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November 21, 2024 5:53 pm

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!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 51 !!-“होरी” – मधुर रस का अद्भुत समर्पण भाग 3 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 51 !!-“होरी” – मधुर रस का अद्भुत समर्पण भाग 3 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 51 !!

“होरी” – मधुर रस का अद्भुत समर्पण
भाग 3

हँसते हुए इस प्रसंग को बता रहे थे महर्षि शाण्डिल्य ………….

पूरे बरसानें में कीच ही कीच मच गयी है ……केशर की कीच है चारों ओर ………..पिचकारी की झरी लग गयी है ………..

और कुछ सखियाँ लगातार लट्ठ बजा रही है नन्दगाँव के ग्वालों के ऊपर…..भागते जा रहे हैं ग्वाले…….अपनें आपको बचाते जा रहे हैं ।

पर ये क्या ? श्रीराधा रानी अद्भुत सौन्दर्य के साथ, अपनी अष्ट सखियों के साथ ………चली जा रही हैं ।

नन्दगाँव दूर नही है बरसानें से …….पैदल ही चलीं नन्दगाँव ।

पर ग्वालों को इस बार मार मारकर भगाया है इन सखियों नें………..लट्ठ से खूब पूजा करी है इनकी ।

पर अब श्रीराधा रानी अपनी सखियों के साथ नन्दगाँव पहुँची …….और बड़ी खुश थीं ……….गारी गा रही थीं सखियाँ ।


नन्दभवन के सिंह द्वार पर पहुँची श्रीराधिका ।

गीत गा रही थीं सखियाँ …….बड़े प्रेम से गीत गाती हुयी पहुँची थीं ।

अरे ! आओ ! आओ …………पर तुम यहाँ क्यों आयी हो ?

कन्हैया और उनके सखा तो सब बरसानें ही गए हैं ना ?

बृजरानी यशोदा बोलीं ………..फिर बोलीं …..आही गयी हो तो भीतर आजाओ ………………..

श्रीराधा रानी संकोचपूर्वक भीतर गयीं ……..सखियाँ भी साथ में थीं ।

क्या खाओगी तुम लोग ? बृजरानी नें बड़े प्रेम से पूछा ।

नही …आज हम खानें नही आयी हैं…..हम तो आज गायेंगीं…..नाचेंगी …और आपसे फगुआ लेकर जायेंगी……ललिता सखी हँसकर बोली ।

अब कन्हैया तो है नही……मुझ बूढी को नाच दिखाके क्या करोगी ?

हँसते हुये बैठ गयीं बृजरानी ………अच्छा ! दिखाओ नाच गाना ।

ये हमारी सखी है ……नई बहू है …..बढ़िया नाचती है ………..ललिता सखी उस नई बहु को दिखाती हुयी बोलीं ।

बृजरानीजी ! आपको इसका नाच दिखानें के लिये ही हम यहाँ आयी हैं ।

चलो ! नाचो बहू ! विशाखा सखी हँसते हुए बोली ।

सारी सखियाँ हँस रही थीं ।

उस नई बहु नें नाचना शुरू किया………और सखियों नें गाना ।

“नारायण कर तारी बजाएके, याहे यशुमति निकट नचावो री”

सब गा रही हैं…….ताली बजा रही हैं …..हँस रही हैं ………..

यशोदा जी नें देखा……….ध्यान से देखा …….एक बहू नाच रही है …..घूँघट करके नाच रही है ……….इसकी नाच को देखकर लग रहा है इसको मैं जानती हूँ ……..बृजरानी बार बार सोचती हैं ……इस को कहीं मैने देखा है ……….रहा नही गया बृजरानी से ……….पास में गयीं ……..और जैसे ही घूँघट हटाया ………..

कन्हैया सखी बनें नाच रहे हैं ।

तू यहाँ क्या नाच रहा है ?

बृजरानी नें  भी  पीठ में एक थप्पड़ दिया  ।

फिर हँसी आगयी ………अरे ! तू कैसे फंस गया इन बरसानें वारियों के चक्कर में ?

कन्हैया क्या कहते …………..श्रीराधा रानी मुस्कुराते हुए जानें लगीं तो बृजरानी नें माखन खानें दिया …………..सखियों नें भी खाया ।

अब जा ! छोड़ के आ ………..बृजरानी नें फिर कृष्ण को भेज दिया ।

गली में चले गए कृष्ण ………….बस –

अब तो कृष्ण नें एक ताली बजाई जोर से ……………बस, आगये ग्वाल बाल …..गली को ही घेर लिया चारों ओर से सखाओं नें………सखियाँ फंस गयीं ।

कन्हैया आगे बढ़ें …..और श्रीराधा रानी के गालों में अबीर मल दिया ।

रंग से भरा कलशा लेकर आया मनसुख …….कृष्ण नें बड़े प्रेम से श्रीराधा रानी के ऊपर रंग का पूरा कलशा डाल दिया ………।

अब तो ललिता सखी से भी रहा नही गया …………..उसनें कृष्ण को पकड़ा ……..जोर से पकड़ गालों को रगड़ दिया ……….रँग, पूरे नीले वदन में लगा दिया ……..गुलचा मारकर ……….गालों को काट कर ….ललिता सखी बोली ……”होरी है” ।

कृष्ण हँसे ………….और अपनी प्यारी श्रीराधा रानी के पास गए ……बड़े प्रेम से दोनों गले मिले ………

श्याम सुन्दर नयनों की भाषा में बहुत कुछ बोले थे अपनी प्रिया से ….

और उनकी प्रिया भी सब कुछ कह चुकी थीं ।

तो अब ? श्रीराधा रानी नें पूछा था ।

श्याम सुन्दर गम्भीर हो गए थे ………..कुछ नही बोले ………

पता नही क्यों ……….नेत्र सजल हो उठे थे उनके ।

शेष चरित्र कल –

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