ण ही । बस उसी दिन से इस कुञ्ज का नाम मोर कुटी रख दिया था स्वयं श्रीराधा रानी नें ही ।
तो कुछ दिनों से श्रीराधा यहीं पर अपना समय बिता रही थीं …….सखियों को भी छोड़ दिया था कुछेक दिन के लिये …..सखियाँ भी उदास थीं …………श्याम सुन्दर भी दुःखी थे की कई दिन हो गए श्रीजी हमसे मिलती ही नही हैं ……….सखियों से खूब सिफारिश करवाई …………पर उस मोर कुटी में किसी का प्रवेश ही नही था ।
पर आज ! आज करुणामयी की कृपा बरसी ……….मोर कुटी सखियों के लिये खोल दी गयी ………….श्याम सुन्दर को भी आनें की आज्ञा थी ………..सब खुश हो गए थे ………….श्रीजी नें इन दिनों अकेले इस कुटी में रहकर इस कुञ्ज को कितना सजाया था ………
कुञ्ज खोल दिया गया ………सखियाँ हर्षोल्लास करती हुयी कुञ्ज में प्रवेश करनें लगीं………साथ में श्याम सुन्दर भी थे ……….श्याम सुन्दर को प्रिया अपनें साथ लेकर चलीं ………….
ओह ! कितना सुन्दर सजाया था मोर कुटी को श्री जी नें ।
सरोवर को जाग्रत किया था …….उसमें हर रँग के कमल खिले थे ।
कौन से फूल थे ऐसे जो यहाँ न हों …………….सुगन्ध की लहर ही चल रही थी मोर कुटी में ………..सखियाँ मुग्ध थीं और श्याम सुन्दर भी चकित थे …..प्यारी ! कितना सुन्दर कुञ्ज है ।
प्यारे ! एक और सुन्दरता दिखाऊं इस कुञ्ज की ?
चहकते हुए श्रीराधा रानी नें श्याम से पूछा ।
हाँ …..हाँ ……………आनन्दित हैं श्याम सुन्दर तो ।
रुको …………तभी श्रीराधा रानी नें जोर से आवाज लगाई …….
श्रीराधे ! राधे राधे !
जैसे ही स्वयं श्रीराधा रानी नें अपना नाम लिया ...........
बस फिर क्या था …………….कई मोरों का झुण्ड ……तोता…….मैना ……..ये सब पक्षी उड़ उड़ कर वहाँ आगये ………….
देखो प्यारे ! ये कितना सुन्दर बोलता है ……………एक मोर को बुलाया श्रीराधा रानी नें ……….बोल मोर ! बोल ………..
मोर बोलता है …………..राधे ! राधे ! राधे !
श्याम सुन्दर मुग्ध हो जाते हैं …………आहा ! कितना सुन्दर बोल रहा है ये ……………….प्यारे ! इस शुक पक्षी को भी सुनो …….बोल तोता !
तुरन्त तोता बोल उठा – राधा ! राधा ! राधा !
ताली बजानें लगे श्याम सुन्दर …………नेत्रों से प्रेमाश्रु बह चले …….
प्यारी ! कितना सुन्दर बोलते हैं ये पक्षी …….कितना सुन्दर कुञ्ज है ये तुम्हारा ………….कितना सुन्दर नृत्य है इन मोरों का ………..
पर ये क्या ! पूरा का पूरा कुञ्ज …..पूरी की पूरी मोर कुटी
राधा ! राधा ! राधा ! नाम से गुँजित हो उठी थी ……….
क्यों की शताधिक मोर …..तोता , मैना , कोयल सब एक साथ बोल रहे थे ………श्रीराधा का नाम सुनकर …….और श्रीराधा के ही द्वारा पोषित पालित इन पक्षियों के मुख से श्रीराधा नाम सुनकर ……श्याम सुन्दर के आनन्द का ठिकाना नही रहा ………….वो अपनें आपको भी विस्मृत कर बैठे थे ……..वो श्रीराधा के ही अंग में लुढ़क गए थे ।
कुछ देर रहे श्याम सुन्दर ………..फिर साँझ होनें लगी ……तो नन्दगाँव की ओर चल पड़े थे ।
क्रमशः …
शेष चरित्र कल…🙏
🙌 राधे राधे🙌
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