🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚 विरही- गोपी- उध्धव छे- संवाद-२५🦚
🌹 भ्रमर -गीत🌹
🌺 गोपियों का उद्धव से प्रश्न!🌺
👉 १. फल बगैर के वृक्ष पर पक्षी क्यों नहीं बैठते हैं ?
👉 २. जंगल में आग लगती है तो हिरण जंगल त्याग क्यों भाग जाता ?
👉 ३. उद्धव हम कन्हैया के विरह में जल गई हैं वैसे ही वह हमें त्याग करें, इसमे कोई ख़ास बात नहीं है ?
👉 ४. एक समय हम ही उसके सर्वस्व थे पर आज?
👉 ५. उद्धवजी आप ही बताओं क्या हमें कभी याद भी करता है?तब ही तड़पती अवस्था में भाव व्यंग्य मजाक करते कहती सुनो: कन्हैया मथुरा शहर की नारियों के बीच जरूर हमें याद करता होगा, क्योंकि वे सुंदर वस्त्रों में, चतुर होती हैं, उत्तम पहनावा होता है, उत्तम रसोई प्रसाद में निपुण होगी फिर वे पूछती होगी गोकुल की गोपियों ने आपके लिए इतना तो नहीं किया होगा। हम गाँव की हैं हमने इतनी सेवा कहाँ की?
“आहिर क्या जाने रस रीत में
कन्हैया क्या जाने प्रेम रीत में”
उद्धवजी हम गोपीजनों से ऐसा क्या अपराध हुआ ध्यान नहीं आ रहा है ? राज कार्य में अत्यधिक व्यस्त हैं। सुनिये मैं कहता आपसे कोई अपराध नहीं हुआ। समझाने का प्रयास किया। तत्काल गोपीजनों ने सनसनाता जवाब दे बोली उद्धव उसने पूछना, पीतांबर पहनाना, मंडल में बैठ भोजन करना, गौ क्रीड़ा करना, गोबर के हाथ की गंध रोटी खाना हम ग्वालों के संग सीखा, मौज मस्ती में आनंद करना मथुरा में कहाँ होगा? शान-शौकत में हम सब को भूल गया। जाकर श्रीकृष्ण से जरूर कहना।
🌺। “पाँच बरसते पहिरावे सिखये, लाल पीतांबर तनीया।
अपने हाथ पोक पहिरावती कंठ कनक के मनीया ||”
*ऐसा ताने उलाहने देते गोपीजन उद्धव के साथ कजलीवन पहुँचे। जहाँ श्रीराधाजी अन्य गोपीजनों संग बिराजी नजर आई। गोपीजनों उद्धवजी को अपने पास आते देख श्रीराधाजी ने आदर भाव में स्वागत अभिवादन कर कहती हैं।🦚 *विरही गोपी -२६*🌺 क्रिष्णा 🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
Author: admin
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