Explore

Search

September 14, 2025 6:42 am

लेटेस्ट न्यूज़
Advertisements

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 57 !!-बैठी रहूँ यमुना में आस लगाए…..भाग 1 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 57 !!-बैठी रहूँ यमुना में आस लगाए…..भाग 1 : Niru Ashra

!! “श्रीराधाचरितामृतम्” 57 !!

बैठी रहूँ यमुना में आस लगाए…..
भाग 1

कौन हो तुम ? बताओ कौन हो तुम ?

यमुना में बैठीं हैं बृषभान दुलारी……धीरे धीरे नयन मूंद जाते हैं उनके ।

कौन ? कौन हो तुम ? आँखें बन्द ही हैं ………हाथों से छूती हैं अपनें मुख को …………….

ओह ! तो तुम हो ? हँस पड़ती हैं …………….

आखिर आही गए वृन्दावन ……..!

हाँ तुम्हारा मन भी नही लगता होगा ना वहाँ तो ?

क्या कहा ? अब बातें न बनाओ …………….मेरे बिना तुम्हारा मन नही लगता ? यही कह रहे हो ……….झूठे ! मुझे नही होता अब तुम पर विश्वास ……….जाओ !

अरे ! कहा ना …..जाओ…….मुझे नही पता ….पर यहाँ से जाओ ।

हाँ हाँ……वहीं जाओ……….वहीं अपनी कुब्जा के पास ।

सुना है सुन्दर है वो …………….मुझ से सुन्दर है वो …………

नही ……….तुमनें उस कुब्जा को छूआ है ………….मुझे मत छूओ …..

जाओ ! जा ओ ! चिल्लाईँ श्रीराधा रानी ….जोर से चिल्लाईं थीं ।

आँखें खोलीं……….चारों ओर देखा……………

क्या हुआ लाडिली ? आप किसी को “जाओ जाओ” कह रही थीं ?

सखियों नें श्रीराधा रानी से पूछा ।

वे गए ? सखी क्या वे गए ? श्रीराधा रानी चारों ओर देख रही थीं ………नही ..नही ….देख नही रही थीं वो खोज रही थीं …..अपनें “प्राण” को ………उन्हें प्रेमोन्माद के कारण ऐसा लगा कि कृष्ण नें ही आकर पहले की तरह आँखें बन्द कर दी हैं …….और पूछ रहे हों …..कौन है पहचानों प्यारी !

पर यहाँ तो कोई नही है …………इधर उधर देखकर सखियों नें यही उत्तर दिया था ।

नही …..तुम झूठ बोलती हो …….वे आये थे ……..वे यहीं कहीं हैं ……तुम अच्छे से नही जानती उन्हें ……….वे तुमसे छुप रहे हैं …..शर्माते होंगें ना !

श्याम सुन्दर ! प्राण ! प्यारे ! प्रिय ! आओ ना !

श्रीराधा रानी फिर पुकारनें लगीं थीं ।

पर –

तू चुप रह ! तू मेरी नकल क्यों कर रही है ……तू चुप कर !

हे वज्रनाभ ! कुञ्जों से श्रीराधा के पुकार की प्रतिध्वनि हो रही है ….

जैसे – श्रीराधा पुकार रही हैं …..हा श्याम सुन्दर ! तो कुञ्जों से भी यही आवाज आरही है हा श्याम सुन्दर !

बस अपनी प्रतिध्वनि को सुनकर श्रीराधा चकित हो जाती हैं ……वो प्रेम के आवेश में …………….।

कौन है तू ? कौन ?

मत कर मेरी नकल……..देख ! दुःखी जनों का कभी मजाक नही बनाना चाहिये ……और मैं तो इस संसार कि सबसे बड़ी दुखियारन हूँ …….मेरा “प्राण” मुझे छोड़ गया ……पर मैं जिन्दा हूँ ………यही तो बात है ना ! कि राधा अभी तक जीवित कैसे है ?

मैं मर जाऊँ ? हाँ मुझे मर ही जाना चाहिये ना ?

ये कहते हुए फिर इधर उधर देखनें लगीं …………ललिता बिशाखा ये सब वहीँ बैठी हैं ……………

नही …………..मैं मर नही सकती ………..वैसे मैं मर जाऊँ तो अच्छा होता ………पर मैं मर नही सकतीं ……………

क्यों कि ……मेरी ये सखियाँ कहती हैं ………मैं अगर मर गयी तो कन्हाई को अच्छा नही लगेगा…….वो दुःखी हो जाएगा…..उसे लगेगा मेरे कारण मेरी राधा मर गयी ……..वो जीवन भर अपनें को अपराधी समझता रहेगा …….नही …..मैं मर भी नही सकती ।

क्या दशा बना दी मेरी तुमनें श्याम !

श्याम ! आओ ना ! रोते हुये फिर पुकार निकली श्रीराधा के ।

क्रमशः ….
शेष चरित्र कल ….

admin
Author: admin

Chief Editor: Manilal B.Par Hindustan Lokshakti ka parcha RNI No.DD/Mul/2001/5253 O : G 6, Maruti Apartment Tin Batti Nani Daman 396210 Mobile 6351250966/9725143877

Leave a Comment

Advertisement
Advertisements
लाइव क्रिकेट स्कोर
कोरोना अपडेट
पंचांग
Advertisements