जय श्री राधे राधे जी।
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“हरि स्मरण, जप अवश्य करे”
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एक मादा बिच्छू की मृत्यु बहुत ही दु:खदायी रूप में होती है। मादा बिच्छु जब बच्चों को जन्म देती है, तब ये सभी बच्चे जन्म लेते ही अपनी मांँ की पीठ पर चढ़ जाते हैं और अपनी भूख मिटाने हेतु तुरंत ही अपनी माँ के शरीर को ही खाना प्रारम्भ कर देते हैं, और तब तक खाते हैं, जब तक कि उसकी केवल अस्थियां ही शेष न रह जाए।
वो तड़पती है, कराहती है, लेकिन ये पीछा नहीं छोड़ते और ये उसे पलभर में नहीं मार देते बल्कि कई दिनों तक यह मौत से बदतर असहनीय पीड़ा को झेलती हुई दम तोड़ती है। मादा बिच्छु की मौत होने के पश्चात् ही ये सभी उसकी पीठ से नीचे उतरते हैं!
८४ लाख के कुचक्र में ऐसी असंख्य योनियाँ हैं, जिनकी स्थितियां अज्ञात हैं, कदाचित् इसीलिए भवसागर को अगम और अपार कहा गया है।
शास्त्रों व संत मत के अनुसार यह भी मनुष्य योनि में, किए गये कर्मों का ही भुगतान है। अर्थात्, इन्सान इस मनुष्य जीवन में जो कर्म करेगा, नाना प्रकार की असंख्य योनियों में इन कर्मों के आधार पर उसे दुःख सुख मिलते रहेंगे, यह बिल्कुल निश्चित है!
मानव जन्म बड़ा दुर्लभ है, ये गलियों में जो लावारिस जानवर घूम रहे हैं न, ये भी कभी मनुष्य थे … इनमें से कोई डॉक्टर था, कोई इंजीनियर, तो कोई वकील …
इनको भी हरि भक्तों ने, संतों ने ,आचार्यों ने, ठाकुरजी के नाम का जप करने को ,सेवा करने को कहा था, तब ये सभी हँस कर जवाब देते थे कि अभी हमारे पास समय नहीं है! दुर्भाग्य से ये सब मनुष्य जन्म सफल न कर सके, भगवान का नाम जपना तो दूर भगवान को धन्यवाद तक नहीं किया इन्होंने और अब पशु योनि में आ गए हैं।
अब देखो समय ही समय है, बेचारे गली-गली लावारिसों के जैसे घूमते हैं, कोई धुत्कारता है .. कोई फटकारता है .तो कोई लाठी मारता है!
अपने अच्छे या बुरे कर्म अपना प्रभाव अवश्य छोड़ते हैं । कर्म फल से कोई नही बच सकता ।
विश्वास रखो; हरिनाम का जप ,सेवा अथवा भजन कर्मफलों को पूरी तरह से काट डालता है, कर्मों की गठरी से मुक्ति पा सकता है। इसलिए मनुष्य को चाहिए कि वो रोज सेवा और हरिनाम जप अवश्य करे........
श्रीकृष्णः शरणं मम।
जय श्री कृष्ण जी।
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Author: admin
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