🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚 विरही- गोपी- उध्धव छे- संवाद-१८🦚
🌹 भ्रमर -गीत🌹
🪷 उद्धव का ब्रज में प्रवेश संवाद🪷
🪷 ब्रजभूमि में रथ में बिराजे उद्धव आगे रास्ते में ब्रज के वृक्षों, पक्षियों, कुंज-निकुंज, गोप-गोपियों, ग्वालों-गौ की सुन्दर झांकी देखते विचरते हैं कि यहाँ पक्षी राधाकृष्ण कीर्तन सा रटते सुनाई दे रहा है। ब्रज सात्विक प्रेम भूमि है ?
🌺 ब्रज में सब ओर प्रेम प्रसन्न नजर आ रहे हैं। ब्रज भक्ति प्रधान है। भगवान भक्त के अधीन होते हैं। ऐसा ब्रज है। जब ही तो रसखानजी – गोप-गोपियों, का भाव गुणगान करते-करते कीर्तन में कहा
🙏 १. “ताहि अहीर की छौहरियाँ। छछियाँ भर छाछ पे नाच नचावें ||”
२. “काग के भाग बड़े सजनी। हरि हाथ सो ले गयो माखन रोटी ||”
🌺 ब्रज महिमा गुणगान
ब्रज में श्री भक्ति यमुनाजी है, गोवर्धन श्रीगिरीराजजी, कुंज-निकुंज, सरोवर, ब्रज रजकणों मथुरा, ब्रज में नित्य अलौकिक क्रीड़ा-लीलाएं, प्रेम, स्नेह, प्यार, आनंद स्थायी मौजूद है तो फिर ब्रज छोड़ बैकुंठ कौन आवे ? ब्रज महिमा के गुणों का वर्णन कौन है जो वर्णित कर सकता है ?
🪷 गोपजनों का उद्धव रथ आते देख आश्चर्य!🪷
एक दिन कन्हैया सखा श्रीदामा, मधुमंगल अन्य सखा राह में बैठे चर्चा कर कान्हा को याद कर रहे थे, तो सड़क पर दूर से धूल का गुबार उड़ता दिखा तो वे सब पेड़ों पर चढ़े या देखा ? रथ आ रहा है। सब आनंद से भागे कि कन्हैया का रथ आ रहा है। मन में भाव आया। रथ जब पास आया तो सबने रथ घेर लिया। रथ में कृष्ण की पीतांबर पहने कोई दूसरा है सभी बोले ये अपन कृष्ण नहीं, देखा कि यदि अपना कृष्ण होता तो दौड़कर रथ से कूद सखाओं से लिपट खुश होता !
उद्धव रथ मे बैठे-बैठे सखाओं से बोले। मैं उद्धव श्रीकृष्ण का साथी हूँ।
👉 “आपके सखा कृष्ण का विशेष संदेश-खबर लेकर मथुरा से आ रहा हूँ। क्या आप मुझे नंदभवन का पता जगह बतावें तो अच्छा रहेगा।”
विरही गोप सखाओं ने उद्धव को अपनी व्यथा सुनाई। कृष्ण बिना ब्रजवासी बहुत दुखी हैं। पल-पल जलते समय काट रहे हैं कि श्याम कब वापस आवेगें। ब्रज वीरान हो गया? बंसीवट, यमुनातट, कुंज सरोवर सूने हो गए। हमारा साथ छोड़ मथुरा जा हमें भूल गया। उद्धवजी बताइये श्रीकृष्ण कब आवेगो ? किन्तु उद्धव को गोपसखा की स्मृति यादें बात में रूचि नहीं। धीरे से बोले शीघ्र आवेंगे। कृपया मुझे नंदभवन का रास्ता बताओ ?
🪷 गोपसखा विस्तार से मार्ग रास्ता समझाते बताते हैं। रास्ते में जब आसूँ धारा की रेखा सा जहाँ तक है, वहाँ नंदभवन है। नंद-यशोदा के रो-रो बहते आँसुओं की रेखा है, समझे उद्धव जी।
🌸 उद्धवजी का रथ आगे बढ़ने लगा। अब सब गोपसखा के बारे में बात करते हैं। एक सखा कहता यह उद्धव तो पूरा उल्टा लगता ? दूसरा गोप कहता सीधा तो नहीं दिखता आड़ा है? तो तीसरा गोप कहता भैय्या उल्टा, सीधा, आड़ा का मतलब बताओं ?
उल्टा याने अनपढ़ बिना बुद्धि को ज्ञानी कैसे समझावे?
सीधा याने जिसमें ज्ञान एवं प्रेम हो।
आड़ा याने अभिमान ज्ञान का। अतः झुकना नहीं आता। ये उद्धव तो हमें गुमराह करेगा मधुमंगल ने कहा। “ज्ञान में अज्ञान का क्या मतलब” समझो भाई उद्धव की बातों से पता चलता है ज्ञानी। सूखा ज्ञानी है, पंडिताई ज्ञानी की दिखाता है, किन्तु प्रेम बिना की पंडिताई बिना भक्ति भाव का ज्ञान अज्ञान होता है।” और प्रेम हँसी-मजाक व्यंग्य में कर बातें बतियातें हैं।
🍁 टोली का एक गोप बालक बिना जाने, सोचे, समझे कहता “कन्हैया आया” कन्हैया को वेश वस्त्र में बैठे उद्धव को देखा। प्रसन्न हो रथ से पहले नंदभवन आनंद बधाई देने दौड़ पड़ा। आवाज दे चिल्ला कर पुकारा नंदबाबा, कन्हैया आयो, अपनो कान्हो आयो।
उद्धवजी का रथ शाम होते-होते नंदभवन के आँगन में रुक गया। नंदबाबा और सब ब्रजवासी सखा गोपियाँ रथ को कौतुहल से देखने लगे। रथ में उद्धव को कृष्ण के वस्त्र पहने देखा, एक क्षण माना कि कान्हा आया? उसी क्षण प्रसन्न होंगे लगे, किन्तु अगले क्षण स्पष्ट देखा तो उद्धव नजर आये। ये हमारा कान्हा नहीं है। नंदबाबा यशोदा बेहोश से हो गये। सब सखा, गोपियाँ दु:खी हो गये।🪷 विरही गोपी-१९
🪷 क्रिष्णा 🪷🪷🪷🪷🌸🪷🪷🌸
Author: admin
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